PATNA : बिहार में पिछले कुछ सालों में हथियार रखनेवालों की संख्या तेजी से बढ़ी है। आए दिन शादी समारोहों में हर्ष फायरिंग इसके प्रमाण है। लेकिन हैरान करनेवाली बात है कि इनमें एक बड़ी संख्या ऐसे लोगों की है। जिन्होंने अपने हथियार दूसरे राज्यों से खरीदे, लेकिन बिहार में इनका अबतक वेरिफिकेशन नहीं कराया गया है। बिहार गृह विभाग की मानें तो पिछले पांच साल से हथियारों का सत्यापन नहीं कराया गया है। ऐसे में गृह विभाग की नींद टूटी है और सभी जिलों को इस संबंध में आदेश जारी कर आगामी 15 फरवरी तक सभी हथियारों का सत्यापन कराने का निर्देश दिया गया है।
बिहार गृह विभाग की मानें जम्मू कश्मीर के साथ उत्तर पूर्वी राज्यों नागालैंड से बड़ी संख्या बिहार के लोगों ने हथियारों की खरीदी की है। लेकिन बिहार में इनका सत्यापन नहीं कराया है। इस संबंध में बीते 4 अक्टूबर 2019 को ही आदेश जारी किया गया था और सत्यापन संबंधी दस्तावेज उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए थे। लेकिन पांच साल से इसका पालन नहीं किया जा रहा है।
गृह विभाग के नियमों के अनुसार नागालैंड, जम्मू कश्मीर एवं अन्य राज्यों से स्वीकृत शस्त्र अनुज्ञप्तिधारी के शस्त्र का जब तक संबंधित राज्यों के लाइसेंसिंग ऑर्थेरिटी द्वारा वेरिफिकेशन कराना जरूरी है।
दूसरे राज्यों से मंगाए जा रहे हैं हथियार
गृह विभाग के अनुसार भारी संख्या में बिहार के नागरिकों द्वारा बिहार राज्य के विभिन्न जिलो, उत्तर- पूर्व के राज्यों यथा नागालैंड, जम्मू-कश्मीर एवं अन्य राज्यों से अवैध रूप से शस्त्र अनुज्ञप्ति प्राप्त की जा रही है। इस कम में उनके द्वारा न तो प्रकिया का अनुपालन किया जा रहा है और न हीं अनिवार्य सत्यापन की प्रकिया पूरी की जा रही है। हथियार तस्करों के राष्ट्रव्यापी गिरोह के माध्यम से अनुज्ञप्ति प्राप्त कर उम्दा किस्म के हथियार कय किये जा रहे हैं। इनका इस्तेमाल संगठित अपराध करने एवं आपराधिक वर्चस्व स्थापित करने के लिये किया जा रहा है।
सभी हथियारों को जमा कराने के निर्देश
गृह विभाग ने सभी जिलों को निर्देश दिया है कि आगामी 15 फरवरी तक सभी हथियारों का सत्यापन पूरा कर लिया जाए। इस दौरान सत्यापन पूरा होने तक सभी हथियार जब्त कर निकटतम थाने में जमा किया जाए। अवधि समाप्त होने के बाद सत्यापन नहीं करानेवाले हथियार अवैध माने जाएंगे।
नहीं है पूरा रिकॉर्ड
बिहार गृह विभाग के पास नागालैंड, जम्मू कश्मीर या दूसरे राज्यों से कितने लोगों ने हथियार खरीदें हैं, इसका कोई करंट रिकॉर्ड नहीं है। जो रिकॉर्ड विभाग के पास मिले हैं. वह पांच साल पुराने हैं, जिसमें 520 लोगों के पास दूसरे राज्यों से हथियार लेने का जिक्र है। जिसमें सिर्फ 98 लोगों ने ही सत्यापन का आवेदन दिया है। इन पांच सालों में कितने लोगों के पास हथियार पहुंचे होंगे, इसको लेकर गृह विभाग ने अपनी चिंता जाहिर की है।
इस तरह खरीदते हैं दूसरे राज्यों को धोखा
1. अस्थायी पता के आधार पर शस्त्र अनुज्ञप्ति प्राप्त कर ली जाती है।
2. अनुज्ञप्तिधारी के स्थायी पता का सत्यापन अथवा अपराधिक इतिहास के संबंध में स्थानीय थाना से सत्यापन नहीं कराया जाता है।
3. सक्षम प्राधिकार के जाली हस्ताक्षर से अनुज्ञप्ति बनाने वाले नेटवर्क के जरिये अनुज्ञप्ति प्राप्त कर ली जाती है।
4. आर्म्स रूल 2016 में प्रावधानित UIN नम्बर भी अनुज्ञप्ति पर जाली अंकित किया जाता है।
5. शस्त्र विक्रेता इस गठजोड़ (Nexus) में भागीदार होते हैं, जिनके द्वारा न सिर्फ जाली अनुज्ञप्ति पर अत्यधिक मुनाफा लेकर आधुनिक हथियारों का विकय किया जाता है बल्कि एक हीं अनुज्ञप्ति पर अनेक शस्त्रों को बेचा जाता है।