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वैशाली लोकसभा : जाति के जकड़न में फंसी लोकतंत्र की जननी, राजपूत से सीट छीनने को लालू ने चला भूमिहार दांव

वैशाली लोकसभा : जाति के जकड़न में फंसी लोकतंत्र की जननी, राजपूत से सीट छीनने को लालू ने चला भूमिहार दांव

पटना. 13 में 11 बार राजपूत जाति का सांसद चुनने वाले वैशाली में राजद ने भूमिहार जाति से आने वाले मुन्ना शुक्ला को उम्मीदवार बनाकर लोकसभा चुनाव का मुकाबला रोचक कर दिया है. इस लड़ाई में एक ओर राजपूत जाति से आने वाली लोजपा (रामविलास) की वीणा देवी हैं जो लगातार दूसरी बार सांसद बनने के लिए चुनाव मैदान में हैं. ऐसे में लोकतंत्र की जननी वैशाली में इस बार सियासी समीकरण जातियों के ध्रुवीकरण के बीच केन्द्रित हो चुका है. दरअसल, 1977 में अस्तित्व में आए वैशाली में हुए 13 चुनावों में 11 बार राजपूत और दो बार भूमिहार जाति से सांसद रहे. ऐसे में दोनों ओर से अपनी अपनी जातियों को गोलबंद करने के लिए बड़ी जमीन पर बड़ी रणनीति बनाई गई है. 

वैशाली से सर्वाधिक पांच बार राजद के दिग्गज नेता रघुवंश प्रसाद सिंह सांसद रहे. हालाँकि 2014 में लोजपा के टिकट पर बाहुबली रामा सिंह से रघुवंश प्रसाद की हार हुई. बाद में रामा सिंह राजद में चले गये. इस बार भी राजद से टिकट लेने की कोशिश में थे लेकिन लालू यादव की पार्टी ने उन्हें दरकिनार कर एक एनी बाहुबली मुन्ना शुक्ला को उम्मीदवार बना दिया. इससे नाराज रामा सिंह फिर से राजद छोड़कर लोजपा में चले गये जबकि उनकी पत्नी राजद से ही विधायक हैं. अब रामा सिंह ने यहाँ मुन्ना शुक्ला की राह में बाधा डालने की कोशिश शुरू कर दी है. साथ ही लोजपा (रामविलास) की वीणा देवी के लिए बड़े स्तर पर राजपूतों को गोलबंद करने में जुटे हैं. वीणा के पति दिनेश सिंह एमएलसी हैं और मुजफ्फरपुर इलाके में अच्छी पकड़ रखते हैं.

ऐसे में तीन बार के विधायक मुन्ना शुक्ला को अपने स्वजातीय भूमिहार वोटरों के साथ ही यादव, मल्लाह और मुस्लिम वोटरों से बड़ी आस है. मुन्ना शुक्ला की बात करें तो वे पहले भी वैशाली लोकसभा सीट से दो बार चुनाव लड़ चुके हैं. हालांकि दोनों ही बार उनकी हार हुई थी. लोकसभा चुनाव 2009 में मुन्ना शुक्ला ने जदयू की टिकट पर चुनाव लड़ा था. लोकसभा चुनाव 2014 में मुन्ना शुक्ला ने अपनी पत्नी अनु शुक्ला को निर्दलीय खड़ा किया था. अनु शुक्ला को भी हार का सामना करना पड़ा था. 2014 में मुन्ना शुक्ला की पत्नी निर्दलीय लड़ीं और एक लाख वोट लाकर चौथे स्थान पर रहीं थी. ऐसे में अब राजद का टिकट मिलने से मुन्ना शुक्ल को आस है कि उन्हें इस बार जीत मिलेगी. 

माना जाता है कि करीब 3.5 लाख से 4 लाख के बीच राजपूत मतदाता हैं. वहीं भूमिहार और यादव भी 2.5- 2.5 लाख माने जाते हैं. 1.5 लाख मुसलमान और 1.25 लाख कुशवाहा मतदाता हैं. इसी तरह मल्लाह की संख्या भी इसी के आसपास है. दोनों ओर इन वोटरों को अपने अपने पक्ष में गोलबंद कर अपनी जीत सुनिश्चित करने की कोशिश की जा रही है. इन सबमे पिछड़ों और दलितों की संख्या भी निर्णायक है और जीत-हार में इन वोटरों की सबसे अहम भूमिका हो सकती है. 

वैशाली लोकसभा सीट में वैशाली विधानसभा के अलावा मुजफ्फरपुर के पांच विधानसभा क्षेत्र मीनापुर, कांटी, बरूराज, पारू और साहेबगंज हैं। इनमें भाजपा के पास तीन, राजद के पास दो और जदयू के पास एक विधानसभा सीट है।  अभी वैशाली विधानसभा सीट पर जेडीयू का कब्जा है. मीणापुर विधानसभा सीट पर आरजेडी ने जीत दर्ज की है. कांती विधानसभा सीट भी आरजेडी के खाते में है. बरौज विधानसभा सीट पर बीजेपी का कब्जा है. पारू विधानसभा सीट पर  बीजेपी ने जीत दर्ज की है. साहेबगंज विधानसभा सीट से राजू कुमार सिंह विधायक हैं. अब 25 जून को पहले गणराज्य के रूप में प्रसिद्ध वैशाली में किसके साथ समीकरण फिट बैठते हैं यह बेहद महत्वपूर्ण होगा. 

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