PATNA : बिहार विधान परिषद की पहली बैठक और इसके भवन निर्माण के 100 साल पूरे हो चुके हैं. इसके उपलक्ष्य में 7 फ़रवरी को शताब्दी समारोह का आयोजन किया जायेगा. विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने बताया कि इस ऐतिहासिक संस्था के शताब्दी वर्ष का शुभारंभ रविवार को एक दिवसीय कार्यक्रम से होगा. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस समारोह का उद्घाटन करेंगे.
तीन घंटे के पहले सत्र के कार्यक्रम को वह स्वयं और विपक्ष के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव, उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद, रेणु देवी, परिषद के कार्यकारी सभापति अवधेश नारायण सिंह, संसदीय मंत्री विजय कुमार चौधरी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार संबोधित करेंगे. दूसरे सत्र में विधानमंडल के सदस्यों के प्रबोधन का कार्यक्रम होगा. सभाध्यक्ष विषय प्रवेश कराएंगे. वहीँ संसदीय मंत्री ‘सदन में प्रश्न एवं अन्य विधायी प्रक्रिया’ की जानकारी देंगे. जबकि सांसद सुशील कुमार मोदी सदन में वित्तीय मामलों से संबंधित प्रक्रिया, जबकि संविधान के तहत विधायी शक्तियां एवं दायित्व पर केन्द्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद का संबोधन होगा. इसके बाद पौन घंटे सदस्यों के संवाद के लिए रखा गया है. धन्यवाद ज्ञापन विस सचिव राजकुमार सिंह करेंगे.
बताते चलें की बिहार में सात फरवरी 1921 लेजिस्लेटिव काउंसिल की पहली बैठक हुई थी. यह बैठक उसी भवन में हुई थी, जिसे आज बिहार विधानसभा के नाम से जाना जाता है. दरअसल 1919 में बिहार एवं उड़ीसा को स्वतंत्र राज्य का दर्जा मिला था और इसके पहले गवर्नर लॉर्ड सत्येन्द्र प्रसन्न सिन्हा बने. लेजिस्लेटिव काउंसिल में सदस्यों की संख्या 103 तय की गई. उनमें 76 निर्वाचित एवं 27 राज्यपाल द्वारा मनोनीत सदस्य थे.
मार्च, 1920 में लेजिस्लेटिव काउंसिल का भवन बनकर तैयार हुआ. इस भवन में काउंसिल की पहली बैठक सात फरवरी, 1921 को हुई, जिसे लार्ड सत्येन्द्र प्रसन्न सिन्हा ने गवर्नर के रूप में संबोधित करते हुए भवन का उद्घाटन किया. सभाध्यक्ष ने गुरुवार को प्रेस सलाहकार समिति की बैठक में कहा कि विधानसभा के शताब्दी वर्ष समारोह के तहत एक साल में कई कार्यक्रम आयोजित होंगे. अप्रैल-मई में एक वृहत आयोजन होगा. इसका उद्घाटन राष्ट्रपति जबकि समापन में प्रधानमंत्री आएंगे. दोनों ने सहमति दे दी है.
पटना से विवेकानंद की रिपोर्ट