India consumer expenses: भारत की सबसे बड़ी B2B SaaS फिनटेक कंपनी Perfios और PwC इंडिया की तरफ से किए गए सर्वे के नतीजों से भारतीय लोगों के खर्च करने के व्यवहार का खुलासा हुआ है। 'हाऊ इंडिया स्पेंड्स: ए डीप डाइव इनटू कंज्यूमर स्पेंडिंग बिहेवियर' नामक इस रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय लोग अपनी सैलरी का 33% से ज्यादा EMI चुकाने में खर्च कर देते हैं।
EMI पर सबसे ज्यादा खर्च
रिपोर्ट से पता चला है कि भारतीय लोग अपनी कमाई का 33 प्रतिशत से अधिक हिस्सा लोन की EMI चुकाने में लगाते हैं। यह खर्च भारत में सबसे बड़ा खर्च है, खासकर उन लोगों के लिए जिनकी सैलरी 20 हजार से लेकर 1 लाख रुपये तक है।
जरूरत की चीजों पर खर्च
घर का किराया, बिजली बिल जैसी जरूरी चीजों पर भी भारतीय लोग काफी खर्च कर रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय लोग अपनी सैलरी का 39 प्रतिशत इन जरूरी खर्चों पर लगाते हैं। इसके अलावा, खाने-पीने और पेट्रोल जैसी चीजों पर भी लोग अपनी आय का 32 प्रतिशत खर्च कर रहे हैं।
लाइफस्टाइल खर्च
भारतीय लोग अपनी लाइफस्टाइल और शौक से जुड़े खर्चों पर भी कमाई का एक बड़ा हिस्सा खर्च करते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय लोग लाइफस्टाइल खर्चों जैसे फैशन, पर्सनल केयर और शॉपिंग पर अपनी सैलरी का 62 प्रतिशत तक खर्च कर देते हैं।
खाने-पीने पर खर्च
रिपोर्ट से यह भी पता चला है कि लोग अपनी सैलरी बढ़ने के साथ-साथ बाहर खाने या ऑनलाइन फूड ऑर्डर करने पर भी अधिक खर्च कर रहे हैं। बढ़ती सैलरी के साथ, इन खर्चों में भी इजाफा हो रहा है।
ऑनलाइन गेमिंग पर खर्च
रिपोर्ट से यह भी खुलासा हुआ है कि कम आय वाले लोग ज्यादा पैसा ऑनलाइन गेमिंग पर खर्च करते हैं। उदाहरण के तौर पर, 20,000 रुपये से कम कमाने वाले लोग अपनी सैलरी का 22 प्रतिशत ऑनलाइन गेमिंग पर खर्च करते हैं, जबकि 75,000 रुपये से ज्यादा कमाने वाले सिर्फ 12 प्रतिशत खर्च करते हैं।
पेमेंट करने का तरीका
जरूरी खर्चों के लिए भारतीय लोग ज्यादातर ECS (इलेक्ट्रॉनिक क्लियरिंग सर्विस) का उपयोग करते हैं, जबकि लाइफस्टाइल खर्चों और अन्य जरूरतों के लिए UPI (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) का इस्तेमाल ज्यादा किया जाता है।
EMI चुकाने में खर्च कर देते हैं
'हाऊ इंडिया स्पेंड्स: ए डीप डाइव इनटू कंज्यूमर स्पेंडिंग बिहेवियर' रिपोर्ट से यह साफ हुआ है कि भारतीय लोग अपनी सैलरी का बड़ा हिस्सा EMI चुकाने में खर्च कर देते हैं। इसके साथ ही, लाइफस्टाइल खर्चों में भी लोग काफी पैसा लगाते हैं। इस रिपोर्ट से यह भी स्पष्ट हुआ है कि जैसे-जैसे सैलरी बढ़ती है, वैसे-वैसे खर्चों की प्राथमिकताएं और पैटर्न भी बदलते हैं।