NEWS4NATION DESK : जम्मू-कश्मीर से एक बड़ी खबर है। बतौर गृह मंत्री अमित शाह पहली बार जम्मू-कश्मीर के दो दिवसीय दौरे पर हैं। आज उनके दौरे का दूसरा दिन है। इस बीच कश्मीर घाटी में आतंकवाद के तीन दशकों के बीच ऐसा पहली बार हुआ है कि अलगाववादी संगठनों ने किसी गृह मंत्री के दौरे के वक्त बंद की अपील नहीं की।
गृह मंत्री बनने के बाद अपने पहले दौरे के तहत शाह बुधवार को राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर पहुंचे। इस दौरान उन्होंने सुरक्षा और विकास से जुड़ी परियोजनाओं के सिलसिले में कई बैठकों की अध्यक्षता की। शाह का राज्य में पार्टी के नेताओं, सिविल सोसायटी के प्रतिनिधियों और पंचायत सदस्यों से मुलाकात के अलावा अमरनाथ दर्शन का कार्यक्रम है। इसके साथ ही वह जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक के साथ यूनिफाइड हेडक्वॉर्टर्स बैठक में शिरकत करने वाले हैं।
अमित शाह के जम्मू-कश्मीर दौरे की सबसे खास बात यह है कि अलगाववादी संगठनों की तरफ से बुधवार को कोई बंद नहीं बुलाया गया। हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के सैयद अली शाह गिलानी हों या मीरवाइज उमर फारूक, किसी भी धड़े की ओर से बंद की अपील नहीं की गई। यही नहीं किसी भी अलगाववादी नेता ने कोई बयान जारी नहीं किया। पिछले तीन दशक में ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी केन्द्रीय मंत्री या केंद्र सरकार के किसी भी प्रतिनिधि के दौरे पर अलगाववादियों द्वारा न तो किसी तरह का बंद बुलाया गया है और न ही कोई बयानबाजी की गई है।
बता दें कि इससे पहले जब भी कोई केन्द्रीय मंत्री या केन्द्र सरकार का प्रतिनिधि जम्मू-कश्मीर जाता था तो अलगाववादी घाटी में बंद का एलान करते थे। इसी वर्ष तीन फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब घाटी का दौरा किया था, उस वक्त गिलानी, मीरवाइज और जेकेएलएफ चीफ यासीन मलिक की अगुआई वाले संगठन संयुक्त प्रतिरोध नेतृत्व ने घाटी में पूर्ण बंद बुलाया था। यही नहीं 10 सितंबर 2017 को जब तत्कालीन गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कश्मीर का दौरा किया, तब भी जेआरएल ने घाटी में बंद रखा था। इसके उलट बुधवार को सभी अलगाववादी संगठनों ने चुप्पी साधे रखी।