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बिहटा-औरंगाबाद रेलवे लाइन परियोजना : प्रदर्शनकारी पटरी पर लेटे रहे और ऊपर से गुजर गई 10 बोगियां, भारी बवाल

 बिहटा-औरंगाबाद रेलवे लाइन परियोजना : प्रदर्शनकारी पटरी पर लेटे रहे और ऊपर से गुजर गई 10 बोगियां, भारी बवाल

पटना. बिहटा -औरंगाबाद रेलवे लाइन परियोजना को यथाशीघ्र शुरू करने की मांग को लेकर बुधवार को घेरा डालो डेरा डालो अभियान की शरूआत हुई. प्रदर्शनकारियों ने ट्रैक पर उतरकर धरना शुरू किया. इस दौरान अचानक अफरातफरी मच गई क्योंकि एक ट्रेन को वहां से गुजरने का सिग्नल दे दिया गया. इस दौरान रेलवे संघर्ष समिति के संयोजक चंदन कुमार वर्मा पटरी पर लेटे रह गए और इस दौरान उनके ऊपर से करीब 10 बोगियां निकल गई. जिस समय ट्रेन गुजरी उस दौरान वहां करीब 40 लोग पटरी के किनारे मौजूद थे. ट्रेन के सरकने के समय चंदन कुमार वहीं लेटे रह गए जिससे लोगों में चीख पुकार मच गई. 

दरअसल, 6  दिसंबर से बिहटा में संघर्ष समिति ने अनिश्चितकालीन रेलवे लाइन जाम (रेल रोको ) करने की घोषणा की थी. जनजागरण अभियान के तहत औरंगाबाद से बिहटा तक 119 किलोमीटर की महापदयात्रा संघर्ष समिति के मुख्य संयोजक राजेंद्र यादव, चंसंयोजक चंदन कुमार वर्मा के नेतृत्व में पदयात्रियों की बड़े पैमाने पर चल रही टीम एक दिन पहले ही पालीगंज पहुंच गई थी. वहीं बुधवार को तय समय पर बिहटा में प्रदर्शन की शुरुआत हुई. भीड़ ने ट्रेन सेवा बाधित करने की कोशिश की. हालांकि रेल प्रशासन इस आंदोलन के बावजूद रेल सेवाएं रोकने को तैयार नहीं दिखा. इसी में एक ट्रेन वहां से गुजरी और उस दौरान रेलवे संघर्ष समिति के संयोजक चंदन कुमार वर्मा पटरी पर लेटे रह गए. उनके ऊपर से करीब 10 बोगियां गुजर गई. 

बता दे की  बिहटा औरंगाबाद रेल परियोजना संघर्ष समिति के बैनर तले दानापुर रेल मंडल के बिहटा रेलवे स्टेशन पर पैदल मार्च करते हुए सभी आंदोलनकारी पहुंचे थे और पटना दिल्ली अप मेन लाइन को जाम किया था हालांकि इसकी जानकारी आंदोलनकारी ने रेलवे प्रशासन और रेलवे विभाग को पहले ही दे दिया था। इसी दौरान रेलवे ट्रैक पर लेटे आंदोलनकारी चंदन वर्मा और राजेंद्र यादव के अलावा काफी संख्या में लोग मौजूद थे तभी ट्रेन नंबर 82355 पटना छत्रपति शिवाजी टर्मिनस एक्सप्रेस अचानक अप मेन लाइन से गुजरी। हालांकि अचानक ट्रेन आने के बाद भगदड़ जैसी स्थिति हो गई ।जैसे तैसे लोगों ने अपनी जान बचाई लेकिन चंदन वर्मा  रेलवे ट्रैक के नीचे फंस गए ।जबकि इस घटना में अभी तक किसी की जान नहीं गई और लापरवाही के कारण अब आंदोलनकारी स्टेशन मास्टर सहित रेलवे प्रशासन के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग  कर रहे है। चंदन वर्मा ने बताया कि  रेलवे प्रशासन की बड़ी लापरवाही सामने आई जब हम सभी लोग रेलवे ट्रैक पर बैठे हुए थे लेते हुए थे तभी एक्सप्रेस ट्रेन हमारे ऊपर से गुजरी है भगवान का शुक्रिया करता हूं कि मेरी जान नहीं गई लेकिन रेलवे प्रशासन पूरी तरह से तानाशाही हो चुकी है।

