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कल होगा बिहार विधानसभा के अध्यक्ष का चुनाव, इनके नाम पर मुहर लगना तय, जानिये क्या है नियम

कल होगा बिहार विधानसभा के अध्यक्ष का चुनाव, इनके नाम पर मुहर लगना तय, जानिये क्या है नियम

पटना. कल बिहार विधानसभा के विशेष सत्र का अंतिम दिन है। कल ही विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव होगा। राजद विधायक अवध बिहारी चौधरी स्पीकर बनना तय मना जा रहा है। महागठबंधन के पास इसके लिए पर्याप्त संख्या बल है। स्पीकर के चुनाव हो जाने के बाद और सत्र की कार्रवाही पूरी हो जाने के बाद सत्र को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया जाएगा।

वहीं आज बिहार विधान परिषद का सभापति देवेश चंद्र ठाकुर निर्विरोध चुने गए हैं, जबकि विपक्ष का नेता सम्राट चौधरी चुने गये हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही सभापति देवेश चंद्र ठाकुर को आसन तक लेकर गए। इसके बाद सभी पक्ष और विपक्ष के नेताओं को अपनी बात रखने का मौका दिया गया है। डेढ़ बजे सभापति देवेश चन्द्र ठाकुर धन्यवाद देकर परिषद की कार्यवाही शुक्रवार को 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया।

स्पीकर के चुनाव के लिए बढ़ा सत्र

विजय सिन्हा के इस्तीफे के बाद बिहार विधानसभा में नये स्पीकर चुने जाने हैं। नये स्पीकर के चुनाव के लिए 25 अगस्त को नॉमिनेशन फाइल किया गया है। 26 अगस्त को नया स्पीकर चुना जाएगा। इसके लिए कैबिनेट की बैठक में सदन का विशेष सत्र एक दिन और बढ़ा दिया गया। पहले सदन का विशेष सत्र दो दिन ही निर्धारित था।

राज्यपाल करते हैं चुनाव की तिथि का निर्धारण

नियमानुसार स्पीकर के चुनाव के लिए राज्यपाल तिथि निर्धारित करते हैं। भारत के संविधान के अनुच्छेद 178 तथा बिहार विधान सभा की प्रक्रिया तथा कार्य संचालन नियमावली के नियम 9(1) के द्वारा - प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए राज्यपाल स्पीकर के निर्वाचरन की तारिख का ऐलान करते हैं। बिहार के राज्यपाल फागू चौहान ने नियमानुसार बिहार विधान सभा के अध्यक्ष का निर्वाचन 26 अगस्त को निर्धारित किया है।


अध्यक्ष का निर्वाचन का नियाम

  1.  अध्यक्ष का निर्वाचन उस तिथि को होगा जो राज्यपाल नियत करेंगे और सचिव उस तिथि की सूचना हर सदस्य को भेजेंगे।
  2. इस प्रकार नियत तिथि के पूर्व दिन मध्याह्न के पहले किसी समय कोई सदस्य सचिव को संबोधित करते हुये इस आशय के प्रस्ताव की लिखित सूचना दे सकेंगे कि कोई दूसरे सदस्य (सदन के अध्यक्ष चुने जाएं । यह सूचना किसी तीसरे सदस्य द्वारा अनुमोदित होगी और सूचना में जिन सदस्य का नाम प्रस्तावित हो, उनका यह वक्तव्य भी साथ रहेगा कि निर्वाचित होने पर वे अध्यक्ष के रूप में कार्य करने को राजी है। लेकिन कोई सदस्य न तो अपना नाम प्रस्थापित करेंगे, न अपना नाम प्रस्थापित करने वाले किसी प्रस्ताव का अनुमोदन करेंगे और न एक से अधिक प्रस्तावों की प्रस्थापना या अनुमोदन करेंगे।
  3. जिन सदस्य के नाम पर कार्य सूची में कोई प्रस्ताव हो वे पुकारे जाने पर प्रस्ताव करेंगे या उसे वापस लेंगे और इस आशय के वक्तव्य मात्र तक अपने को सीमित रखेंगे। लेकिन उम्मीदवार उस प्रस्ताव पर मत लिये जाने के पहले किसी समय अपना नाम वापस ले सकेंगे।
  4. इस प्रकार किये गये और यथावत अनुमोदित प्रस्ताव जिस क्रम से वे किये गये हों उसी क्रम से एक-एक करके मत के लिए रखे जायेंगे और यदि आवश्यक हो तो विभाजन द्वारा उनका निर्णय होगा । यदि कोई प्रस्ताव स्वीकृत हो जाय तो अध्यासी व्यक्ति बाद के प्रस्ताव रखे बिना घोषित करेंगे कि स्वीकृत प्रस्ताव में प्रस्थापित सदस्य सदन के अध्यक्ष चुन लिये गये।

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