UP NEWS: यूरोप की नदियों को मां गंगा जैसा बनाने की तैयारी, यूपी क...

UP NEWS: यूरोप की नदियों को मां गंगा जैसा बनाने की तैयारी, य

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की मां गंगा की अद्भुत क्षमता से प्रभावित होकर अब यूरोप के 50 देश गंगा नदी के प्राकृतिक गुणों और जलीय कृषि के क्षेत्र में भारत की उन्नत तकनीकों को समझने और अपनाने के लिए तैयार हैं। यूरोपीय देशों ने इसके लिए स्पेन में एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित करने का निर्णय लिया है, जिसमें दुनिया भर के वैज्ञानिक और जलीय कृषि विशेषज्ञ हिस्सा लेंगे। इस सम्मेलन में उत्तर प्रदेश के प्रयागराज निवासी पद्मश्री वैज्ञानिक डॉ. अजय सोनकर को विशिष्ट अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है। डॉ. सोनकर ने अपनी प्रयोगशाला में गंगा नदी की स्वच्छता और दिव्यता को साबित कर दिखाया है, जैसा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने वक्तव्य में उल्लेख किया था।


गंगा की अद्भुत शक्ति से अभिभूत यूरोपियन देशों का रुझान

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा आयोजित महाकुम्भ के बाद से गंगा नदी को लेकर यूरोपीय देशों में गहरी रुचि देखी जा रही है। डॉ. अजय सोनकर, जो भारत के महान वैज्ञानिक एपीजे अब्दुल कलाम के साथ कार्य कर चुके हैं, को यूरोप से विशेष निमंत्रण प्राप्त हुआ है। डॉ. सोनकर का कहना है कि गंगा स्नान से किसी को भी स्वास्थ्य हानि नहीं हुई है, जबकि कुछ नकारात्मक तत्वों ने गंगा जल को दूषित साबित करने की कोशिश की थी, लेकिन वे पूरी तरह से विफल रहे। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने गंगा की अद्भुत शक्ति को बिना प्रभावित किए सही दिशा में कार्य किया है।


गंगा की पवित्रता की अद्वितीय शक्ति

डॉ. सोनकर के अनुसार महाकुम्भ के दौरान यह स्पष्ट रूप से साबित हुआ कि गंगा की पवित्रता की शक्ति कल्पना से कहीं अधिक दिव्य है। गंगा नदी हिमालय से निकलकर कई राज्यों और घनी आबादी वाले क्षेत्रों से गुजरते हुए प्रयागराज के त्रिवेणी संगम तक पहुंचती है, लेकिन अपनी स्वच्छता को बनाए रखते हुए इसकी शुद्धता अद्वितीय रहती है। महाकुम्भ में लाखों श्रद्धालुओं ने गंगा में स्नान किया और कोई भी स्वास्थ्य समस्या का सामना नहीं किया।


मुख्यमंत्री योगी का प्रबंधन और वैश्विक सराहना

डॉ. सोनकर ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के महाकुम्भ प्रबंधन की सराहना करते हुए कहा कि यह प्रबंधन अद्वितीय था। उन्होंने बताया कि वैज्ञानिक अनुसंधान में गंगा जल को अल्कलाइन वॉटर से भी अधिक शुद्ध और रोगाणु मुक्त पाया गया। उन्होंने यह भी कहा कि गंगा के दिव्य जल को दूषित करने की कोशिश करने वाले कुछ तत्वों को अब मुंह की खानी पड़ी।


शोध के दौरान नई जानकारी और रहस्यों का खुलासा

महाकुम्भ के दौरान किए गए शोध में गंगा नदी और अन्य जल स्रोतों के प्राकृतिक स्वरूप को बचाए रखने के लिए कई महत्वपूर्ण जानकारियां और रहस्य उजागर हुए हैं। डॉ. सोनकर ने कहा कि उनका उद्देश्य इन वैज्ञानिक परिणामों से दुनिया को अवगत कराना है, ताकि गंगा की महान प्राकृतिक शक्ति को सुरक्षित रखने के लिए बेहतर योजनाएं बनाई जा सकें।


यूरोपीय जलीय कृषि सोसायटी द्वारा डॉ. सोनकर को आमंत्रण

यूरोपीयन एक्वाकल्चर सोसाइटी (EAS), एक अंतर्राष्ट्रीय गैर-लाभकारी संगठन, ने डॉ. अजय कुमार सोनकर को आमंत्रित किया है। डॉ. सोनकर ने गंगा नदी में बैक्टीरियोफेज डायवर्सिटी पर शोध करके गंगा जल की शुद्धता को प्रयोगशाला में प्रमाणित किया है। उनके शोध के अनुसार, गंगा नदी में मौजूद जीवाणुभोजी प्रदूषित जलीय पारिस्थितिकी तंत्र में रोगजनक बैक्टीरिया के खिलाफ एक प्राकृतिक संरक्षक का काम करती हैं। इस शोध के परिणामों को एक्वाकल्चर यूरोप पत्रिका के आगामी संस्करण में प्रकाशित करने की योजना है।


गंगा की खूबियों को यूरोप की नदियों में अपनाने की इच्छा

यूरोपीय देशों ने गंगा नदी की प्राकृतिक खूबियों को अपनी नदियों में अपनाने की इच्छा जताई है। डॉ. सोनकर के शोध के प्रारंभिक निष्कर्षों को जल निकायों के प्रबंधन और संरक्षण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। यूरोपीयन एक्वाकल्चर सोसाइटी के कार्यकारी निदेशक एलिस्टेयर लेन ने डॉ. सोनकर को एक पत्र लिखकर उन्हें एक्वाकल्चर यूरोप 2025 (AE2025) सम्मेलन में भाग लेने का निमंत्रण भेजा है। यह सम्मेलन 22-25 सितंबर 2025 को स्पेन के वेलेंसिया शहर में आयोजित होगा।


एक्वाकल्चर यूरोप 2025: जलीय कृषि का वैश्विक मंच

AE2025 सम्मेलन और प्रदर्शनी में दुनिया भर से जलीय कृषि के विशेषज्ञ और वैज्ञानिक शामिल होंगे। इस सम्मेलन में जलीय कृषि के तकनीकी और व्यावहारिक पहलुओं पर नवीनतम शोध और जांच प्रस्तुत की जाएगी। डॉ. सोनकर को इस सम्मेलन में अपने शोध का सार प्रस्तुत करने का अवसर मिलेगा। उनकी विशेषज्ञता और उपस्थिति से न केवल सम्मेलन को लाभ होगा, बल्कि भारत में जलीय कृषि और जल प्रणालियों के प्रबंधन के लिए भी नई दिशा मिलेगी। इस सम्मेलन में भाग लेने से डॉ. सोनकर को गंगा के अद्भुत गुणों को और व्यापक स्तर पर प्रस्तुत करने का एक महत्वपूर्ण अवसर मिलेगा, जिससे वैश्विक स्तर पर जल संरक्षण और जलीय कृषि के क्षेत्र में नई दिशा मिल सकेगी।

Editor's Picks