वही दूसरी ओर बिहटा औरंगाबाद रेल परियोजना संघर्ष समिति के सदस्य राजेंद्र यादव ने बताया कि डिजिटल औरंगाबाद रेल परियोजना पिछले कई वर्षों से लटका हुआ है सरकार कितनी आई और गई लेकिन केवल हम सभी लोगों को आश्वासन ही मिलने आ रहा था अब आंदोलन को उग्र किया जा रहा है और बिहटा रेलवे स्टेशन पर रेलवे प्रशासन की बड़ी लापरवाही सामने आई है जहां हम सभी लोगों ने आंदोलन को लेकर आज दिन पहले ही रेलवे विभाग को इसकी जानकारी हम लोग लिखित में दिया था इसके बावजूद भी हमारे ऊपर से ट्रेन गुजरी है आज की सरकार पूरी तरह से तानाशाही हो चुकी है जिसका नतीजा है आप खुद देख सकते हैं।

जानकारी अनुसार 17 वर्षों से केंद्र सरकार द्वारा उपेक्षित रहे लंबित पड़े रहे बिहटा -औरंगाबाद रेलवे लाइन परियोजना को यथाशीग्र शुरू करने के लिए बिहटा -औरंगाबाद  रेलवे लाइन संघर्ष समिति का गठन किया गया। जो कि समय-समय पर इस परियोजना को शुरू करने के लिए संघर्ष करते हुए जन जागरण अभियान के तहत समय समय पर आंदोलन चलाते हुए आ रही है, कभी अनिश्चितकालीन आमरण अनशन तो कभी पदयात्रा, तो कभी रेल रोको अभियान ,जोकि औरंगाबाद, बिहटा, पालीगंज से लेकर हाजीपुर और दिल्ली के जंतर मंत्र तक आंदोलन जारी रही लेकिन केंद्र सरकार के कानो में जु तक नहीं रेंग रही है। यह अति महत्वकांक्षी  बिहटा -औरंगाबाद रेलवे लाइन परियोजना पटना जिले से लेकर अरवल, जहानबाद, औरंगाबाद, आरा, रोहतास समेत आधा दर्जन जिलों को जोड़ने के साथ साथ यह पाटलीपुत्रा,जहानाबाद औरंगाबाद और कराकाट समेत चार लोकसभा संसदीय क्षेत्रों के लगभग 70 लाख की आबादी को सीधे लाभान्वित करेगी। फिर भी यह परियोजना खटाई में अटकी पड़ी हुई, इतनी महत्वपूर्ण यह परियोजना को केंद्र सरकार ने ठंडा बस्ती में डाल रखी है।

सनद रहे बिहटा -औरंगाबाद रेलवे लाइन परियोजना के लिए सबसे पहले 1980 में तत्कालीन सांसद एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री रहे स्वर्गीय चंद्रदेव प्रसाद वर्मा ने आवाज उठाई थी। उसके बाद प्रधानमंत्री रहे अटल बिहारी वाजपेयी के मन्त्रीमंडल में तत्कालीन केंद्रीय मंत्री रहे नीतीश कुमार ने इसकी घोषणा की थी। UPA -1 की मनमोहन सिंह सरकार में तत्कालीन रेल मंत्री रहे लालू प्रसाद यादव ने इसकी विधिवत शिलन्याश एक बड़े ही भव्य कार्यक्रम आयोजित कर पालीगंज में किया था। इस बड़े कार्यक्रम में केंद्र सरकार के केंद्रीय मंत्रियों के साथ-साथ राज्य सरकार के मंत्रियों, बिहार सरकार के मंत्रियों  के साथ-साथ बड़े पैमाने पर सांसद विधायकों के साथ-साथ बड़े पैमाने पर सैकड़ों की संख्या में गन्य मान्य अतिथियों ने हिस्सा लिया था। 

यह अति महत्वाकांक्षी परियोजना अधूरी रह गई, उस समय शिलान्यास के समय यह परियोजना की लागत लगभग 350 करोड़ थी क्योंकि अब बढ़कर लगभग 4000 करोड़ की राशि हो गई है, चार संसदीय क्षेत्र के साथ लगभग 6 जिलों को जोड़ने वाली यह हाथी महत्वपूर्ण और अति महत्वाकांक्षी योजना को पूरी होने पर सवालिया निशान लगे हैं, एक तरफ केंद्र की मोदी सरकार विकास के दावे करते हुए नहीं आघाती है फिर भी पता नहीं क्यों यह परियोजना केंद्र की नजरों से अबतक दूर है या इसे केंद्र सरकार उपेक्षित रखे हुए? यह यक्ष प्रश्न बना हुआ है?वहीं दूसरी ओर इस क्षेत्र के जनता एनडीए के सांसदों को ही जीता कर भेजती आई है।

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