Kishanganj: सरकारी सर्वे के मुताबिक बिहार राज्य के सबसे पिछड़े जिले के गिनती में किशनगंज का नाम पहले नम्बर पर है, क्यों न हो क्योंकि यह जिला विकास से कोसो दूर है जिसका सबसे बड़ा कारण शिक्षा का अभाव है यह जिला की स्थापना सन 1990 ई को हुई थी इससे पहले से ही जिला के दो सरकारी कॉलेज मौजूद था, एक बहादुरगंज प्रखंड का नेहरू कॉलेज और दूसरा जिला मुख्यालय में स्थित मारवाडी कॉलेज।
आपको बता दें कि मारवाड़ी कॉलेज की स्थापना 1960 ई को हुई थी लेकिन आज भी यहाँ की शिक्षा व्यवस्था अपनी बदहाली पर रो रही है। दरअसल, सात प्रखंड वाले इस जिले में महज दो सरकारी कॉलेज हैं उस पर उन दो कॉलजों की स्थिति भी कुछ ठीक नहीं है. कॉलेज में आवयश्कता अनुसार शिक्षक या प्रोफेसर जो भी नहीं है, पढ़ाई की कोई व्यवस्था ही नहीं है सिर्फ नामांकन केंद्र बनकर रह गया है. कॉलेज में बच्चे सिर्फ नामांकन, रजिस्ट्रेशन एवं फॉर्म फिलउप के लिए आते है.
क्लास लगने जैसी कोई बात ही नहीं है क्योंकि कॉलेज में जरुरत के हिसाब से शिक्षक ही नहीं है। इतना ही नहीं बदहाल शिक्षा व्यवस्था मेकिंग इंडिया देश के विकास का पोल खोल रही हैं, जिला में एक भी पोस्टग्रेजुएट की कॉलेज नहीं है। आखिर अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहे इस जिले की ऐसी स्थिति का जिम्मेदार कौन ? यहाँ की शिक्षा व्यवस्था की बदहाली केंद्र एवं राज्य सरकार को विकास के दावों को खुली चुनौती दे रही हैं.
आप को बता दे कि यह एक अल्पसंख्यक समुदाय वाला जिला है, यहाँ एक लोक सभा सीट एवं चार विधानसभा सीट हैं यहाँ की जनता जिला के विकास के लिए वोट तो देती हैं लेकिन विकास नजर नहीं आती आजादी के 70 वर्ष से ज्यादा समय गुजर चुका है आखिर कब तक शिक्षा के अभाव के अँधरे में डुबा रहेगा यह जिला, जरूरत है सरकार को इस ओर ध्यान आकर्षित करने की ताकि जिला का विकास हो सके क्योंकि किशनगंज के विकास से ही बिहार का विकास है और बिहार का विकास देश का विकास है।