Bihar News: निलंबित सीओ प्रिंस राज उर्फ धर्मेंद्र का फर्जीवाड़ा, फर्जी मैट्रिक सर्टिफिकेट से BPSC पास, पत्नी का दावा- धर्मेंद्र तो मृत भाई!

Bihar News:एसवीयू का दावा है कि प्रिंस राज ने फर्जी मैट्रिक सर्टिफिकेट और जन्मतिथि में हेराफेरी कर नौकरी हासिल की, जबकि उनकी पत्नी का कहना है कि धर्मेंद्र उनके मृत भाई थे।

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सीओ प्रिंस राज उर्फ धर्मेंद्र का फर्जीवाड़ा- फोटो : social Media

Bihar News: बिहार के सुपौल जिले के निलंबित अंचलाधिकारी  प्रिंस राज उर्फ धर्मेंद्र कुमार भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़े के गंभीर आरोपों में घिर गए हैं। विशेष निगरानी इकाई की जांच में सनसनीखेज खुलासा हुआ है कि प्रिंस राज ने पूर्व विधायक के अनुदानित STSY स्कूल से फर्जी मैट्रिक प्रमाण पत्र बनवाकर बिहार लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास की। इसके साथ ही, उनकी आय से 93फीसदी अधिक अवैध संपत्ति और जन्मतिथि में चार साल की हेराफेरी का भी पर्दाफाश हुआ। दूसरी ओर, प्रिंस राज की पत्नी अंकु गुप्ता, जो खुद शेखपुरा जिले की सीओ हैं, ने दावा किया कि धर्मेंद्र उनके पति का स्वर्गवासी भाई है, जबकि प्रिंस राज अलग व्यक्ति हैं। आइए, इस मामले को विस्तार से समझते हैं।

प्रिंस राज और धर्मेंद्र: एक ही व्यक्ति या अलग-अलग?

एसवीयू की जांच में सामने आया कि प्रिंस राज का असली नाम धर्मेंद्र कुमार है। उन्होंने 2002 में बिहार बोर्ड से धर्मेंद्र कुमार के नाम से मैट्रिक परीक्षा दी थी, जिसमें वे द्वितीय श्रेणी में पास हुए। चूंकि द्वितीय श्रेणी तकनीकी संस्थानों में प्रवेश के लिए मान्य नहीं थी, उन्होंने पूर्व विधायक द्वारा संचालित एक अनुदानित STSY स्कूल से प्रिंस राज के नाम पर फर्जी मैट्रिक प्रमाण पत्र बनवाया। इस फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर उन्होंने BPSC की परीक्षा पास की और अंचलाधिकारी बने। जांच में यह भी पता चला कि उन्होंने अपनी जन्मतिथि में चार साल की हेराफेरी की, ताकि नौकरी में उम्र का अनुचित लाभ ले सकें।

हालांकि, प्रिंस राज की पत्नी अंकु गुप्ता ने इस दावे का खंडन किया है। उन्होंने कहा कि धर्मेंद्र उनके पति का बड़ा भाई था, जो अब स्वर्गवास कर चुका है। अंकु के मुताबिक, प्रिंस राज और धर्मेंद्र दो अलग-अलग व्यक्ति हैं, और उनके पति ने कभी कोई फर्जीवाड़ा नहीं किया। उन्होंने एसवीयू की जांच को साजिश करार देते हुए कहा कि उनके परिवार को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है। अंकु खुद जांच के दायरे में हैं, क्योंकि उनके नाम पर भी भारी मात्रा में संपत्ति और बैंक लॉकर पाए गए हैं।

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भ्रष्टाचार और अवैध संपत्ति का खेल

एसवीयू ने 16 अप्रैल 2025 को प्रिंस राज के मधुबनी और शेखपुरा स्थित ठिकानों पर छापेमारी की। इस दौरान उनके पैतृक आवास पर चार घंटे तक जांच चली, जिसमें मकान, फ्लैट, बैंक खाते, लाखों रुपये के सोने-चांदी के जेवरात, और संदिग्ध लेन-देन के दस्तावेज बरामद हुए। हजारीबाग की बैंक ऑफ इंडिया शाखा में अंकु गुप्ता के नाम पर एक लॉकर भी मिला। प्रारंभिक जांच में पता चला कि प्रिंस राज ने 2019 में सेवा में आने के बाद विभिन्न पदस्थापनों के दौरान अकूत संपत्ति अर्जित की, जो उनकी आय से 93% अधिक है।

