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बिहटा -औरंगाबाद रेलवे परियोजना के लिए अनशन पर बैठे आंदोलनकारियों को सुधि लेने वाला कोई नहीं, अनशनकारियों की बिगड़ती जा रही है तबीयत, मिल रहा जोरदार समर्थन

बिहटा -औरंगाबाद रेलवे परियोजना  के लिए अनशन पर  बैठे आंदोलनकारियों को सुधि लेने वाला कोई नहीं, अनशनकारियों की बिगड़ती जा रही है तबीयत, मिल रहा जोरदार समर्थन

PATNA : पटना जिले के पालीगंज अनुमंडल मुख्यालय बाजार स्थित बिहटा मोड़ चौराहे  पर  बिहटा -औरंगाबाद रेलवे परियोजना  शुरू करने के लिए 6 दिनों से  आमरण अनशन पर बैठ आंदोलनकारियों को पक्ष -विपक्ष हो या केंद्र और राज्य सरकार के पदाधिकारी अबतक कोई सुधी लेने नहीं पहुंचा, अनिश्चित कालीन आमरण अनशन पर बैठे आंदोलनकारियों की दिन पर दिन हालत बिगड़ती जा रही है.वही दूसरी ओर बिहटा -औरंगाबाद रेलवे परियोजना के लिए स्थानीय लोगों का भरपूर जन समर्थन मिल रहे, वही आज समर्थन में स्थानीय व्यवसाइयो ने अपनी अपनी दुकाने स्वेक्षा से कुछ घंटे बंद रखते हुए जोरदार समर्थन दिया. भकपा माले अरवल विधायक महानन्द सिंह धरना स्थल पर पहुंच कर आंदोलनकारियों का हौसला बढ़ाते हुए अपनी ओर से भरपूर समर्थन देने की बात कही.

  जानकारी के अनुसार बिहटा -औरंगाबाद रेलवे लाइन परियोजना को यथाशीघ्र शरू करने बीते 30 अक्टूबर से अनिश्चित कालीन आमरण अनशन पर रेलवे संघर्ष समिति के संयोजक चन्दन वर्मा के नेतृत्व में बैठे एक दर्जन से अधिक समाजिक कार्यकर्ताओ और जनप्रतिनिधियों की अनशन आज 6वे दिन भी लगातार जारी है. लेकिन अबतक केंद्र सरकार के कानो तक आवाज नहीं पहुंच पा रही है. केंद्र और राज्य सरकार कोई मंत्री हो या पदाधिकारी कोई भी धरना स्थल पर सुधि लेने की जहमत नहीं उठाई है. हाँ दूसरी एक खबर कल शाम को आई थी की रेलवे के चीफ इंजीनियर आने वाले है.लेकिन दूसरे दिन बीतने को है वे अनशन स्थल पर नहीं पहुंच सके है. बिहटा -औरंगाबाद रेलवे परियोजना संघर्ष समिति के संयोजक चन्दन वर्मा ने बताया की बीते कल दोपहर में रेलवे के चीफ इंजीनियर आशुतोष मिश्रा महेंद्रु का फोन आया थी की मैं एक घंटे में वहाँ पहुंच रहा हूँ लेकिन एक घंटे क्या अब दूसरे तक 24 घंटे बीत चुके है अबतक कोई आता पता साहब का नहीं है.हमलोग इंतजार करते रह गए.आज का दिन भी लगभग बीत गए.

        वही दूसरी ओर स्थानीय लोगों के साथ साथ कुछ जन प्रतिनिधियों का भी जन समर्थन भरपूर मिल रहे है. जिससे अनशनकारियों की हौसले पस्त नहीं हो रहे उलटे और मजबूती के साथ अनशन स्थल पर डटे हुए है. इस कड़ी में स्थानीय विधयाक संदीप सौरभ भी अपना समर्थन दे चुके है,जबकि आज अरवल से भकपा माले विधायक महानन्द सिंह भी अपने कई साथियों के साथ अनशन स्थल पर आकर दो घंटे तक रहते हुए अनशनकारियों को भरपूर समर्थन देने की ऐलान किया, साथ ही इस अवसर केंद्र सरकार की आड़े हाथों लेते हुए कहा की नरेन्द्र मोदी सरकार ने बिहटा औरंगाबाद रेलवे परियोजना के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है, केंद्र सरकार की नियत में ही खोट है अगर केंद्र इसको शुरू करने की नियत रहती तो अबतक यह परियोजना शुरू हो जाती है.

अनशनकारियों का आरोप इलाज में हो रही कोताही..

