पटना- राष्ट्रीय लोक मोर्चा के अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा राज्यसभा जाएंग. एनडीए की ओर से आधिकारिक रूप से उपेंद्र कुशवाहा को राज्यसभा भेजने का ऐलान कर दिया गया है. अभी भी आरसीपी सिंह और पशुपति पारस हासिए पर हैं. इनका क्या होगा. आधिकारिक घोषणा होने के बाद कुशवाहा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत एनडीए के तमाम घटक दलों के नेताओं का धन्यवाद किया है.कुशवाहा ने एक्स मीडिया पर लिखा कि राज्यसभा की सदस्यता के लिए एनडीए की ओर से मेरी उम्मीदवारी की घोषणा के लिए बिहार की आम जनता एवं राष्ट्रीय लोक मोर्चा सहित एनडीए के सभी घटक दलों के कर्मठ कार्यकर्ताओं, जिन्होंने विपरित परिस्थिति में भी मेरे प्रति अपना स्नेह बनाए रखा.
लोकसभा चुनाव 2024 में एनडीए के घटक दल के उम्मीदवार के रूप में उपेंद्र कुशवाहा ने काराकाट से चुनाव लड़ा था. लेकिन चुनाव त्रिकोणीय हुआ इस वजह से उपेंद्र कुशवाहा की इस सीट से हार हो गई थी. वोटों के बंटवारे की वजह से तमाम कोशिशों के बाद कुशवाहा यहां से जीत नहीं पाए. चुनाव परिणाम आने के बाद हालांकि उपेंद्र कुशवाहा ने मीडिया के सामने अपनी पीड़ा जाहिर करते हुए कहा था व चुनाव हारे हैं या हरवाये गयेहैं यह सबको पता है.
केंद्रीय मंत्री रह चुके राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के नेता पशुपति कुमार पारस हार-थक कर एनडीए में रह तो गए, लेकिन उन्हें लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं मिला। नीतीश से बगावत कर पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह भाजपा का हिस्सा बन गए थे, पर उन्हें भी लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं मिल पाया.
कुशवाहा को एन डीए ने सेट कर दिया चो पसिपति पारस का क्या होगा. चिराग पासवान ने लोकसभा चुनाव 2024 में बिहार की पांच सीटों पर प्रत्याशी दिए और पांचों जीत गए। चिराग से लड़ने के फेर में लोक जनशक्ति पार्टी (राष्ट्रीय) के प्रमुख पशुपति कुमार पारस ने आव देखा न ताव और केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा देकर बैठ गए थे। जब कहीं बात नहीं बनी तो एनडीए में ही रहने का एलान भी किया। लेकिन, अब समय चिराग पासवान का है। केंद्र में वह मंत्री हैं। चाचा पशुपति कुमार पारस बाहर हुए तो अब बाहर ही हो गए। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन से राज्यसभा जाने का सपना और दावा, दोनों बिखर गया। लोकसभा चुनाव होने के कुछ दिन पहले केंद्र में मंत्री थे। चुनाव के दिन तक सांसद थे। अब, कुछ नहीं बचे। भाजपा ने अपने कोटे का राज्यसभा वाला टिकट उपेंद्र कुशवाहा को दे दिया है. एनडीए पारस ने छोड़ा जब इंडिया में भाव नहीं मिला तो फिर लौट आए एनडीए में .
जब जदयू 2022 में भाजपा से अलग हुई थी उसने इसका पूरा ठीकरा आरसीपी सिंह पर ही फोड़ा था. इसके बाद आरसीपी भी जदयू से नाता टूटने के बाद बीजेपी खेमे का हिस्सा बन गए थे. तब से लेकर अब तक वो भाजपा के लिए वफादार तो हैं लेकिन इसका इनाम उन्हें अब तक नहीं मिला.
बिहार की राजनीति के जानकारों का कहना है कि बीजेपी अपने सहयोगी पार्टियों और उनके नेताओं का पूरा सम्मान करना जानती है. जहां तक पार्टी के विस्तार की बात है तो वह तो हर पार्टी करना चाहती है और लोकतंत्र में करती भी है.