Bihar vidhansabha chunav 2025:दिल्ली विधानसभा चुनाव समाप्त होने के बाद भारतीय जनता पार्टी ने बिहार चुनाव की तैयारी आरंभ कर दी है। पार्टी ने इस बार नीतीश कुमार को पहले ही आश्वासन दिया है कि एनडीए उनके नेतृत्व में बिहार विधानसभा चुनाव लड़ा जाएगा। भाजपा ने स्पष्ट किया है कि वह अपने सहयोगी दलों के साथ मजबूती से खड़ी रहेगी, भले ही वह अधिक सीटों पर चुनाव लड़े।
बिहार में महाराष्ट्र की तरह नेतृत्व के असमंजस को चुनाव से पूर्व ही समाप्त करते हुए यह निर्णय लिया गया है कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए चुनाव में भाग लेगा। चुनाव जीतने के पश्चात नीतीश की अगुवाई में ही सरकार का गठन होगा। भाजपा मुख्यालय में महासचिवों की बैठक में शनिवार को बिहार चुनाव पर चर्चा की गई। भाजपा हर संभव प्रयास कर रही है कि यह संदेश दिया जाए कि, एनडीए केंद्र और राज्य दोनों स्तर पर एकजुट है। बैठक में स्पष्ट किया गया कि लोकसभा में एक साथ और विधानसभा में अलग-अलग चुनाव लड़ने या कुछ सीटों पर मित्रवत मुकाबले जैसे विचारों की कोई संभावना नहीं होनी चाहिए।
भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने स्पष्ट संकेत दिया है कि महाराष्ट्र का मॉडल बिहार में लागू नहीं किया जाएगा। अर्थात, सीटों की अधिकता के बावजूद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही बने रहेंगे। भाजपा आखिरकार यह उदारता बिहार में क्यों प्रदर्शित करने के लिए तैयार है? तो इसका कारण भी है। बिहार के सामाजिक और जातीय समीकरण अन्य राज्यों से अलग हैं। भाजपा ने यह महसूस किया है कि अकेले चुनाव लड़ने की स्थिति अभी नहीं आई है। इसलिए, उसे छोटे भाई की भूमिका निभानी पड़ेगी जबकि नीतीश कुमार बड़े भाई की भूमिका निभाएंगे। इस प्रकार, भाजपा ने एक मजबूत एनडीए के साथ चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है।
भाजपा के एक नेता का कहना है कि राज्यों के चुनाव में स्थानीय दलों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। राष्ट्रीय स्तर पर एक मजबूत गठबंधन का संदेश तभी प्रभावी होता है जब राज्य और केंद्र में न केवल चुनाव में क्षेत्रीय दलों की भागीदारी हो, बल्कि सत्ता में भी उनकी उपस्थिति हो। बिहार में भाजपा किसी भी स्थिति में यह संदेश नहीं देना चाहती कि मुख्यमंत्री केवल बड़ी पार्टी से ही बनेगा।
वहीं चार विधान सभा उप चुनाव के परिणामों का विश्लेषण करने पर यह स्पष्ट होता है कि भाजपा ने जदयू के सहयोग से दो विधान सभा सीटों पर विजय प्राप्त की है। इसके अतिरिक्त, यदि हम बिहार विधान सभा चुनाव 2020 में विधायकों की संख्या पर ध्यान दें, तो भाजपा नीतीश कुमार के समर्थन से सबसे बड़ी पार्टी बन गई है। 2015 के विधान सभा चुनाव में जब भाजपा ने जदयू से अलग होने का निर्णय लिया, तब उनके पास 53 विधायक थे, जबकि राजद के 80 और जदयू के 71 उम्मीदवारों ने चुनाव में जीत हासिल की थी।
बहरहाल वर्तमान स्थिति में भाजपा को यह समझ में आ गया है कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही एनडीए को मजबूती मिलेगी। भाजपा ने यह सुनिश्चित किया है कि नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद पर बनाए रखा जाएगा ताकि वे अपनी राजनीतिक स्थिरता बनाए रख सकें।