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बड़ी बेआबरु होकर ....एनडीए छोड़ा तो था कि बनेंगे पीएम फेस, इंडी गठबंधन की बैठक के बाद सपना टूट गया

बड़ी बेआबरु होकर ....एनडीए छोड़ा तो था कि बनेंगे पीएम फेस, इंडी गठबंधन की बैठक के बाद सपना टूट गया

Patna- उत्तर मध्य भारत के तीन राज्यों में हार के बाद कांग्रेस के भीतर बहुत बड़ी उथल पुथल शुरू हो चुकी है. राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से बनी हवा के बूते वह लोकसभा चुनावों की नैया पार करने के मंसूबे बना रही थी. उन मंसूबों पर पानी फिर गया है.ऐसे में इंडी गठबंधन की बैठक हुई तो नीतीश के समर्थन में पटना की सड़कों को पोस्टरों से पाट दिया गया. बैठक के बाद नीतीश का सपना चूर चूर हो गया.विपक्षी दलों के गठबंधन इंडी की दिल्ली में तीन घंटे चली बैठक में बिहार के सीएम नीतीश कुमार के हाथ फिर खाली रह गए. बैठक में तो नीतीश के नाम पर चर्चा तक ही नहीं हुई. जेडीयू नेताओं के पोस्टर के जरिए मांग पर पानी फिर गया. नीतीश ने जब एनडीए छोड़ महागठबंधन से हाथ मिलाया था, तब चर्चा ये थी कि नीतीश विपक्ष के पीएम फेस होंगे.नीतीश ने घोषणा कर दी कि 2025 का बिहार विधानसभा चुनाव तेजस्वी यादव के नेतृत्व में लड़ा जाएगा.

इंडी गठबंधन की चौथी बैठक खत्म हो गई. इस मीटिंग में भी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को संयोजक बनाने पर कोई चर्चा नहीं हुई. ये मीटिंग करीब तीन घंटे चली. बैठक में सांसदों के निलंबन और ईवीएम के मुद्दे पर चर्चा हुई. बैठक के बाद कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस किया. उन्होंने कहा कि 28 राजनीतिक दलों ने हिस्सा लिया. सभी पार्टियों के नेताओं ने अपने-अपने विचार रखे। खरगे ने बताया कि 22 दिसंबर को देशभर में प्रदर्शन होगा। देशभर में 10 जनसभाएं होंगी. वहीं, 30 जनवरी को इंडिया गठबंधन साझा रैली करेगा., नीतीश कुमार के बारे में उन्होंने कुछ भी नहीं कहा.

नीतीश कुमार को क़रीब से जानने वाले मानते हैं कि उनके मन की बात जानना बहुत मुश्किल है. नीतीश कुमार हमेशा से कहीं ज़्यादा सतर्कता बरतते रहे हैं. राजनीतिक तौर पर उनकी महत्वाकांक्षा देश के शीर्ष पद पर रही है. नीतीश कुमार की राजनीति को नज़दीक से जानने वाले कई नेताओं ने तस्दीक की है प्रधानमंत्री पद की चर्चा होने परे नीतीश कुमार प्रफुल्लित होते रहे हैं. आरसीपी सिंह भी नीतीश कुमार के बरसों तक सबसे क़रीब रहे हैं, ज़ाहिर होता है कि उनके मनोभावों को समझते हुए ही आरसीपी सिंह ने निशाना साधते हुए कहा था कि "नीतीश कुमार कभी प्रधानमंत्री नहीं बन सकते, सात जन्म तक नहीं बन सकते." 

इंडी गठबंधन की बैठक से बाहर निकले नेताओं की चर्चा में एक बात सबसे प्ररमुख रही  कि गठबंधन के संयोजक या पीएम फेस के रूप में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे सबसे उपयुक्त  हैं. संयोजक कहें, पीएम फेस बताएं या गठबंधन के नेतृत्व की बात करें, इसके लिए खड़गे सबसे योग्य आदमी हैं. दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने ममता बनर्जी के प्रस्ताव का समर्थन किया. ममता और केजरीवाल के प्रस्ताव और समर्थन से दो लोगों को यकीनन जोर का धक्का लगा होगा. एक तो कांग्रेस के कद्दावर नेता और नेहरू खानदान की राजनीतिक विरासत के फिलवक्त एकमात्र दावेदार राहुल गांधी के मन को इससे भारी ठेस पहुंची होगी. दूसरे बिहार के सीएम नीतीश कुमार को आश्चर्य मिश्रित पीड़ा जरूर हुई होगी कि सबको एकजुट करने के बावजूद उनका कोई नामलेवा नहीं है.

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री बनते देखने का सपना टूटता दिख रहा है. बैठक में इंडी गठबंधन के को-आर्डिनेटर या पीएम पद के लिए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के नाम को आगे किया गया.  प्रेस कॉन्फ्रेंस से पहले ही नीतीश कुमार, लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव होटल से बाहर निकल गए. इसके बाद राजनीतिक गलियारों में जबरदस्त चर्चा शुरू हो गई है कि क्या नीतीश-लालू नाराज हैं? प्रेस कॉन्फ्रेंस से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, लालू प्रसाद, तेजस्वी यादव, मनोज झा सहित बिहार के सभी नेता वहां से निकल गए. बिहार के इन नेताओं के इस तरह से बाहर जाने को लेकर माना जा रहा है कि गठबंधन में हुए फैसले बिहार के नेताओं को स्वीकार नहीं है.  कहते हैं कि इतिहास खुद को दोहराता है.इंडी गठबंधन की बैठक के बाध  नीतीश कुमार के लिे यहीं विशेषज्ञ मान रहे हैं.

यद कीजिए जब राजद के साथ नीतीश ने सरकार बनाया था तो राजनीतिक चर्चाएं खूब हुईं थी कि यूपीए कनवेनर के तौर पर नीतीश कुमार 2024 में विपक्ष की ओर से प्रधानमंत्री पद का चेहरा भी हो सकते हैं और इसके लिए वे बिहार की कमान तेजस्वी यादव को थमा सकते हैं. नीतीश कुमार एक बार कह भी चुके हैं कि वे सब कुछ रह चुके हैं, बस एक पद है बाक़ी है. उस समय उपेंद्र कुशवाहा के बयान से साफ़ था कि ये पद प्रधानमंत्री का ही है. 

बहरहाल अब देखना है कि बिहार की राजनीति में नीतीश का उंट किस करवट बैठता है.

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