Bihar Four Lane Road:केंद्र सरकार की इस शर्त ने फोर लेन सड़क पर लगाया ग्रहण, बाबा विश्वनाथ से पशुपतिनाथ तक की राह में अड़चन, अधर में दरभंगा-जयनगर फोर लेन सड़क परियोजना

Bihar Four Lane Road: काशी से जनकपुर तक धार्मिक पर्यटन और व्यापार को नई रफ़्तार देने वाली दरभंगा-जयनगर फोर लेन सड़क परियोजना फिलहाल नीति के पेंच और कागज़ी अड़चनों में उलझकर रुक गई है।...

दरभंगा-जयनगर फोर लेन सड़क परियोजना
अधर में दरभंगा-जयनगर फोर लेन सड़क परियोजना - फोटो : social Media

Bihar Four Lane Road: काशी से जनकपुर तक धार्मिक पर्यटन और व्यापार को नई रफ़्तार देने वाली दरभंगा-जयनगर फोर लेन सड़क परियोजना फिलहाल नीति के पेंच और कागज़ी अड़चनों में उलझकर रुक गई है। बाबा विश्वनाथ से लेकर पशुपतिनाथ तक के यात्रियों के सपनों को जोड़ने वाला यह सपना अब केंद्र सरकार की नई शर्तों के कारण अधर में लटकता दिख रहा है।

दरअसल, आमस-दरभंगा एक्सेस कंट्रोल्ड हाईवे को विस्तार देते हुए एनएच-527बी पर दरभंगा से जयनगर तक चौड़ीकरण का प्रस्ताव लंबे समय से विचाराधीन है। इस सड़क की शुरुआत दरभंगा के दिल्ली मोड़ से होती है और यह जयनगर बॉर्डर तक जाती है, रास्ते में केवटी, रहिका, कलुआही, नरार जैसे कस्बों को जोड़ते हुए। परियोजना के पहले चरण में दरभंगा से बनवारीपट्टी तक 14 किलोमीटर की सड़क निर्माण की मंजूरी वर्ष 2023 में ही मिल गई थी।

लेकिन अब केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि जब तक गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे का निर्माण पूरा नहीं होता, तब तक इस सड़क का अगला हिस्सा नहीं बनाया जा सकता। मंत्रालय की दलील है कि इस फोर लेन सड़क को उस एक्सप्रेसवे से जोड़ा जाना है, और उसके लिए एक नया एलाइनमेंट बनाना होगा जिसकी स्वीकृति फिर से ली जानी चाहिए।मुश्किल ये है — गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे का ज़मीन अधिग्रहण भी शुरू नहीं हुआ है। ऐसे में जब तक वह एक्सप्रेसवे ज़मीन पर नहीं उतरता, तब तक दरभंगा-जयनगर सड़क भी फाइलों में ही दम तोड़ती रहेगी।

इस बीच, राज्य के पथ निर्माण विभाग ने केंद्र से इस पर पत्राचार कर स्थिति स्पष्ट करने का निर्णय लिया है। अधिकारियों का मानना है कि अगर इस प्रक्रिया में देर हुई तो 1300 करोड़ की स्वीकृति, जयनगर बाईपास, 15 किलोमीटर ग्रीनफील्ड सड़क और इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट  जैसे अन्य महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट भी कागजों तक सिमटकर रह जाएंगे।

 इस परियोजना के पूरे होने से वाराणसी से दरभंगा होते हुए नेपाल तक निर्बाध यात्रा संभव होगी।दरभंगा एयरपोर्ट तक सीमावर्ती इलाकों की कनेक्टिविटी सुधरेगी।धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन को मिलेगा ज़बरदस्त बढ़ावा।सीमाई व्यापार को नई राह मिलेगी।

लेकिन सवाल अब भी कायम है कि क्या नीति का इंतज़ार प्रगति पर भारी पड़ जाएगा? क्या धार्मिक आस्था और क्षेत्रीय विकास की इस सुनहरी राह पर नीति का ग्रहण पड़ा रहेगा?

बहरहाल इस सड़क का बनना सिर्फ़ ईंट-पत्थर का काम नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक धरोहर को जोड़ने की कोशिश है। अब देखना ये है कि ये राह जल्दी खुलेगी या वादों की धुंध में कहीं खो जाएगी।