बिहार उत्तरप्रदेश मध्यप्रदेश उत्तराखंड झारखंड छत्तीसगढ़ राजस्थान पंजाब हरियाणा हिमाचल प्रदेश दिल्ली पश्चिम बंगाल

LATEST NEWS

हाईकोर्ट का बड़ा फैसला : हिंदू रीति रिवाज के साथ अग्नि के सात फेरों के बाद ही शादी मान्य होगी..थाना में एक दूसरे को माला पहनाने और मांग में सिंदूर भरने से काम नहीं चलेगा...

हाईकोर्ट का बड़ा फैसला : हिंदू रीति रिवाज के साथ अग्नि के सात फेरों के बाद ही शादी मान्य होगी..थाना में एक दूसरे को माला पहनाने और मांग में सिंदूर भरने से काम नहीं चलेगा...

हिंदू धर्म में विवाह सोलह संस्कारों में से एक है. जमाना आधुनिक हो रहा है तो जाहिर है कि चट मंगनी पट विवाह वाली पद्धतियां भी प्रचलन में आ गई है. वहीं आजकल एक नयी शादी प्रचलित हो रही है वह है पुलिस स्टेशन में शादी का. लेकिन अब यह शादी वैधानिक नहीं होगी, क्योंकि इलाहाबाद की हाी कोर्ट ने इसे वैध मानने से इंकार कर दिया है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक मामले में सुनवाई करते हुए कहा है कि सप्तपदी हिंदू विवाह का सबसे प्रमुख अंग है. कोर्ट ने कहा कि अगर वैदिक विधि से शादी नहीं कराई गई है तो इस तरह के विवाद कानून की नजर में अवैध रहेंगे. इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस संजय कुमार सिंह की एकल पीठ ने वाराणसी की स्मृति सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि  हिंदू विवाह की वैधता को स्थापित करने के लिए सप्तपदी एक अनिवार्य तत्व है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस संजय कुमार सिंह की एकल पीठ ने साफ कहा कि हिंदू विवाह के ऐसे तरीके जिसमें सात फेरे यानी कि सप्तपदी को शामिल नहीं किया जाता वह कानूनन वैध नहीं होगा. उत्तर प्रदेश में पुलिस स्टेशन में कराई गई शादियां इस आदेश के दायरे में आएंगीं. कई बार लड़के-लड़कियों के दुराचार या प्रेम प्रसंग से जुड़े मामले पुलिस स्टेशन में पहुंचने के बाद पुलिसकर्मी थाने में ही लड़के-लड़कियों की शादियां करा देते हैं,इसमें थाने में बने मंदिर में देवी-देवताओं को साक्षी मानकर लड़के से लड़की की मांग में सिंदूर लगवा देते हैं, और एक दूसरे को माला पहनवा देते हैं. इस विवाह में न तो फेरे होते हैं न ही सप्तपदी होती है. अब यहविवाह मान्य नहीं होगा.

बता दें इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस संजय कुमार सिंह ने वाराणसी की स्मृति सिंह उर्फ मौसमी सिंह की याचिका पर सुनवाई के बाद दिए गए अपने आदेश में यह कहा है. इसमें स्मृति सिंह ने अपने पति सत्यम सिंह पति सहित ससुराल वालों पर तलाक दिए बगैर दूसरा विवाह करने का आरोप लगाते हुए वाराणसी जिला अदालत में परिवाद दायर किया था. इसमें स्मृति  का कहना था कि उसका विवाह 5 जून 2017 को सत्यम सिंह के साथ हुआ था लेकिन विवादों के कारण याची ने पति और ससुराल वालों के खिलाफ दहेज उत्पीड़न और मारपीट आदि का मुकदमा दर्ज कराया था.

कोर्ट ने परिवाद में विवाह समारोह संपन्न होने का कोई साक्ष्य नहीं दिया गया है. न ही सप्तपदी का कोई साक्ष्य है जो की विवाह की अनिवार्य रस्म है. एकमात्र फोटोग्राफ साक्ष्य के तौर पर लगाया गया है. कोर्ट ने कहा कि याची के खिलाफ दर्ज शिकायत में विवाह समारोह संपन्न होने का कोई साक्ष्य नहीं दिया गया है. जबकि वैध विवाह के लिए विवाह समारोह का सभी रीति-रिवाज के साथ संपन्न होना जरूरी है.इसी में सप्तपदी यानी सात फेरों का जिक्र कोर्ट में आया. कोर्ट ने कहा कि यदि विवाह समारोह की यह प्रक्रिया पूरी नहीं है तो कानून की नजर में यह वैध विवाह नहीं होगा. 


Suggested News