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VIP सुप्रीमो के लिए बिहार की राजनीति की डगर हुई मुश्किल, विप चुनाव में हुए चारों खाने चित्त

VIP सुप्रीमो के लिए बिहार की राजनीति की डगर हुई मुश्किल, विप चुनाव में हुए चारों खाने चित्त

PATNA : बिहार में एनडीए सरकार से अलग किए गए विकासशील इंसान पार्टी (वीआइपी) सुप्रीमो मुकेश सहनी के लिए विप चुनाव में बड़ा झटका लगा है। उनके उम्मीदवार और जिनको उन्होंने समर्थन दिया था, उनमें से अधिकतर की चुनाव में बुरी तरह से हार हुई है। चुनाव परिणाम बताते हैं कि मुकेश सहनी के लिए बिहार की राजनीति की डगर पर खुद को खड़ा करने के लिए अभी और मेहनत करनी होगी। 

बीजेपी के खिलाफ खड़े किए थे उम्मीदवार

विधान परिषद चुनाव में मुकेश सहनी भाजपा से तीन सीटों की मांग की थी। लेकिन भाजपा ने उन्हें यह सीट देने से इनकार कर दिया। जिसके बाद गुस्से में मुकेश सहनी ने सभी 24 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े करने की घोषणा कर दी। हालांकि बाद में वह सिर्फ सात सीटों समस्तीपुर, बेगूसराय-खगड़िया, सहरसा-मधेपुरा-सुपौल, सारण, रोहतास-कैमूर, पूर्णिया-अररिया-किशनगंज व दरभंगा में अपने उम्मीदवार उतारे। इन सभी जगहों पर भाजपा चुनाव लड़ रही थी। शेष 15 सीटों पर उन्होंने जदयू तथा दो सीटों पर निर्दलीय को समर्थन देने की घोषणा की थी।

वीआईपी के सभी उम्मीदवार हार

बिहार की राजनीति में सभी को परास्त करने के दावे करनेवाले मुकेश सहनी को विप चुनाव में जमीनी हकीकत का पता चल गया। चुनाव में पार्टी के सातों उम्मीदवार बुरी तरह से हारे। वहीं जिन उम्मीदवारों का उन्होंने समर्थन किया, उनकी स्थिति भी अच्छी नहीं रही। जाहिर है कि विप चुनाव के परिणाम मुकेश सहनी के लिए एक सबक है कि अभी उनका कद इतना बड़ा नहीं हुआ है कि प्रदेश की जनता उनकी बातों को गंभीरता से ले।

एक जाति की राजनीति भी सहनी के लिए घातक

यहां सहनी के लिए यह भी मुश्किल है कि सिर्फ एक जाति की राजनीति करते हैं। सिर्फ एक जाति विशेष के मतदाताओं की राजनीति करके वे अपनी मंजिल हासिल नहीं कर पाएंगे। राज्य की दूसरी जातियों में वह विश्वास नहीं जमा पाए हैं। यही नहीं राजनीति में जमे रहने के लिए उन्हें पहले अपना आधार वोट खड़ा करना होगा। उन्हें राजनीति में रहना है तो किसी ना किसी दल का पार्टी का सहारा लेना ही होगा। सीढ़ी दर सीढ़ी चढ़कर ही वे मंजिल पर पहुंच सकते हैं। 

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