PATNA : बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने के साथ सरकारी विभागों में संविदा की नौकरी करनेवाले कर्मियों को उम्मीदों को बड़ा झटका लगा है। नई सरकार बनने के साथ इन कर्मियों को उम्मीद थी कि अपने चुनावी वादे को पूरा करते हुए उनकी नौकरी को नियमित कर दिया जाएगा। लेकिन अब बिहार सरकार ने साफ कह दिया है कि संविदा पर बहाल सभी स्तर के सेवक सरकारी नहीं माने जाएंगे। इस आधार पर उनकी सेवा भी नियमित नहीं होगी।
बिहार सरकार की तरफ से यह जानकारी राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने हाईकोर्ट को दी है। मामले में हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी। याचिका रविशंकर सिन्हा एवं अन्य की ओर से दायर की गई थी। हाई कोर्ट ने विभाग को कहा था कि वह याचिका में दर्ज सेवा नियमित करने की मांग की समीक्षा करने को कहा था।
नहीं कर सकते नियमतिकरण का दावा
विभाग के संयुक्त सचिव कंचन कपूर के हवाले से जारी आदेश में कहा गया है कि सरकारी सेवाओं में किसी खास प्रयोजन के लिए स्थायी पदों के विरुद्ध संविदा पर नियुक्ति होती है। सरकार के विभिन्न विभागों में संविदा पर नियोजित कर्मियों की सेवा के बारे में विचार किया गया। विचार के बाद अनुशंसा की गई। इसके आधार पर सामान्य प्रशासन विभाग ने मार्गदर्शक सिद्धांत जारी किया। इसमें साफ कहा गया है कि संविदा पर नियुक्त सेवकों को सरकारी सेवा में नियमितीकरण का कोई दावा नहीं बनेगा।
बता दें कि बिहार में सरकार बनने से पहले राजद सहित तमाम विपक्षी दलों द्वारा संविदाकर्मियों को भरोसा दिलाता दिलाया जाता रहा है कि उनकी सरकार बनने के बात सभी को नियमित कर दिया जाएगा। लेकिन, अब खुद विभाग ने यह साफ कर दिया है कि यह संभव नहीं हो सकता है। बता दें कि बिहार में लगभग 12 लाख कर्मचारी हैं।
तेजस्वी भी दस लाख नौकरी देने से मुकरे
इससे पहले तेजस्वी यादव ने भी चुनाव के दौरान दस लाख नौकरी देने के वादे से मुकर गए थे। डिप्टी सीएम की जिम्मेदारी संभालने के बाद जब उनसे दस लाख नौकरी देने को लेकर बात की गई तो उन्होंने साफ कह दिया कि यह वादा उन्होंने मुख्यमंत्री बनने पर किया था। अभी वह डिप्टी सीएम हैं, ऐसे में जब सीएम बनेंगे तो अपना वादा पूरा करेंगे।
कुछ दिन पहले वेटेज देने की हुई थी घोषणा
15 दिन पहले ही नीतीश कुमार ने यह घोषणा कि थी सरकारी नौकरी में नियमतिकरण को लेकर यह घोषणा की थी सरकारी नौकरियों में संविदाकर्मियों को प्रमुखता दी जाएगी। लेकिन अब सरकार की तरफ से ताजा फैसले ने यह साफ कर दिया है कि संविदाकर्मी कभी भी नियमित नहीं होंगे।