Bihar News - स्वामी सहजानंद सरस्वती की 75वी पुण्यतिथि पर सबसे बड़े शिष्य की पूरी होगी अंतिम इच्छा, गंगा में होगा अस्थि विसर्जन
Bihar News - बिहार में स्वामी सहजानंद सरस्वती की 75वीं पुण्यतिथि पर उनके सबसे बड़े शिष्य वाल्टर हाउजर के अस्थियों का विसर्जन गंगा नदी में किया जाएगा। उन्होंने पांच दशकों तक सहजानंद सरस्वती के उद्देश्यों के लिए काम किया था।

Patna - महान स्वाधीनता सेनानी और क्रांतिकारी किसान नेता स्वामी सहजानन्द सरस्वती की मृत्यु का यह 75वां साल है। 26 जून 1950 को उनकी मृत्यु 61 वर्ष की अवस्था में हुई थी। इस दिन बिहार सहित देश के कई हिस्सों में उनके विराट व्यक्तित्व व असाधारण योगदान को याद किया जाएगा। बिहार के किसान आंदोलन और स्वामी सहजानन्द सरस्वती पर पहला अकादमिक अध्ययन अमेरिकी वाल्टर हाउजर ने किया।
वाल्टर हाउजर भारत 1957 में शिकागो यूनिवर्सिटी के एक छात्र के रूप में आए थे। उनके साथ उनकी गर्भवती पत्नी रोजमेरी हाउजर भी थीं। ‘बिहार प्रॉविंसियल किसान सभा 1929-42’ पर उन्हें 1961 में पी.एच.डी प्राप्त हुई। उसके बाद वर्जीनिया विश्वविद्यालय में वे प्राध्यापक बन गए। वाल्टर हाउजर की पी.एच.डी भले 1961 में हो गयी थी पर उस पुस्तक का प्रकाशन मार्च 2019 में ही संभव हो सका था। पटना में उस पुस्तक का भव्य लोकार्पण समारोह आयोजित किया गया। उसके चंद महीनें बाद ही वाल्टर हाउजर ही एक जून 2019 को उनकी मृत्यु हो गयी थी।
1927 में जन्मे वाल्टर हाउजर की मृत्यु एक जून 2019 को हुई थी। वाल्टर हाउजर न सिर्फ खुद अगले पांच दशकों तक बिहार और भारत आते रहे बल्कि स्वामी सहजानन्द सरस्वती की कई पुस्तकों का खुद अॅंग्रेजी अनुवाद कर प्रकाशन कराया जैसे ‘खेत मजदूर’, ‘झारखंड के किसान’ वाल्टर हाउजर के छह शिष्यों ने भी अलग-अलग विषयों पर बिहार में शोध और पी.एच.डी किया।
गंगा में अस्थि विसर्जन की जताई अंतिम इच्छा
वाल्टर हाउजर का स्वामी सहजानन्द और भारत से इस कदर लगाव था कि अपनी अंतिम इच्छा में उन्होंने कहा था कि उनके मरने के बाद उन्हें दफनाने के बजाए जलाया जाए और अस्थियों को गंगा में प्रवाहित कर दिया जाए।
पटना पहुंचा वाल्टर हाउजर का परिवार
वालटर हाउजर की पत्नी रोज मेरी हाउजर की भी यही इच्छा थी। उनकी अस्थियों को लेकर उनके पुत्र माइकल हाउजर, पुत्रवधु एलिजाबेथ हाउजर, पुत्री शीला हाउजर के अलावा उनकी रोजमेरी जाॅस तथा एरन लिन भी पटना पहुंच चुके हैं। वाल्टर हाउजर के परिवार के अतिरिक्त उनके दो शिष्य विलियम आर पिंच और वेंडी सिंगर भी पटना आ गए हैं।
किसी यूनिवर्सिटी में नहीं है सहजानंद सरस्वती पर कोर्स
विलियम आर पिंच ने जब वालटर हाउजर और कैलाश चंद्र झा ने स्वामी सहजानंन्द सरस्वती की आत्मकथा ‘मेरा जीवन संघर्ष’ का अॅंग्रेजी में अनुवाद किया तब विलियम आर पिंच ने उसे पाठ्यक्रम का हिस्सा बना दिया। भारत के इस महान किसान नेता आज भारत के किसी विश्वविद्यालय के कोर्स में नहीं हैं।
बिहार में पूरी की शिक्षा,
