Bihar vidhansabha election 2025: एनडीए का मिशन 220 नहीं है मुश्किल लक्ष्य, सीएम नीतीश ने पूरी तैयारी के बाद दिया है टारगेट, राजद और विपक्ष के लिए चिंताजनक आंकड़े
Bihar vidhansabha election 2025:एनडीए अगले वर्ष के विधानसभा चुनाव में 220 सीटों पर जीत हासिल करना चाहती है. जदयू और भाजपा के शीर्ष नेताओं की मौजूदगी में सीएम नीतीश ने मिशन 220 का चुनावी मंत्र भी दिया है.
Bihar vidhansabha election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव में भले ही अभी एक साल का समय शेष हो लेकिन एनडीए ने चुनावी श्रीगणेश कर दिया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में सोमवार को हुई एनडीए घटक दलों की बैठक में चुनावी लक्ष्य भी तय कर लिया गया है. एनडीए अगले वर्ष के विधानसभा चुनाव में 220 सीटों पर जीत हासिल करना चाहती है. जदयू और भाजपा के शीर्ष नेताओं की मौजूदगी में सीएम नीतीश ने मिशन 220 का चुनावी मंत्र भी दिया है. साथ ही एनडीए के लिए उन्होंने विधानसभा चुनाव में 220 से ज्यादा सीटें हासिल करने का भी टारगेट रखा है. सीएम नीतीश ने जो टारगेट रखा है वह ज्यादा मुश्किल भी नहीं है लेकिन उसके लिए सब कुछ लोकसभा चुनाव की तरह होना चाहिए.
इसी वर्ष हुए लोकसभा चुनाव के आंकड़े देखें तो बिहार में एनडीए को कई सीटों पर बड़ी चुनौतियां झेलनी पड़ी. यहां तक कि वर्ष 2019 में एनडीए के खाते में बिहार की 40 में 39 सीटें आई थी. वहीं इस बार 2024 में इंडिया गठबंधन ने बिहार में न सिर्फ लोकसभा सीटें जीतने में सफलता हासिल की बल्कि वोट प्रतिशत भी बढ़ा. बिहार में लोकसभा की 40 और विधानसभा की 243 सीटें हैं. ऐसे में अगर लोकसभा चुनाव का विधानसभावार आंकड़ा देखें तो कई क्षेत्रों में इंडिया ने बेहतर प्रदर्शन किया. हालांकि विधानसभावार विश्लेषण में एनडीए के लिए राहत की बात है कि राज्य के 173 विधानसभा क्षेत्रों में उसे बढ़त मिली है. वहीं इंडिया सिर्फ 63 विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त हासिल की. सीएम नीतीश और एनडीए के लिए यही आंकड़ा उनके मिशन 220 में मनोबल को बढ़ाता है.
दरअसल, एनडीए के लिए राहत की एक और बात यह भी है बिहार के 40 में से 14 लोकसभा क्षेत्र ऐसे रहे जहां महागठबंधन को एक भी विधानसभा क्षेत्र में बढ़त नहीं मिला. आरजेडी, कांग्रेस और लेफ्ट का स्कोर 14 लोकसभा क्षेत्र के प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में जीरो रहा. यह ऐसा आंकड़ा है जो एक ओर इंडिया गठबंधन की चिंता बढ़ाता है तो दूसरी ओर नीतीश कुमार और एनडीए के मनोबल को बढ़ाता है. इतना ही नहीं 2 ऐसे विधानसभा क्षेत्र भी रहे जहां ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम को बढ़त मिली. दोनों ही विधानसभा क्षेत्रों में मुस्लिम आबादी ज्यादा है तो यह एनडीए के लिए राहत की खबर है कि एक प्रकार से राजद के एम-वाई में ओवैसी की सेंधमारी है. इतना ही नहीं विधानसभावार चार क्षेत्रों में निर्दलीय प्रत्याशी भी बढ़त बनाने में सफल रहे.
विधानसभा चुनाव 2020 में एनडीए एनडीए को 125 सीटें मिली थीं. उस समय महागठबंधन को 110 सीटों पर जीत मिली थी. वहीं अब लोकसभा चुनाव के दौरान 173 विधानसभा क्षेत्रों में एनडीए को बढ़त मिली. यानी वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव के मुकाबले इस बार एनडीए को 48 अधिक सीटों पर बढ़त मिली. साथ ही सुपौल, खगड़िया, पूर्णिया, जमुई, पश्चिम चंपारण, दरभंगा, मधुबनी, झंझारपुर, समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर, वैशाली, महाराजगंज, सीवान, गोपालगंज लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाली सभी विधानसभाओं में एनडीए या निर्दलीय प्रत्याशी ही आगे रहे.
माना जा रहा है सीएम नीतीश के लिए लोकसभा चुनाव का विधानसभावार विश्लेषण ही उन्हें उत्साहित किए है. इसी कारण उन्होंने मिशन 220 का लक्ष्य रखा है. जैसे लोकसभा चुनाव के दौरान 173 विधानसभा क्षेत्रों में एनडीए, पांच क्षेत्रों में निर्दलीय तो दो पर AIMIM के उम्मीदवार आगे रहे. ऐसे में यही ट्रेंड अगर अगले वर्ष के विधानसभा चुनाव में बरकरार रहता है तो एनडीए का मिशन 220 सपना नहीं कहा जा सकता है.