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National Youth Day: नए बिहार की शान है ये महिलाएं, जिन्होंने अपने काम से लोगों को दे रही प्रेरणा, जानें कैसे राज्य को बेहतर बनाने में जुटी हैं ये युवतियां?

राष्ट्रीय युवा दिवस पर स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं का जश्न मनाया जाता है, जो पटना की महिलाओं को रूढ़िवादिता को तोड़ने और सामाजिक सुधार में योगदान देने के लिए प्रेरित करती हैं। जानें कि वे कैसे बदलाव ला रही हैं।

National Youth Day: नए बिहार की शान है ये महिलाएं, जिन्होंने अपने काम से लोगों को दे रही प्रेरणा, जानें कैसे राज्य को बेहतर बनाने में जुटी हैं ये युवतियां?
महिला सशक्तिकरण की मिसाल पेश करती युवतियां- फोटो : freepik

National Youth Day: स्वामी विवेकानंद की जयंती पर मनाए जाने वाले राष्ट्रीय युवा दिवस पर पटना शहर में प्रेरणादायी महिलाओं की बदौलत बदलाव की लहर देखी जा रही है। ये महिलाएं रूढ़िवादी सोच की बेड़ियों को तोड़कर प्रगतिशील समाज का मार्ग प्रशस्त कर रही हैं। आइए मिलते हैं ऐसी ही कुछ प्रेरणादायी शख्सियतों से।

इबराना नाज: महिलाओं के अधिकारों की प्रहरी

दरगाह रोड की इबराना नाज पिछले आठ साल से महिलाओं और बच्चों के अधिकारों के लिए काम कर रही हैं। वे संगठनों के साथ मिलकर महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक कर रही हैं। भारतीय कानून में दिए गए अधिकार जैसे यौन उत्पीड़न से सुरक्षा, जीरो एफआइआर का अधिकार और समान वेतन का अधिकार पर जागरूकता फैलाने में इबराना का अहम योगदान है। स्लम में बच्चों को उनके अधिकारों और कानून की जानकारी देकर, वे उन्हें सशक्त बनाने का प्रयास कर रही हैं।

स्मिता वर्षा झा: रक्तदान जागरूकता की मिसाल

महेंद्रू की रहने वाली स्मिता वर्षा झा 2017 से लगातार रक्तदान कर रही हैं। अपनी मां की प्रेरणा से उन्होंने यह कदम उठाया और आज वे हर साल तीन बार रक्तदान करती हैं। साथ ही, वे लोगों को रक्तदान से जुड़ी भ्रांतियों को दूर करने में मदद करती हैं। उनके प्रयासों से कई लोग रक्तदान के महत्व को समझ चुके हैं और इस दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं।

मोनालिसा: कचरा प्रबंधन की नायिका

मूल रूप से जगदेव पथ की रहने वाली मोनालिसा ने कचरा प्रबंधन के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाई है। उनकी कंपनी मिथिंगा वेस्ट मैनेजमेंट प्रा. लि. नगर निकायों के साथ मिलकर कचरा प्रबंधन पर काम करती है। बचपन से प्रकृति के प्रति लगाव के चलते मोनालिसा ने इस क्षेत्र में करियर बनाया और लोगों को कचरा कम करने के प्रति जागरूक करने का अभियान चला रही हैं।

देबोप्रिया दत्ता: पर्यावरण संरक्षण की आवाज

बोरिंग रोड की देबोप्रिया दत्ता पिछले 10 साल से पर्यावरण संरक्षण के लिए काम कर रही हैं। तरुमित्र की कोऑर्डिनेटर और यूएन की प्रतिनिधि के रूप में, वे स्कूलों और कॉलेजों में कार्यशालाएं आयोजित कर बच्चों को पौधरोपण और प्रकृति से जुड़ने के लिए प्रेरित करती हैं। उनका मानना है कि ग्लोबल वार्मिंग और पर्यावरण संरक्षण आज के समय की सबसे बड़ी चुनौतियां हैं, जिनसे निपटने के लिए युवाओं को जिम्मेदारी उठानी होगी।

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