वहीं दूसरी ओर बिहटा -औरंगाबाद रेलवे लाइन परियोजना को शुरू करने के लिए अनिश्चितकालीन आमरण आंसर पर बैठे एक दर्जन से अधिक अनशनकारियों की में से कहीं की स्थिति बिगड़ती जा रही है, स्थानीय सीएचसी अस्पताल के डॉक्टर के मनमानी  मनमानी के कारण सरकारियों की स्थिति और बिगड़ती जा रही है स्थानीय डॉक्टर समय पर चेकअप के लिए नहीं आ पा रहे हैं मुझे पदाधिकारी द्वारा फोन जाती है तब पूर्ण पूरा करने के लिए डॉक्टर आकर पूरा कर किसी तरह चले जाते हैं अंश गाड़ियों ने बताया कि पदाधिकारी द्वारा तीन बार रुटीन चेकअप करने की आदेश लेटर पैड पर मिला हुआ है मात्र किसी तरह दो बार ही आता रहे, वही अंशमकारियों की नजर रखने के लिए अनुमंडल प्रशासन द्वारा नियुक्त  मजिस्ट्रेट किसान सलहाकर कृष्णनंदन प्रसाद और ओमप्रकाश ne बताया की हम लोगों ने कल कई बार पीएचसी प्रभारी डॉक्टर विपिन कुमार को फोन किया, वे अभी आते ही हम लोग के ऊपर बरस पड़े और उल्टे सीधे बोलने लगे जैसे यहां आकर एहसान कर रहे हो,इस तरह से पीएचसी अस्पताल के प्रभारी और डॉक्टरों की गैर जिम्मेवार रवैया के खेदजनक बताया जा रहा है.

 वहीं इसकी जमीनी हकीकत क्या है

 यह परियोजना की आवाज लगभग 40 वर्ष पूर्व संसद भवन में उठी थी, तत्कालीन आरा के सांसद रहे चन्द्रदेव प्रसाद वर्षा ने इसकी आवाज बुलंद किया था,वही तत्कालीन रेल मंत्री रहे नितीश कुमार ने 2004 में इसकी घोषणा किया था,जबकि यह 2007 में तत्कालीन केंद्रीय रेल मंत्री रहे लालू प्रसाद यादव ने इसकी विधवा शिलान्यास पालीगंज के खेल मैदान में एक विधिवत कार्यक्रम आयोजित कर बड़े ही ताम झाम के साथ भारी भरकम केंद्र और राज्य सरकार के मंत्रियों, सांसदों,विधायको समेत सैकड़ो की संख्या में बड़े पैमाने पर बड़े-बड़े गणमान्य अतिथियों की  उपस्थिति में यह कार्यक्रम किया था,लेकिन 2007 से अब तक 16 साल बीत चुके हैं लगभग तीन केंद्रीय सरकारों की कार्यकाल भी खत्म हो चुकी हैं शिलान्यास होने के बावजूद भी आजतक यह जमीन पर नहीं उत्तर सकी है,जोकी यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण और चिंताजनक स्थिति कहीं जा सकती है, बिहटा से औरंगाबाद तक की 117 किलोमीटर तक की दुरी बताई जा रही है  उसे समय शिलान्यास के समय प्रस्तावित प्रस्तावित राशि 350 करोड़ थी जो कि अब तक  लगभग 4000 करोड़ से अधिक की हो चुकी है,

 यह परियोजना पूरी होने के बाद लगभग पटना से औरंगाबाद की सफर 5 घंटे से घटकर मात्र एक से डेढ़ घंटे रह जाएगी, समय की बचत होने के साथ-साथ सस्ती रेल यात्रा भी आम लोगों को लाभान्वित करेगी, पटना जिले के साथ-साथ अरवल, जहानाबाद,औरंगाबाद, गया, रोहतास समेत लगभग आधा दर्जन से अधिक जिले के लगभग एक करोड़ से अधिक की आबादी को परोक्ष या अपरोक्ष रूप से सीधे लाभान्वित होगी, विकास के साथ-साथ आम लोगों के लिए यह मिल का पत्थर साबित होगा, बिहटा -औरंगाबाद रेलवे लाइन परियोजना को शुरू होने से क्षेत्र की विकास तीव्र गति  से होने की संभावना है, लेकिन केंद्र सरकार के उदासीन रवैया की वजह से इस परियोजना के 42 वर्षों के परिकल्पना के बावजूद भी अब तक जमीन पर नहीं उतरना इस क्षेत्र के लोगों के लिए बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति कहीं जा सकती  है.

जबकि इस क्षेत्र के लोग लोकसभा चुनाव में भरपूर जन समर्थन भी केंद्र सरकार देते हुए NDA की सांसदों को वोट देकर सांसद बना रहे इस आस में की केंद्र सरकार एक न एक दिन जरूर इसको अमल करेगी लेकिन केंद्र सरकार है की सुनने का नाम नहीं ले रही है, दूसरी तरफ इसके लिए रेलवे संघर्ष समिति भी सड़क से लेकर सदन तक और पाली, पटना, अरवल और औरंगाबाद से लेकर दिल्ली तक आंदोलन छेड़े हुए है लेकिन केंद्र सरकार के कानो तक जु नहीं रेंग रही है.


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