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हजार साल बाद सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के पवित्र अवशेषों का गुरुदेव ने पहली बार पटना में किया अनावरण; लाखों लोगों ने किया दुर्लभ दर्शन

हजार साल बाद सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के पवित्र अवशेषों का गुरुदेव ने पहली बार पटना में किया अनावरण; लाखों लोगों ने किया दुर्लभ दर्शन

PATNA - यह दिन कई ऐतिहासिक उपलब्धियों का साक्षी बना। लाखों श्रद्धालुओं की उपस्थिति में, गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर ने आदि सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के प्राचीन पवित्र अवशेषों का अनावरण किया, जो हजार वर्षों के बाद पुनः प्राप्त हुए, यह क्षण आध्यात्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण बन गया। इस भव्य आयोजन के दौरान, आर्ट ऑफ लिविंग पटना चैप्टर ने इतिहास रचते हुए एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स और इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज कराया। यह कीर्तिमान 1012 कलाकारों द्वारा प्रस्तुत झिझिया, मैथिली लोकनृत्य के अप्रतिम प्रदर्शन के लिए बनाया गया, जिसने भक्ति और संस्कृति का अद्भुत संगम प्रस्तुत किया। गाँधी मैदान में संध्या वेला भक्ति, आनंद, ज्ञान और उत्साह से भर उठी, जब 12 वर्षों बाद बिहार की धरती पर आए गुरुदेव मंच पर पहुँचे।

उन्होंने कहा कि “यह बुद्ध की भूमि है, जिन्होंने दुनिया को शांति का मार्ग दिखाया और यह वही भूमि है जिसने हमें जयप्रकाश नारायण जैसे क्रांतिकारी दिए।“ गुरुदेव ने कहा, “आज की दुनिया को इसी की आवश्यकता है-शांति के साथ क्रांति और इसे सीखने के लिए पूरी दुनिया को बिहार की ओर देखना चाहिए।”

इस महासत्संग में बिहार के माननीय उपमुख्यमंत्री  सम्राट चौधरी, विजय कुमार सिन्हा;  संस्कृति एवं युवा मामलों के मंत्री मोती लाल प्रसाद; बिहार सरकार के सहकारिता मंत्री डॉ. प्रेम कुमार;  संजीव चौरसिया; बिहार सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार, दानापुर से माननीय विधायक; और पटना की महापौर सीता साहू सहित कई गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे।

गुरुदेव ने कहा : “जहाँ आस्था जाग्रत होती है और श्रद्धा गहरी होती है, वहाँ स्वयं भगवान प्रकट होते हैं। आज पूरे देश में भक्ति की ऐसी ही लहर उठ रही है।“  हजार वर्षों के बाद पुनः प्राप्त पवित्र अवशेषों का अनावरण

दो फीट हवा में रहता सोमनाथ का ज्योतिर्लिगं

भारत के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पुनर्जागरण के इस ऐतिहासिक क्षण में, गुरुदेव ने सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के रहस्यमयी अवशेषों का अनावरण किया, जो 1000 वर्षों के बाद मिले हैं। यह कोई साधारण लिंग नहीं था - यह भूमि से दो फीट ऊपर हवा में बिना किसी सहारे के स्थित रहता था। 2007 में किए गए एक भू-वैज्ञानिक अध्ययन में पाया गया कि इन अवशेषों में असाधारण चुंबकीय गुण हैं, जिसका चुंबकीय गुण उसके केंद्र में है। वैज्ञानिकों ने यह भी पाया कि इन अवशेषों में ऐसे गुण थे, जो किसी ज्ञात पदार्थ से मेल नहीं खाते। ये पवित्र अवशेष अंततः अग्निहोत्री ब्राह्मण पंडित सीताराम शास्त्री के परिवार की देखरेख में आए। पिछले वर्ष काँची शंकराचार्य जी ने उन्हें निर्देश दिया, “आप स्वयं इन्हें बेंगलुरु में गुरुदेव श्री श्री रविशंकर के पास लेकर जाएं, वह आपकी सहायता करेंगे।“

युवाओं को अधिक रोजगार योग्य बनाने पर जोर

गुरुदेव ने युवाओं के कौशल विकास पर भी बल दिया। “मैं देखना चाहता हूँ कि यहाँ के अधिक से अधिक युवा हमारे कौशल विकास केंद्रों से जुड़ें,“ गुरुदेव ने कहा, “आपको विभिन्न प्रकार के व्यावसायिक प्रशिक्षण दिए जाएंगे। इसके बाद आप नौकरियाँ प्राप्त कर सकते हैं या उद्यमी बन सकते हैं। हमारा प्रशिक्षण ऐसा है कि जो युवा यहाँ से निकलते हैं, वे सही कौशल के साथ किसी भी चुनौती का मुस्कान के साथ सामना करने के लिए तैयार रहते हैं।”

मानसिक स्वास्थ्य पर ऐतिहासिक कदम

छात्रों और शिक्षकों के मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हुए, आर्ट ऑफ लिविंग ने पटना के चार प्रमुख उच्च शिक्षण संस्थानों के साथ समझौता ज्ञापन (MOU) पर हस्ताक्षर किए। इसके अंतर्गत, इन संस्थानों में छात्रों और शिक्षकों के लिए आर्ट ऑफ लिविंग के प्रमुख तनाव प्रबंधन और युवा सशक्तिकरण कार्यक्रम संचालित किए जाएंगे। इन संस्थानों में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT), पटना; एमिटी विश्वविद्यालय, पटना; चाणक्य राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, पटना; और चंद्रगुप्त प्रबंधन संस्थान, पटना शामिल हैं।

“मुझे खुशी है कि इन संस्थानों ने यह महत्वपूर्ण कदम उठाया है, क्योंकि उन्हें एहसास है कि हमारे युवाओं को एक और ऐसे आयाम की आवश्यकता है जो उनके व्यक्तित्व को निखारे,“ गुरुदेव ने कहा, “केवल सूचना देना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि छात्रों के संपूर्ण व्यक्तित्व विकास के लिए योग और आध्यात्मिक शिक्षा की आवश्यकता है।“ गुरुदेव ने वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों जैसे ऑस्टियोपैथी और आयुर्वेद की भी सराहना की, जो प्राकृतिक रूप से पुराने दर्द और असुविधा से स्वभाविक रूप से राहत प्रदान करते हैं।

आगामी भव्य आयोजन

8 मार्च को पटना के ज्ञान भवन में आयोजित अंतरंग वार्ता कार्यक्रम के दौरान, गुरुदेव 1000 गणमान्य व्यक्तियों, जिनमें IAS और IPS अधिकारी, डॉक्टर, उद्योगपति और इंजीनियर शामिल होंगे, के साथ संवाद करेंगे। इस कार्यक्रम में नैतिक नेतृत्व, मानसिक स्वास्थ्य और आंतरिक कल्याण जैसे विषयों पर चर्चा होगी। इस दिन का समापन पूर्णिया में एक भव्य महा सत्संग के साथ होगा, जिसमें लगभग एक लाख लोगों के शामिल होने की संभावना है।

सत्संग और भक्ति की यह आध्यात्मिक लहर खगड़िया और उसके बाद भागलपुर में गुरुदेव की उपस्थिति में एक विशाल आयोजन होगा। जहाँ 25,000 से अधिक युवा और लगभग एक लाख प्रतिभागी संगीत, ध्यान और आध्यात्मिक ज्ञान की संध्या में एकत्रित होकर संगम का हिस्सा बनेंगे।

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