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Bihar Teacher News: बिहार के शिक्षकों का दर्द,8 हजार रुपए में क्या करें और न करें,न दवाई न मिठाई...कष्ट अब सहा भी नहीं जा रहा.

बिहार के शारीरिक शिक्षक और स्वास्थ्य अनुदेशक, जिनकी भूमिका बच्चों को शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण है, खुद आर्थिक और मानसिक तनाव में हैं।

Bihar Teacher News: बिहार के शिक्षकों का दर्द,8 हजार रुपए में क्या करें और न करें,न दवाई न मिठाई...कष्ट अब सहा भी नहीं जा रहा.
बिहार के शिक्षकों का दर्द- फोटो : AI GENERATED

Bihar Teacher News: बिहार के शारीरिक रूप से कमजोर शिक्षकों का दर्द छलक उठा है। इनका कहना है कि सरकार उनकी नहीं सुनती है और बोलने पर पुलिस लाठीयों से मारती है। ऐसे में वह क्या करें? ना तो अपनी मां की दवाई ला सकते हैं और ना ही बच्चों की फीस भर सकते हैं। कम पैसों की वजह से घर का खर्च चलाने के लिए भी घर वालों से पैसे मांगने पड़ते हैं। 

बिहार में नव नियुक्त शारीरिक शिक्षक और स्वास्थ्य अनुदेशक आर्थिक तंगी और वेतन विसंगतियों से जूझ रहे हैं। महज ₹8,000 मासिक वेतन पर काम कर रहे इन शिक्षकों के लिए जीवनयापन करना अत्यंत कठिन हो गया है। उनकी शिकायतें और विरोध लंबे समय से जारी हैं, लेकिन सरकारी स्तर पर अब तक कोई ठोस समाधान नहीं निकला है।

शिक्षकों की शिकायतें और चुनौतियां

शिक्षकों का कहना है कि उन्हें अपने परिवार का सामना करने में भी शर्म आती है। वे मां की दवा, बच्चों की फीस और दैनिक खर्चों के लिए पैसे नहीं जुटा पाते। अधिकांश शिक्षक घर से दूर स्कूलों में तैनात हैं और किराए के मकानों में रहते हैं। ₹8,000 की तनख्वाह का बड़ा हिस्सा किराए और यात्रा में खर्च हो जाता है।

शिक्षा और मेहनत का कोई सम्मान नहीं 

शिक्षकों ने लाखों रुपये खर्च कर मैट्रिक, इंटर, ग्रेजुएशन और B.P.Ed की पढ़ाई की। 2019 में STET पास करने के बाद तीन साल इंतजार करना पड़ा। 2022 में नौकरी मिलने के बाद भी वेतन की स्थिति दयनीय बनी रही।

संघर्ष और आंदोलन का सिलसिला

शिक्षक प्रतिनिधियों ने कई बार पटना में धरना प्रदर्शन किया। अपनी शिकायतें सरकार और राजनीतिक दलों के नेताओं तक पहुंचाईं। 26 जुलाई और 25 अक्टूबर 2024 को पटना सचिवालय और जदयू कार्यालय का घेराव करने पर शिक्षकों पर लाठीचार्ज किया गया। इससे शिक्षकों में गहरी नाराजगी और हताशा है।

आगामी विरोध प्रदर्शन

भागलपुर संघ के अध्यक्ष अभय मिश्रा ने बताया कि 25 नवंबर से बिहार विधानसभा सत्र के दौरान एक और बड़े धरने की योजना बनाई गई है। शिक्षकों ने न्यूनतम वेतन को बढ़ाकर उनके जीवनयापन योग्य बनाने की मांग की है। सरकार से वेतन विसंगतियों को दूर करने और शिक्षकों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए ठोस कदम उठाने की अपील की गई है।

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