Justice Sanjiv Khanna: भारत के सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश संजीव खन्ना अगले महीने देश के 51वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ लेंगे। केंद्र सरकार ने 24 अक्टूबर को उनकी नियुक्ति को अधिसूचित किया, जो 11 नवंबर 2024 से प्रभावी होगी। वर्तमान मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ 10 नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं, और उनके बाद न्यायमूर्ति खन्ना को यह पदभार सौंपा जाएगा। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने इस नियुक्ति की जानकारी एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर साझा की।
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की बैकग्राउंड
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना का जन्म 14 मई 1960 को हुआ था। उन्होंने 1983 में दिल्ली बार काउंसिल के साथ एक वकील के रूप में अपनी कानूनी प्रैक्टिस शुरू की। तीस हजारी कोर्ट परिसर और दिल्ली उच्च न्यायालय में प्रैक्टिस करने के बाद, उन्हें 2005 में दिल्ली उच्च न्यायालय में अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया। 2006 में वह स्थायी न्यायाधीश बने, और 2019 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत किया गया।
न्यायमूर्ति खन्ना के प्रमुख फैसले
न्यायमूर्ति खन्ना सुप्रीम कोर्ट में कई ऐतिहासिक मामलों का हिस्सा रहे हैं। उन्होंने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के फैसले में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस फैसले में उन्होंने माना कि अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर को संप्रभुता का संकेत नहीं देता है, बल्कि यह भारतीय संघीय ढांचे का एक हिस्सा है।
एक और महत्वपूर्ण निर्णय में न्यायमूर्ति खन्ना ने चुनावी बांड योजना को असंवैधानिक घोषित करने वाली पांच-न्यायाधीशों की पीठ का हिस्सा रहे। इस योजना में गुमनाम दान को सूचना के अधिकार के उल्लंघन के रूप में देखा गया, जो सूचित मतदान के अधिकार का एक प्रमुख तत्व है।
न्यायमूर्ति खन्ना ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत देकर लोकतांत्रिक भागीदारी के महत्व को भी रेखांकित किया, जिससे उन्हें लोकसभा चुनाव के दौरान प्रचार करने की अनुमति मिली। इसी तरह, उन्होंने दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के मामले में देरी को जमानत के एक वैध आधार के रूप में मान्यता दी, जो धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत था।
न्यायमूर्ति खन्ना की आगामी भूमिका
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना को उनकी न्यायिक दक्षता और सार्वजनिक हित के मामलों पर गहरे प्रभाव के लिए जाना जाता है। वर्तमान में, वह पीएमएलए के विभिन्न प्रावधानों की समीक्षा करने वाली पीठ की अध्यक्षता कर रहे हैं, जिससे उनकी लगातार बढ़ती भूमिका का संकेत मिलता है।