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चिराग पासवान ने लालू, नीतीश और शिक्षा मंत्री पर साधा निशाना, कहा बयानों की बदौलत होगा बेड़ा गर्क...

चिराग पासवान ने लालू, नीतीश और शिक्षा मंत्री पर साधा निशाना, कहा बयानों की बदौलत होगा बेड़ा गर्क...

PATNA: रालोजपा अध्यक्ष और जमुई सांसद चिराग पासवान ने जमुई में हुई दारोगा की हत्या को लेकर नीतीश सरकार और शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के ऊपर जमकर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से जमुई की एक घटना घटी है। यह उदाहरण है कि किस तरह से पूरे प्रदेश में अवैध बालू खनन को लेकर एक गोरा धंधा बिहार सरकार संरक्षण में पनपना का काम कर रहा है। यह घटना प्रमाण है की बिहार की हर एक जिले में इस तरह से अवैध बालू खनन हो रहा है और उसे खनन के कारण से जो लोग उसको रोकने का प्रयास करते हैं किस तरीके से उनकी हत्या कर दी जाती है। चिराग ने कहा कि जमुई में भी कुछ दिनों पहले एक पुल भी गिरा था। जिसको देखने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी गए थे। उसके पीछे भी कारण बालू खनन ही था। अगर पिलर्स के पास के बालू को अवैध तरीके से नहीं हटाया गया होता तो इस तरह की घटना नहीं होती। वहीं कल जिस तरह से दारोगा की हत्या हुई यह अपने में दर्शाता है कि जो लोग भी इस गोरे धंधे में शामिल है उनका मनोबल इतना ज्यादा बढ़ गया है कि खुलेआम दिनदहाड़े वह लोग बालू का अवैध खनन कर रहे हैं। 

सरकार की संरक्षण में चल रहा अवैध बालू खनन का कारोबार

उन्होंने कहा कि इन मामलों में बिहार सरकार की चुप्पी इस बात को दर्शाता है कि सरकार की संरक्षण में इस तरह के काम हो रहे हैं। सरकार को फर्क नहीं पड़ता मुख्यमंत्री जल जीवन हरियाली को लेकर नारा तो लगते हैं, हमारे प्रधानमंत्री से कंपटीशन तो करते हैं लेकिन जिस तरीके से बिहार के हालत बना दिए हैं वह दिन दूर नहीं है कि हम लोग आने वाली पीढ़ी को एक सुखार के रूप में पूरा बिहार प्रदेश सौंप कर जाएंगे। अगर बालू खनन पर जल्द से जल्द कार्रवाई नहीं होती और इसको रोका नहीं जाता तो।

शिक्षा मंत्री के बातों का जवाब देने बेमतलब

वहीं शिक्षा मंत्री के बयान को लेकर चिराग पासवान ने कहा कि शिक्षा मंत्री के  बातों का जवाब देने का कोई मतलब नहीं है। बिहार सरकार में मंत्री को सिर्फ और सिर्फ बेतुकी बयान देने के लिए रखा गया है। फालतू की बातें करने के लिए इनको रखा गया है। इनको शिक्षा विभाग अपने विभाग के अलावा हर चीज में ध्यान रहता है। कभी सनातन को गाली देंगे तो कभी रामचरितमानस को गाली देंगे तो कभी बेकार की बातें करेंगे। कहते हैं  कोई छोटी घटना नहीं है। अगर छोटी घटना नहीं है तो मंत्री जी के परिवार में इस तरह की कोई घटना घट जाए, हत्या हो जाए भगवान ना करें लेकिन उसको भी यह बोलेंगे कि यह बातें तो होती रहती है। हिम्मत है तो मंत्री जी जाए उस परिवार में दरोगा की हत्या हुई है जाकर मिले उस परिवार से इस तरह की बयान देना आदत बन गई है।

इनका बयान ही बनेंगा इनके पतन का कारण

चिराग पासवान ने कहा कि इसमें सरकार को कोई दोष क्या  दें, इनकी मंत्रियों को कोई दोष क्या दें, जब उनके खुद मुखिया बिहार के मुख्यमंत्री इतने शर्मनाक बयान देते हैं तो उसके मुकाबले में तो यह कुछ भी नहीं है। यह सरकार की आदत बन गई है उनके मुख्यमंत्री हो या इनके सरकार के कोई भी मंत्री हो आदत बन गई है ऐसे बयान देने की और इनका बयान ही उनके पतन का कारण बनेगा। लोकसभा चुनाव सर पर है, तुरंत उसके आसपास विधानसभा के बीच चुनाव होने हैं देखिएगा इनके पतन का कारण इनका बयान ही बनेगा।

