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डिप्टी सीएम के शहर में बड़ी गड़बड़ी : स्वास्थ्य विभाग में सफाई के नाम पर करोड़ों का हुआ बड़ा खेल, पूर्व डीएम, सीएस और डीपीएम की भूमिका पर उठे सवाल

डिप्टी सीएम के शहर में बड़ी गड़बड़ी :  स्वास्थ्य विभाग में सफाई के नाम पर करोड़ों का हुआ बड़ा खेल, पूर्व डीएम, सीएस और डीपीएम की भूमिका पर उठे सवाल

13.50 रुपए का टेंडर बढ़ाकर 63.63 किया, फिर आठ महीने में दोबारा पुराने रेट पर मांगी निविदा

आठ माह में किया करोड़ों का भुगतान, मामला सामने आने के बाद राजद ने की जांच की मांग

KATIHAR : बिहार के डिप्टी सीएम तार किशोर प्रसाद के जिले कटिहार के स्वास्थ्य विभाग में सफाई व्यवस्था से जुड़ी एक मैनेज टेंडर के माध्यम से करोड़ों का काला खेल खेला गया है। अधिकारियों की टोली के द्वारा खेले गए इस काला खेल में पूरे कमेटी के लोग या जिम्मेदार मगर इस काला खेल के  बाबजूद जनप्रतिनिधि लोग कैसे चुप रह गए यह भी बड़ा सवाल है।

 दरअसल कटिहार स्वास्थ्य विभाग में साल 2012 से 9 अक्टूबर साल 2020 तक 13.50  प्रति वर्ग मीटर के दर में सफाई का टेंडर दिया गया था लेकिन अचानक 10 अक्टूबर साल 2020 से लेकर 9 जून 2021 तक उसी टेंडर को 63.63 के दर से कर दिया गया था और अब फिर उसी सफाई टेंडर को 10 जून से पुराने रेट के दर से13.50 कर दिया गया है।  ऐसे में सवाल उठता है लगभग 8 महीने के इस टेंडर में सरकार के प्रति महीना करोड़ों का एक्सेस मनी का जो खर्च हुआ है उसके लिए जिम्मेदार कौन है...? इसी पर अब विपक्ष तत्कालीन स्वास्थ्य विभाग के डीपीएम मनीष कुमार, तत्कालीन डीएम कंवल तनुज और वर्तमान सिविल सर्जन वीएन पांडे की भूमिका पर सवाल उठाते हुए जांच की मांग कर रहे हैं।

 राजद के युवा प्रदेश महासचिव ने कहा यह पूरा मामला एक बड़ा घोटाला है और इस पर वर्तमान सरकार के प्रतिनिधि चुप क्यों है यह भी बड़ा सवाल है, वहीं वर्तमान जिला अधिकारी उदयन मिश्रा ने वर्तमान समय में एक बार फिर 13.50 के दर से सफाई टेंडर होने से राजस्व की बड़ी बचत के बाद कहते हुए, पुराने मामले पर कुछ भी बोलने से बचते रहे। निश्चित तौर पर उस 8 महीने में जिस तरह से सरकारी रुपए का दुरुपयोग कर किस-किस के जेब भरी गई है, उसकी तो जांच होनी ही चाहिए।

मामले में जिले के डीएम ने बताया कि पूर्व कांट्रेक्टर का काम संतोषजनक नहीं था,जिसके कारण चार माह पहले उन्हें नोटिस दिया गया था। एक माह पहले उस टेंडर को रद्द कर नया टेंडर कर लिया गया है। लेकिन इस दौरान डीएम ने इस बात का जिक्र नहीं किया कि कैसे टेंडर की राशि में पहले लगभग पांच गुना की वृद्धि हो जाती है और उसी दर पर काम भी कराया जाता है। बाद में टेंडर रद्द कर दिया जाता है। ऐसे में सवाल यह है कि किसके इशारे पर नवंबर में सफाई के टेंडर को मंजूरी प्रदान की गई थी।

श्याम की रिपोर्ट



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