Chandrashekhar Death Anniversary: चंद्रशेखर दिन में तीन बार अपने फैसले नहीं बदलता, जब 'बलिया के बाबू साहेब' ने शरद पवार से राजीव गाँधी को भिजवाया सन्देश....

Chandrashekhar Death Anniversary: कभी शरद पवार को चंद्रशेखर ने साफ साफ़ कह दिया की प्रधानमंत्री पड़ की आप उपहास नहीं उड़ा सकते.....जानिए क्या है पूरा मामला

चंद्रशेखर अलग है...- फोटो : SOCIAL MEDIA

N4N DESK : भारत के 8वें प्रधानमंत्री रहे चंद्रशेखर का 08 जुलाई 2007 को निधन हो गया था। किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले पूर्व पीएम चंदशेखर 'युवा तुर्क' और 'क्रांतिकारी जोश' के नाम से भी फेमस रहे। बता दें कि प्रधानमंत्री बनने से पहले वह किसी राज्य या केंद्र में मंत्री पद पर नहीं रहे थे। लेकिन फिर भी चंद्रशेखर की आवाज संसद से लेकर सड़क तक गूंजती थी। भले ही उनका बतौर प्रधानमंत्री कार्यकाल छोटा रहा, लेकिन उससे कहीं ज्यादा लंबा उनका राजनीतिक सफर रहा है। तो आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर पूर्व पीएम चंद्रशेखर के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातें। 

इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए लोकसभा चुनाव में राजीव गांधी के नेतृत्व कांग्रेस पार्टी ने 400 से अधिक सीटें जीती थी। लेकिन 1989 के चुनाव में बाजी पलट गई और बोफोर्स के शोर में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी रहते हुए भी बहुमत से दूर रह गयी। जनता दल के विश्वनाथ प्रताप सिंह को प्रधानमंत्री बनाया गया। जिन्हें भाजपा और वाम दलों का समर्थन प्राप्त था। लेकिन 1991 में रथ यात्रा निकाल रहे लालकृष्ण आडवाणी को जनता दल के बिहार के मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद बीजेपी ने जनता दल के सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया। जिससे विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार अल्पमत में आ गई। इसके बाद अपनी ही पार्टी के 64 सांसदों को लेकर चंद्रशेखर अलग हो गए और समाजवादी जनता पार्टी बनाई। 

64 सांसदों की मदद से चंद्रशेखर ने सरकार बनाने का दावा पेश किया। जिसे राजीव गांधी ने समर्थन दिया था। 10 नवंबर 1990 को चंद्रशेखर ने देश के आठवें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। हालाँकि चंद्रशेखर ने 6 मार्च 1991 को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। वह सिर्फ 4 महीने तक देश के प्रधानमंत्री रहे। कांग्रेस पार्टी का आरोप था कि सरकार उनके नेता राजीव गांधी की जासूसी करा रही है। कहा YH भी गया की कांग्रेस सरकार में दखल दे रही है। 

शरद पवार ने अपनी किताब में लिखा कि राजीव गांधी ने दिल्ली बुलाकर मुझसे कहा था कि क्या मैं चंद्रशेखर को इस्तीफा नहीं देने के लिए मना सकता हूँ। जिसके बाद मैं चंद्रशेखर के पास गया और उनसे इस्तीफा लेने को कहा। लेकिन चंद्रशेखर ने गुस्से में कहा की आप देश के प्रधानमंत्री के पद का इस तरह उपहास कैसे कर सकते हैं। उन्होंने कहा की जाकर उनसे कह दो की चंद्रशेखर एक दिन में तीन बार अपने विचार नहीं बदलता। इसके बाद देश में फिर चुनाव हुए और देश के अगले प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव बनाए गए।