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चिराग ने मुस्लिमों को किया आउट...संघर्ष के साथियों को मंझधार में छोड़ा ! कभी 'पासवान' की मुस्लिम मुख्यमंत्री की जिद से बिहार में 6 महीने में ही हुए थे 2 दफे चुनाव

चिराग ने मुस्लिमों को किया आउट...संघर्ष के साथियों को मंझधार में छोड़ा ! कभी 'पासवान' की मुस्लिम मुख्यमंत्री की जिद से बिहार में 6 महीने में ही हुए थे 2 दफे चुनाव

PATNA: चिराग पासवान के हिस्से में आई लोकसभा की पांच सीटों पर प्रत्याशी उतारे जाने के बाद तरह-तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं. कई तरह के आरोप भी लग रहे हैं. संघर्ष के साथियों को टिकट देने की बजाय बाहरी को उम्मीदवार बनाए जाने के बाद चिराग पासवान कटघरे में हैं. कहा जा रहा है कि लोजपा रामविलास ने संघर्ष के साथियों को टिकट नहीं दिया. न तो दल के वरिष्ठ नेता अरूण कुमार को ही टिकट दिया, न रेणू देवी को और न ही लोजपा(रामविलास) से जुड़े किसी दलित नेता को ही चुनावी मैदान में उतारा. टिकट दिया पाला बदलने वाली वीणा सिंह को, जेडीयू कोटे के वरिष्ठ मंत्री की बेटी को और अपने बहनोई को. वैसे चिराग पासवान ने इस बार मुसलमान को भी साफ कर दिया. कभी रामविलास पासवान के मुसलमान प्रेम की जिद की वजह से सरकार नहीं बन पाई थी और बिहार विधानसभा का चुनाव कराना पड़ा था. अब उनके पुत्र चिराग पासवान ने लोकसभा टिकट बंटवारे में मुसलमानों को ही साफ कर दिया

संघर्ष के साथियों को चिराग ने मंझधार में छोड़ा 

लोकसभा चुनाव 2024 के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सहयोगी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने तीन दिन पहले ही पांच सीट पर अपने प्रत्याशियों ने नाम का एलान किया था. हाजीपुर सीट से पार्टी प्रमुख चिराग पासवान चुनाव लड़ेंगे। वहीं मंत्री अशोक चौधरी की बेटी शांभवी चौधरी को समस्तीपुर(सुरक्षित)लोकसभा से उम्मीदवार बनाया गया है .सबसे ज्यादा चर्चित रहे जमुई(सुरक्षित) लोकसभा सीट से अरुण भारती को उम्मीदवार बनाया है। अरुण भारती चिराग पासवान के अपने बहनोई हैं। लोजपा (रामविलास) ने खगड़िया लोकसभा सीट से राजेश वर्मा और वैशाली सीट से वीणा देवी को उम्मीदवार बनाया है। वीणा देवी वैशाली की वर्तमान सांसद भी हैं। चिराग से बगावत कर पारस गुट में शामिल हो गई थीं. लेकिन चिराग को फिर से इन पर भरोसा हो गया है. अब भरोसे के पीछे की क्या वजह हो सकती है यह तो चिराग ही बतायेंगे, लेकिन क्षेत्र में तो अलग ही चर्चा है. खगड़िया सीट से पिछले चुनाव में लोजपा से चौधरी महबूब अली कैसर ने चुनाव जीता था। कैसर पारस गुट में चले गए। चिराग ने एक ही जुर्म में वीणा सिंह को माफ कर दिया पर अल्पसंख्यक कैसर का टिकट काट कर राजेश वर्मा को टिकट दे दिया. पार्टी के वरिष्ठ नेता रहे पूर्व सांसद अरूण कुमार ने तो चिराग पासवान पर धोखा देने का आरोप लगाया है. इसके अलावे कई अन्य नेताओं ने भी चिराग पासवान पर गंभीर आरोप लगाए हैं. 

बात बिहार फर्स्ट और बिहारी फर्स्ट की ,टिकट दिया.....

बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के ठीक पहले लोजपा सुप्रीमो चिराग पासवान ने 'बिहार फर्स्ट और बिहारी फर्स्ट' का नारा लॉन्च किया था. तब कहा गया था कि 'बिहार फर्स्ट और बिहारी फर्स्ट' यह दो शब्द हैं. इसमें बिहार फर्स्ट का मतलब बिहार को देशभर में नंबर वन राज्य बनाने का सपना . इसके अलावा बिहारी फर्स्ट का मतलब साफ है कि प्रदेश में जितने भी महत्वपूर्ण संस्थान हैं, शिक्षा से लेकर सभी जगहों पर केवल बिहारी ही हों. इस नारे को पढ़ने-सुनने में काफी अच्छा लगता है. चिराग पासवान अपने नारे में भले ही बिहारी को आगे बढ़ाने की बात करते हों  लेकिन टिकट देना का जब भी मौका आया, परिवार-रिश्तेदार को ही चुना. अभी देख लीजिए....खुद जमुई लोकसभा सीट को छोड़ा, लेकिन खाली हुई सीट पर दल के दलित नेताओं को उम्मीदवार नहीं बनाया. चिराग पासवान की पार्टी में दलित नेताओं की कोई कमी नहीं है. प्रदेश महासचिव संजय पासवान हैं, सुभाष पासवान, परशुराम पासवान, एससी-एसटी के प्रदेश अध्यक्ष से लेकर कई अन्य नाम हैं. जमुई(सुरक्षित) लोकसभा सीट पर  टिकट के दावेदारों में कई दलित नेताओं के नाम थे. लेकिन चिराग पासवान ने भरोसा किया तो अपने रिश्तेदार यानि जीजा अरूण भारती पर. ऐसे में बिहार की जनता  ''बिहार फर्स्ट-बिहारी फर्स्ट'' नारे पर कैसे भरोसा कर सकती है. 

बता दें, एनडीए में सीट बंटवारे में चिराग पासवान को पांच सीटें मिली हैं. इनमें हाजीपुर, जमुई और समस्तीपुर सुरक्षित सीटें हैं. वहीं वैशाली और खगड़िया की सीटें भी खाते में आई हैं. 2019 लोकसभा चुनाव में लोजपा को छह सीटें मिली थी. छह में तीन हाजीपुर, जमुई और समस्तीपुर सुरक्षित सीटें थी. तब रामविलास पासवान ने तीनो सुरक्षित सीटें अपने बेटे और दोनों भाइयों के बीच बांट दी थी. साल 2019 लोस चुनाव में हाजीपुर से पशुपति पारस, समस्तीपुर से रामचंद्र पासवान और जमुई से चिराग पासवान ने जीत दर्ज की थी. 2024 चुनाव में भी ये तीनों सीटें चिराग के पास हैं. इनमें हाजीपुर से स्वयं लड़ेंगे, जमुई से जीजा को लड़ा रहे हैं, समस्तीपुर से नीतीश कैबिनेट में मंत्री अशोक चौधरी की बेटी शांभवी चौधरी को उतारा है. अशोक चौधरी दलित हैं, लिहाजा इनकी बेटी को चिराग पासवान ने समस्तीपुर सीट से चुनावी मैदान में उतार दिया है.

हालांकि जमुई से अपने बहनोई को टिकट देने पर चिराग पासवान ने सफाई भी पेश किया है. चिराग ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि जमुई में वह अपनों के बीच किसी अपने को ही लेकर गए हैं। उन्होंने कहा कि यह उनके लिए जरूरी था क्योंकि जमुई उनके लिए एक लोकसभा क्षेत्र नहीं है, इन 10 सालों में उन्होंने जमुई के लोगों से एक बेटे, भाई और भतीजे का रिश्ता बनाया है। कहा कि ऐसे में मेरा कोई अपना ही उस भावना से एक सांसद बनकर नहीं एक बेटा बनकर जमुई में काम कर सकता है। जिस तरीके से चुनाव प्रचार चल रहा है और जो क्षेत्र से जानकारी मिल रही है, ऐसा लग रहा है कि कि अरुण भारती बेहतर प्रदर्शन करेंगे

कभी रामविलास की मुस्लिम CM की जिद से 6 महीने में ही हुए थे दो दफे चुनाव 

साल 2005 ऐसा साल था जब एक वर्ष में बिहार में दो विधानसभा चुनाव हुए. रामविलास पासवान 29 विधायकों को लेकर मुस्लिम मुख्यमंत्री की मांग कर सबको चौंका दिया था. चिराग पासवान के पिता रामविलास पासवान 29 सीट जीतकर किंगमेकर बने थे.  त्रिशंकू विधानसभा में पासवान 29 विधायकों के साथ जिस किसी को चाहें सीएम बनाने की हैसियत रखते थे. जब उनके पास RJD को समर्थन देने का प्रस्ताव लाया गया तो उन्होंने ऐसी शर्त रखी जिसने लालू के सामाजिक न्याय बनाम पारिवारिक मोह की परीक्षा ले ली. पासवान ने कहा था कि वे आरजेडी या किसी दल या गठबंधन को समर्थन तभी देंगे जब वे बिहार का मुख्यमंत्री किसी मुस्लिम को बनाएंगे. तब यह शर्त न तो लालू प्रसाद को मंजूर था और न ही भाजपा को. नतीजा हुआ कि अक्टूबर-नवंबर 2005 में फिर से चुनाव हुए और नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने. वहीं रामविलास पासवान की स्थिति कमजोर हो गई.  

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