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जिस अयोध्या से जीतने चले चुनाव, वहीं हारी बीजेपी, भाजपा के रामनगरी में हारने की क्या है असली कहानी,ऐसा क्यों हुआ, पढ़िए

जिस अयोध्या से जीतने चले चुनाव, वहीं हारी बीजेपी, भाजपा के रामनगरी में  हारने की क्या है असली कहानी,ऐसा क्यों हुआ, पढ़िए

अयोध्या-भारतीय जनता पार्टी गठबंधन के साथ तीसरी बार सरकार बनाने जा रही है लेकिन इन सब के बीच अगर सबसे ज्यादा किसी चीज की चर्चा है तो वह है बीजेपी का अयोध्या सीट हारना... यह बात किसी को भी हजम नहीं हो रही है लोकसभा चुनाव 2024 से कुछ महीने पहले जिस अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के नाम पर भाजपा ने वोट मांगा वहां उसके उम्मीदवार लल्लू सिंह को जीत के लाले पड़ गए आखिर ऐसा क्यों हुआ बीजेपी आखिर अयोध्या सीट कैसे हार गई? चलिए विस्तार से समझते हैं।

लल्लू सिंह फैजाबाद लोकसभा क्षेत्र से लगातार दो बार से सांसद रहे 2014- 2019 में लगातार जीतने वाले आखिर लल्लू सिंह 2024 में गच्चा कैसे खा गए... यह बात ना ही भारतीय जनता पार्टी के पदाधिकारी को हजम हो रही है और ना ही उत्तर प्रदेश की जनता को...लल्लू सिंह समाजवादी पार्टी के विधायक अवधेश प्रसाद से 54 हजार 567 वोटो से चुनाव हार गए। इस हार का सबसे बड़ा कारण लल्लू सिंह का बड़बोलापन रहा लल्लू सिंह ने चुनावी प्रचार के दौरान कहा था कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनते ही संविधान को बदल दिया जाएगा भारतीय जनता पार्टी 400 सीट जीत रही है अब यहां समझने की कोशिश करेंगे कि अयोध्या में दलित वोटरों की संख्या काफी ज्यादा है दलित वोटरों के दिमाग में यह बात बैठ गई कि भारतीय जनता पार्टी सरकार में आते ही संविधान बदल देगी अवधेश प्रसाद भी SC समाज से आते हैं इस बात का भी उन्हें फायदा मिला। फैजाबाद लोकसभा सीट सिर्फ अयोध्या तक सीमित नहीं है यह सिर्फ शहर तक सीमित नहीं है फैजाबाद लोकसभा सीट ग्रामीण इलाकों में फैला हुआ है जहां पर दलित वोटरों की संख्या काफी ज्यादा है यही वजह रही लल्लू सिंह का बड़बोलापन उन्हें ले डूबा उनके द्वारा संविधान बदलने का दिया गया बयान उनके लिए काल बन गया और भारतीय जनता पार्टी अयोध्या सीट हार गई। वही अयोध्या सीट जिसके दम पर भारतीय जनता पार्टी पूरे देश में चुनाव लड़ रही थी इस हार के बाद भारतीय जनता पार्टी को आत्म चिंतन की जरूरत है।

कौन है अवधेश प्रसाद जिन्होंने लल्लू सिंह को हराया

रामनगरी अयोध्या की फैजाबाद लोकसभा सीट पर बीजेपी की करारी हार हुई. इस सीट पर समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी अवधेश प्रसाद ने 54,567 वोटों से जीत दर्ज की. अवधेश प्रसाद को 5,54,289 वोट मिले तो वहीं बीजेपी प्रत्याशी लल्लू सिंह को 4,99,722 वोट मिले. तीसरे नंबर पर बसपा प्रत्याशी सच्चिदानंद पांडे रहे. उन्हें 46,407 वोट मिले. अवधेश प्रसाद पुराने समाजवादी नेता हैं और अयोध्या जिले की मिल्कीपुर विधानसभा से विधायक भी हैं.

अवधेश प्रसाद का जन्म 31 जुलाई 1945 को हुआ था. वह समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं. अवधेश प्रसाद को मुलायम सिंह यादव का राजनीतिक शिष्य कहा जाता है और मुलायम सिंह यादव के सबसे करीबों लोगों में इनकी गिनती होती थी. वह लंबे समय से समाजवादी पार्टी से जुड़े रहे हैं. नौ बार विधायक और अलग-अलग सरकारों में मंत्री रह चुके हैं.

अवधेश प्रसाद ने अपनी राजनीति की शुरुआत जनता पार्टी से की थी. 1977 में पहली बार अयोध्या जिले की सोहावल (एससी) विधानसभा सीट से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे. इसके बाद से अवधेश प्रसाद ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. 1985 से लेकर 2022 तक 8 बार विधानसभा चुनाव जीतते रहे. कुल 9 बार विधायक रहे. 2017 में ही उन्हें हार का सामना करना पड़ा था.

कब-कब विधायक बने अवधेश प्रसाद?

अवधेश प्रसाद 1977, 1985, 1989, 1993, 1996, 2002 और 2007 में तत्कालीन सोहावल (एससी) विधानसभा सीट से विधायक बने. 2012 और 2022 में मिल्कीपुर (एससी) विधानसभा सीट से विधायक चुने गए. केवल 2017 में एक बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा. अवधेश प्रसाद उत्तर प्रदेश सरकार में छह बार मंत्री बने. उनमें से चार में कैबिनेट मंत्री रहे हैं.

विधानसभा में अखिलेश के बगल में सीट

अवधेश प्रसाद दलित समाज से आते हैं और समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक रहे हैं. ऐसे में विधानसभा में इन्हें अखिलेश यादव के बगल में स्थान दिया गया था. इनकी गिनती भी विधानसभा में वरिष्ठ सदस्यों के रूप में होती है. बताया जाता है कि दलित वोट बैंक पर खासी पकड़ होने के साथ-साथ यादव और मुस्लिम मतदाताओं का समीकरण इनके साथ रहा. यही कॉकटेल इस चुनाव में काम कर गया और रामनगरी में बीजेपी के लल्लू सिंह हार गए.

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