विलियम आर.पिंच ने अपनी पी.एच.डी अस्सी के दशक में बिहार में रहकर पूरी की है। पुस्तक के रूप में ‘पीजेंट्स एंड मॉंक्स ऑफ ब्रिटिश इंडिया’ प्रकाशित हुआ है। वेंडी सिंगर ने बड़हिया टाल आंदोलन पर अपना शोध किया था। वेंडी सिंगर ने मधुबनी की महिलाओं , उनके संघर्ष के गीतों आदि पर काम किया था। वे पिछले कई सालों से बिहार आ रही हैं। जून को सुबह नौ बजे दीघा स्थित मीनार घाट पर पर्यटन विभाग के एक स्टीमर से बीच गंगा में ले जाकर, ‘बिहार का बेटा’ कहलाया जाना पसंद करने वाले, वाल्टर हाउजर की अस्थियों का विसर्जन किया जाएगा। इस खासकर मौके पर खुद को ‘बिहार का बेटा’ पटना के बुद्धिजीवियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं के अलावा नागरिक समाज के लोग भी मौजूद रहेंगे।
सीताराम आश्रम में जनसभा
इस कार्यक्रम के बाद साढ़े बारह बजे से राघवपुर ; बिहटा द्ध स्थित श्री सीताराम आश्रम में बड़ी जन सभा होगी। इस जन सभा के आयोजन में बिहार राज्य किसान सभा औ उसके नेतागण भी शामिल होंगे साथ ही बिहार के विभिन्न राजनीतिक धाराओं के लोग भी उपस्थित रहेंगे। इस मौके पर बिहटा स्थित श्री सीताराम आश्रम में एक जनसभा का आयोजन किया गया है। इसी आश्रम को केंद्र में रखकर 1927 में पटना पश्चिम किसान सभा की स्थापना हुई। फिर मात्र दो वर्षों के अंदर 1929 में सोनपुर में बिहार प्रांतीय किसान सभा की स्थापना हो गयी। बिहार को केंद्र में रखकर ही 1936 में अखिल भारतीय स्तर पर किसान सभा बनाई गयी और स्वामी सहजानन्द सरस्वती इसके प्रथम राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए गए।
किसान आंदोलन का जनक सीताराम आश्रम
भारत में संगठित किसान आंदोलन का जनक इसी सीताराम आश्रम को माना जाता है। यह आश्रम समाज सुधार आंदोलन के लिए चले प्रयासों के लिए जाना जाता रहा है। श्री सीताराम आश्रम स्वामी सहजानन्द के व्यक्तित्व में नाटकीय रूपांतरण का भी गवाह बना। सन्यास, समाज सुधार के रास्ते समाजवाद तक का सफर, भगवाधारी दंडी सन्यासी से भारत में किसान आंदोलन की धड़कन बनना यह सब कुछ इस आश्रम ने देखा। यह 1936 से 1944 तक किसान सभा का अखिल भारतीय दफ्तर रहा। किसान सभा के इतिहास का सबसे निर्णायक मोड़ लाने वाला छठा राष्ट्रीय सम्मेलन इसी सीताराम आश्रम में आयोजित किया गया था।
स्वामी सहजानन्द सरस्वती के नाम पर हो बिहटा एयरपोर्ट का नाम
बिहटा में नये अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बनने की तैयारी चल रही है। प्रधानमंत्री उसका शिलान्यास कर चुके हैं। तामिलनाडु के नागापट्टनम में हुए किसान सभा के राष्ट्रीय सम्मेलन ने सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव पास किया है कि बिहटा हवाई अड्डे का नामकरण स्वामी सहजानन्द सरस्वती के नाम पर किया जाए। 26 जून की सभा में भी ऐसा ही प्रस्ताव रखे जाने की योजना है।
26 जून का कार्यक्रम का आयोजन ‘श्री सीताराम आश्रम ट्रस्ट’ द्वारा स्वामी सहजानन्द सरस्वती द्वारा स्थापित ‘बिहार राज्य किसान सभा’ के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है।