Bihar Crime:बिहार में गजब खेल, अस्पताल में नवजात की अदला-बदली, नर्स ने बेटा दिखाया, बेटी थमाई, फिर उठे बच्चे बदलने के सवाल

बेड हेड टिकट पर बेटे के जन्म की एंट्री दर्ज है, जबकि हकीकत बेटी की है। यानी न सिर्फ परिवार, बल्कि आधिकारिक दस्तावेज भी ‘सच और झूठ’ की पहेली बन गए हैं।

Bihar Crime:बिहार में गजब खेल, अस्पताल में नवजात की अदला-बदल
नर्स ने बेटा दिखाया, बेटी थमाई- फोटो : social Media

Bihar Crime: एक बार फिर बच्चा बदलने का विवाद खड़ा हो गया।मुजफ्फरपुर के श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल  स्थित MCH में मंगलवार को अहियापुर थाना क्षेत्र के बीजेछपरा गांव की चंचला कुमारी का प्रसव हुआ तो नर्स ने परिजनों को बेटे के जन्म की जानकारी दी। खुशियों के बीच बधाई का दौर चला, मिठाई बंटी, लेकिन घर पहुंचते-पहुंचते कहानी ने अचानक पलटी मार दी। जब जच्चा-बच्चा को लेकर परिवार घर पहुंचा और नवजात को देखा तो बेटा नहीं, बेटी निकली। परिजनों के पैरों तले ज़मीन खिसक गई। नाराज़ परिवार दोबारा अस्पताल पहुंचा और नर्स पर बच्चे बदलने का आरोप लगाते हुए हंगामा खड़ा कर दिया।

सबसे बड़ा सवाल यह है कि अस्पताल के रिकॉर्ड में भी गड़बड़ी है। बेड हेड टिकट पर बेटे के जन्म की एंट्री दर्ज है, जबकि हकीकत बेटी की है। यानी न सिर्फ परिवार, बल्कि आधिकारिक दस्तावेज भी ‘सच और झूठ’ की पहेली बन गए हैं।

जैसे ही मामला तूल पकड़ा, SDPO-2 विनीता सिन्हा मौके पर पहुंचीं और HOD डॉ. प्रतिमा कुमारी से जानकारी ली। अस्पताल प्रशासन ने भी अपने स्तर से जांच शुरू कर दी है। मेडिकल ओपी प्रभारी राजकुमार गौतम ने परिजनों को किसी तरह शांत कराया।

लेकिन सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि यह कोई पहली घटना नहीं। 8 फरवरी 2020 को भी SKMCH से नवजात बदलने का मामला सामने आया था। उस समय शिवहर जिले की एक महिला का बच्चा NICU से गायब हो गया था। एक महिला बच्चे को बदलकर ले गई थी और सीसीटीवी फुटेज तक सामने आया, लेकिन आज तक उसका कोई सुराग नहीं मिला।

 जिस अस्पताल में बच्चे के जन्म की खुशी होनी चाहिए, वहां बार-बार “कौन किसका बच्चा है” का सवाल उठता रहा है।लोग कहते हैं कि यहां बच्चा पैदा नहीं होता, बल्कि ‘लॉटरी सिस्टम’ से बांटे जाते हैं। दस्तावेज बेटे के, गोद में बेटी ये मेडिकल साइंस है या जादू-टोना?

परिजनों का आरोप है कि यह महज़ गलती नहीं, बल्कि ‘सिस्टमेटिक गड़बड़ी’ है। अब जांच में ही यह साफ होगा कि यह मामला मानव-त्रुटि है, लापरवाही है या फिर अस्पताल के अंदर चल रहा कोई रैकेट।

बहरहाल  सवाल बड़ा है अगर 2020 की घटना का आज तक कुछ सुराग नहीं मिला, तो क्या इस बार भी ‘जांच’ और ‘आश्वासन’ के भरोसे मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा?

रिपोर्ट-मणिभूषण शर्मा