प्रिंस राज पर सुपौल जिले में गैर-मजरूआ आम भूमि पर दाखिल-खारिज में अनियमितता के आरोप भी हैं। बसबिट्टी और गमदतपट्टी क्षेत्र में उन्होंने करीब 50 गैरकानूनी दाखिल-खारिज मंजूर किए, जिसके बाद एक RTI कार्यकर्ता की शिकायत पर राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने उन्हें निलंबित कर दिया। निलंबन के बाद उनकी प्रतिनियुक्ति कोशी कमिश्नरी में की गई, लेकिन भ्रष्टाचार के नए सबूत सामने आने के बाद एसवीयू ने उनके खिलाफ मामला दर्ज किया।

पत्नी के दावे और जांच की उलझन

अंकु गुप्ता के दावे ने इस मामले को और पेचीदा बना दिया है। उन्होंने कहा कि उनके पति प्रिंस राज ने हमेशा ईमानदारी से काम किया, और धर्मेंद्र के नाम पर बने सर्टिफिकेट उनके मृत भाई के हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि एसवीयू ने उनके परिवार को गलत तरीके से निशाना बनाया है। हालांकि, एसवीयू के अधिकारियों का कहना है कि प्रिंस राज और धर्मेंद्र के दस्तावेजों में एक ही व्यक्ति की पहचान मिलती है, और उनकी पत्नी का बयान जांच को भटकाने की कोशिश हो सकता है।छापेमारी के दौरान प्रिंस राज घर पर नहीं थे और शेखपुरा में अपनी पत्नी के आवास पर थे। एसवीयू ने उनके माता-पिता से पूछताछ की और संपत्तियों का आकलन किया। अधिकारियों का कहना है कि प्रिंस राज और उनकी पत्नी के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है, और जल्द ही उनकी गिरफ्तारी हो सकती है।एसवीयू अब प्रिंस राज और उनकी पत्नी के बैंक लॉकर और अन्य संपत्तियों की गहन जांच कर रही है। अधिकारियों का कहना है कि फर्जी सर्टिफिकेट और जन्मतिथि में हेराफेरी के सबूत पुख्ता हैं, और इसकी जांच बिहार बोर्ड और STSY स्कूल के रिकॉर्ड्स तक पहुंच गई है। अगर प्रिंस राज और धर्मेंद्र एक ही व्यक्ति साबित होते हैं, तो उनकी नौकरी खतरे में पड़ सकती है, और उन पर आपराधिक मुकदमा भी चल सकता है।

दूसरी ओर, अंकु गुप्ता के दावे की सत्यता की जांच भी चल रही है। अगर उनका दावा गलत साबित होता है, तो उन पर भी जांच को भटकाने का आरोप लग सकता है। यह मामला न केवल प्रिंस राज की विश्वसनीयता पर सवाल उठा रहा है, बल्कि बिहार की प्रशासनिक व्यवस्था में पारदर्शिता की कमी को भी उजागर कर रहा है।प्रिंस राज उर्फ धर्मेंद्र कुमार का मामला बिहार में भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़े का एक और नमूना बन गया है। एसवीयू का दावा है कि प्रिंस राज ने फर्जी मैट्रिक सर्टिफिकेट और जन्मतिथि में हेराफेरी कर नौकरी हासिल की, जबकि उनकी पत्नी का कहना है कि धर्मेंद्र उनके मृत भाई थे। सच क्या है, यह तो जांच के बाद ही पता चलेगा, लेकिन इतना तय है कि यह मामला बिहार की सियासत और प्रशासन में लंबे समय तक चर्चा का विषय बना रहेगा। क्या प्रिंस राज इस जाल से बच पाएंगे, या उनकी पत्नी का दावा जांच की दिशा बदल देगा? यह सवाल अभी अनुत्तरित है, लेकिन इस सनसनीखेज खुलासे ने सबको हैरान कर दिया है।

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