हमास के हमले का एक कारण अल अक्सा मस्जिद को भी माना जा रहा है.आतंकी संगठन हमास के अंधाधुंध रॉकेट हमलों के बाद इस्राइल में तबाही का मंजर रुह कंपाने वाला है. जिस जमीन पर आज गोला-बारूद और धुएं का गुबार और मातमी सन्नाटा पसरा है, ये यहूदियों के अलावा, इसाईयों और मुस्लिमों की आस्था का बड़ा केंद्र है. छह महीने पहले अल अक्सा मस्जिद में इस्राइल की पुलिस का घुसना इस भयानक आतंकी वारदात की जड़ माना जा रहा है.गाजा पट्टी में हमास आतंकवादी ग्रुप ने इजरायल के खिलाफ लड़ाई छेड़ने के साथ इसे "ऑपरेशन अल-अक्सा फ्लड" नाम दिया है. हमास के मायावी नेता मोहम्मद दीफ ने एक विडियो सन्देश में कहा है कि - यह ऑपरेशन इज़राइल द्वारा यरूशलेम में टेम्पल माउंट पर अल-अक्सा मस्जिद के "अपवित्रीकरण" के प्रतिशोध में शुरू किया गया है.अल अक्सा का अरबी में अर्थ है "सबसे दूर" या "सर्वोच्च. यह एक मस्जिद है जो यरूशलेम के पुराने शहर के केंद्र में स्थित है. मक्का और मदीना के बाद सभी संप्रदायों के मुसलमान इसे उच्च सम्मान में रखते हैं. कुरान में अल अक्सा का कई बार उल्लेख किया गया है.
बता दें कि इस्लाम धर्म में अल अक्सा को मक्का और मदीना के बाद तीसरा सबसे पवित्र स्थान माना जाता है. इसी को लेकर इजरायल और फिलिस्तीन के बीच विवाद है.अल-अक्सा मस्जिद मुसलमानों और यहूदियों दोनों के लिए पवित्र है. यहूदी इस जगह को टेंपल माउंट कहते हैं. इस जगह को लेकर पहले भी हिंसा हो चुकी है. हमास ने यहूदियों पर यथास्थिति समझौते का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है. मस्जिद अल-अक्सा; यरूशलम अर्थात अल कुद्स में स्थित यह मस्जिद इस्लाम धर्म में मक्का और मदीना के बाद तीसरा पवित्र स्थल है. यरूशलम पैगंबर मुहम्मद के जीवनकाल के दौरान और उनकी मृत्यु के तुरंत बाद के वर्षों के दौरान एक प्रतीक रहा जैसा कि मुस्लिमों ने इराक और उसके बाद सीरिया को नियंत्रित किया लेकिन यरुशलम 640 ईस्वी के दशक में मुस्लिमों के नियन्त्रण आया था, जिसके बाद यरूशलम एक मुस्लिम शहर बन गया और यरूशलम में अल अक्सा मस्जिद मुस्लिम साम्राज्य में सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में से एक बनी.
यह मस्जिद हमेशा से विवादित रही है क्योंकि यहूदी लोग इसे अपना पूजास्थल मानते हैं . ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार 957 ईशा पूर्व में यहूदीयों ने यरूशलम में पहला यहूदी पूजास्थल बनाया था और उसके बाद 352 ईशा पूर्व में दूसरा यहूदी पूजास्थल बनावाया. इसके बाद 561 ईश्वीं में ईसाइयों ने यरूशलम में ही सेंट मेरी चर्च का निर्माण किया. मुसलमान एक जिसे 'डोम ऑफ द रोक्स' के नाम से जाना जाता है. इसके बाद 702 ईश्वीं में मुस्लिमों ने 'मस्जिद अल-अक्सा'का निर्माण कराया और तब से लेकर अब तक यहूदी इसी 'मस्जिद अल-अक्सा'की पश्चिमी दिवार को पूजते हैं जिसे 352 ईशा पूर्व में बनाया गया था. तब से ही मस्जिद अल- अक्सा और यरूसलम यहूदी और मुसलमानों के लिए संघर्ष स्थल रहा है. मुस्लिम, ईसाई और यहूदी सभी के साथ मस्जिद के नीचे की जमीन को विशेष रूप से पवित्र माना जाता है, जिस कारण इस जमीन के इतिहास को समझना जरुरी है.
जब मुहम्मद ने पाँच दैनिक नमाज में मुस्लिम समुदाय की अगुवाई करने के लिए से आदेश प्राप्त किया, तो उनकी प्रार्थनाएँ पवित्र शहर यरूशलम की तरफ इशारा करती थीं. मुसलमान नमाज यरूशलम की तरफ मुँह करके पढ़ते थे लेकिन बाद में अल्लाह के आदेश के बाद मुहम्मद ने मुसलमानों को मक्का की तरफ मुँह करके नमाज पढ़ने का आदेश दिया, मुसलमानों के लिए यरूशलम शहर एक महत्वपूर्ण स्थल है. इस्लाम के कई पैग्बर (दाऊद), सुलेमान (सोलोमन), और ईसा (ईसा) के शहर के रूप में, यह शहर इस्लाम के पैग्बरो का प्रतीक था. जब मुहम्मद ने मक्का से यरूशलम और चढ़ाई के चमत्कारिक रात की यात्रा को स्वर्ग में उस रात इज़रा 'वाल-मीयराज' के रूप में जाना जाता है.
बहरहाल एक बार फिर युध्द की विभिषिका में इजराल और गाजा जल रहा है. अल-अक्सा मस्जिद, अल-अक्सा परिसर के हिस्से के रूप में, यहूदी धर्म और ईसाई धर्म के विभिन्न ऐतिहासिक और पवित्र स्थलों के करीब स्थित है. इसके परिणामस्वरूप पूरे क्षेत्र का उच्च भू-राजनीतिक महत्व रहा है, और यह इजरायल-फिलिस्तीनी संघर्ष में एक प्राथमिक बिंदु रहा है.