सीएम को है इलाज की जरूरत

वहीं सीएम नीतीश के द्वारा विधानसभा सत्र में दिए गए बयान की निंदा होने के बाद मुख्यमंत्री ने मीडिया से दूरी बना ली है। जिसे लेकर चिराग पासवान ने कहा कि, मुख्यमंत्री को शायद उनके आसपास के लोगों ने समझा दिया कि अब वह जितना कम बोल उनके लिए उतना बेहतर है। हाथ जोड़ने की भी जो उनकी बॉडी लैंग्वेज है, उनमें सुधार की गुजारिश जरूर है। हमको लगता है कि यह एक अच्छी सीख उनके आसपास के लोगों ने उनको दी है, क्योंकि मेरे मुख्यमंत्री एक समय था कि उनके बोलने की शैली के लोग मुरीद होते थे। मेरा भी उनसे लाख विरोध सही पर यकीनन शुरुवाती दिनों में मेरे मुख्यमंत्री जो बोलते थे और जो उनकी शैली थी मैं भी उससे प्रभावित था। जिस मर्यादित शब्दों का मेरे मुख्यमंत्री इस्तेमाल करते थे। लेकिन हाल फिलहाल के दिनों में भले जनता दरबार में स्वयं बोलकर बैठना हो कि गृह मंत्री से बात करिए या विधानसभा में जिस तरह से अश्लील शब्दों का उन्होंने उच्चारण किया या जिस तरह से उन्होंने पूर्व मंत्री मांझी जी को अपने शब्दों से अपमानित करने का काम किया ऐसे में मुख्यमंत्री जी जितना काम बोले उतना बेहतर है। लेकिन उनकी बॉडी लैंग्वेज भी जिस दिन वह आपके बिना कुछ बोले प्रणाम कर रहे थे और जो बॉडी लैंग्वेज थी यही बॉडी लैंग्वेज कुछ दिनों पूर्व जब पूर्व मंत्री के घर पर पुण्यतिथि पर गए थे और उनके सुपुत्र जो की उनके विभाग में इन्हीं के कैबिनेट में मंत्री भी हैं श्रद्धांजलि तस्वीर करने के बजाय अपने मंत्री के ऊपर पुष्प वर्षा करने लगे। उनकी बॉडी लैंग्वेज पर कितनी सीमित कर दी जाए, लेकिन मैं बार-बार कह रहा हूं उनके आसपास के लोगों को ध्यान देने की जरूरत है कहीं कुछ गड़बड़ी तो है। मेरे मुख्यमंत्री के हालात को लेकर चिंता हम सब की है। यह उनकी बॉडी लैंग्वेज हो या उनकी भाषा हो यह नॉर्मल नहीं है और यकीनन इसका ध्यान उनके आसपास के लोगों को देना चाहिए। संभवतः उन्हें इलाज की जरूरत है तो उनका इलाज कराना चाहिए।

यादव समाज को अपनी जायदाद समझता है एक राजनीतिक परिवार

लालू यादव की बयान कि कुछ लोग यादव समाज को तोड़ने में लगे हुए को लेकर चिराग पासवान ने कहा कि जिस तरह एक जाति विशेष को अपनी जायदाद समझने की सोच लंबे समय से बिहार की एक राजनीतिक परिवार की रही है। सवाल यह उठता है कि वह परिवार एक लंबे समय से बिहार की सत्ता में भी रहा है और आज की तारीख में भी गठबंधन में है। वह परिवार ऐसे में जो यादव जाति को यदुवंशियों को जिस तरह से वह अपनी जायदाद समझते हैं। वह उनके लिए आज तक किया क्या है। क्या उस परिवार ने उस समाज को पूरी तरह से हास्य से निकलने में कामयाब रहा अगर नहीं तो उस समाज का विश्वास अगर दूसरे दलों में और दूसरे गठबंधन में होता है तो इससे किसी को ऐतराज़ क्यों होता है और कल जिस तरह से दूसरे राजनीतिक दलों में उस समाज से आने वाले लोगों के बारे में जिस तरह से बातों को कहा गया यह दर्शाता है कि कहीं ना कहीं इनसिक्योरिटी तो है। उस परिवार में की जो समाज आज तक कहीं ना कहीं बंधवा मजदूर की तरह उनके साथ जुड़ा हुआ था, वह आज उनसे झटकने लगा है। दूर जाने लगा है और दूसरे दलों में दूसरे गठबंधनों में उनका विश्वास है। और मुझे लगता है कि लोकतंत्र की खूबसूरती ही यहीं है कोई किसी के साथ बंधवा मजदूर की तरह बना रहे यह लोकतंत्र नहीं हो सकता। लोकतंत्र में जनता को पूरी तरह से यह अधिकार है। जात पात, जाति समाज से ऊपर उठ कर मतदान करने की जरूरत है।

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