PATNA : बिहार में आरक्षण सीमा बढ़ाने को लेकर पटना हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। इस संबंध में बिहार सरकार ने याचिका दायर कर दिया है। हाईकोर्ट के फैसले के बाद लगातार इस बात की संभावना जताई जा रही थी कि सरकार सुप्रीम कोर्ट जा सकती है।
बता दें जातीय गणना के आंकड़ों के आधार पर राज्य सरकार ने शिक्षण संस्थानों और सरकारी नौकरियों में SC-ST, OBC और EBC को 50 फीसदी से बढ़ाकर 65 फीसदी आरक्षण देने का फैसला लिया था। इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। पटना हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस केवी चंद्रन की बेंच ने गौरव कुमार और अन्य की याचिकाओं पर 11 मार्च को सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था। जिसमें बीते 20 जून को पटना हाईकोर्ट ने बिहार सरकार के आरक्षण सीमा बढ़ाए जाने के राज्य सरकार के फैसले खारिज कर दिया था।
हाईकोर्ट ने क्यों रद्द किया था फैसला ?
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया था कि रिजर्वेशन इन कैटेगरी की आबादी की बजाय इनके सामाजिक और शिक्षा में पिछड़ेपन पर आधारित होना चाहिए। बिहार सरकार का फैसला संविधान के अनुच्छेद 16(1) और अनुच्छेद 15(1) का उल्लंघन बताया था। अनुच्छेद 16(1) राज्य के तहत किसी भी कार्यालय में रोजगार या नियुक्ति से संबंधित मामलों में सभी नागरिकों के लिए समानता का अवसर प्रदान करता है। अनुच्छेद 15(1) किसी भी प्रकार के भेदभाव पर रोक लगाता है।