Bihar Politics: महागठबंधन का चुनाव आयोग और केंद्र पर सनसनीखेज इल्जाम",कहा- गरीबों को वोटर लिस्ट से हटाने की हो रही है कोशिश, 9 जुलाई को चक्का जाम
Bihar Politics: बिहार की सियासत इन दिनों मतदाता पुनरीक्षण प्रक्रिया को लेकर उबाल पर है। इसको लेकर विरोध में महागठबंधन ने 9 जुलाई को क्का जाम की घोषणा की है....

Bihar Politics: बिहार की सियासत इन दिनों मतदाता पुनरीक्षण प्रक्रिया को लेकर उबाल पर है। महागठबंधन ने केंद्र सरकार और चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि एक सुनियोजित साज़िश के तहत गरीब, दलित, मजदूर और महादलित तबकों को मतदाता सूची से बाहर किया जा रहा है, ताकि राज्य में "डबल इंजन" की सरकार का रास्ता साफ किया जा सके।
महागठबंधन का दावा है कि करीब 3 करोड़ मतदाताओं के नाम काटने की तैयारी है। जहानाबाद के सांसद सुरेंद्र यादव ने इसे लोकतंत्र की खुली हत्या बताते हुए कहा कि गरीबों का वोट छीनना संविधान के खिलाफ बगावत है। हम इसे ज़मीन पर नाकाम करेंगे। मीडिया अगर चुप रहा तो जो हाल बिहार का होगा, उसकी नैतिक ज़िम्मेदारी मीडिया की भी होगी।
पूर्व मंत्री अवधेश सिंह ने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि 9 जुलाई को बिहार की सड़कें और रेलवे लाइनें बोलेंगी। जीटी रोड से लेकर पटना-गया रोड और रेलवे ट्रैक तक गरीबों की आवाज़ को सत्ता और आयोग तक पहुंचाया जाएगा। ये आंदोलन सिर्फ़ चेतावनी नहीं, जनप्रतिरोध होगा।
जब पूर्व मंत्री कुमार सर्वजीत से पूछा गया कि क्या इस आरोप के समर्थन में कोई ठोस डेटा है, तो उन्होंने कहा कि आयोग खुद खर्च दे, तभी नाम हटने वालों को चिन्हित कर दिखाया जा सकेगा।
महागठबंधन का कहना है कि इस त्वरित प्रक्रिया का सबसे अधिक असर उन तबकों पर पड़ रहा है जो प्रामाणिक दस्तावेजों से वंचित हैं।नेताओं ने सवाल उठाया कि गांवों में दलित-गरीब परिवारों के पास अक्सर दस्तावेज सुरक्षित नहीं रहते। बीएलओ अगर दस्तावेज मांगेंगे तो ये लोग क्या दिखाएंगे?पूर्व डिप्टी मेयर मोहन श्रीवास्तव ने कहा कि इतनी जल्दी और गहराई के बिना की जा रही मतदाता जांच लोकतंत्र के साथ मज़ाक है। इसमें खामियां ही खामियां हैं, जिन्हें हम उजागर करते रहेंगे।
महागठबंधन का स्पष्ट संदेश है कि वोट कटाओ योजना को हर कीमत पर रोका जाएगा।अब देखने की बात होगी कि चुनाव आयोग और केंद्र सरकार इन गंभीर आरोपों का क्या जवाब देती है, या फिर ये विवाद आने वाले चुनावों की बुनियाद हिला देगा।