बिहार उत्तरप्रदेश मध्यप्रदेश उत्तराखंड झारखंड छत्तीसगढ़ राजस्थान पंजाब हरियाणा हिमाचल प्रदेश दिल्ली पश्चिम बंगाल

LATEST NEWS

बिहार की सियासी हलचल : भाजपा-जदयू बना रहा चुनावी किला फतह करने की रणनीति - आरके राजू

बिहार की सियासी हलचल : भाजपा-जदयू बना रहा चुनावी किला फतह करने की रणनीति - आरके राजू

PATNA : इस बार बिहार विधानसभा चुनाव कांग्रेस और राजद के लिए बड़ी चुनौती होगी। चुनाव के मद्देनजर दोनों दलों ने अभी से ही बिहार में अपना अस्तित्व बचाने के लिए प्रयास तेज कर दिए हैं। गौरतलब है कि इस बार राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद की गैर-मौजूदगी में चुनावी समर जीतने की जद्दोजहद होगी।   वर्ष 2000 के बाद के चुनाव में राजद ओर कांग्रेस के लिए चुनावी वैतरणी पार कराने वाले तारणहार के रूप में रहे लालू प्रसाद वर्तमान में चारा घोटाला मामले में जेल में हैं। इस कारण चुनाव में उनकी उपस्थिति संभव नहीं है।

राजद के लिए सबसे बड़ी बात यह है कि अनुभवी चेहरों को महत्व नहीं देकर, उन्हें दरकिनार कर तेजस्वी यादव ने स्वयं ही चुनावी कमान संभालने का जिम्मा ले रखा है।

पिता से विरासत में मिली राजनीति को तेजस्वी जितने हल्के ढंग से ले रहे हैैं, इसका खमियाजा राजद को चुनाव में भुगतना पड़ सकता है।  तेजस्वी भी यह जानते हैं कि इस बार यदि चुनाव में लोकसभा जैसी स्थिति बनी तो उनके राजनीतिक भविष्य और पार्टी के अस्तित्व पर भारी खतरा उत्पन हो जाएगा। क्योंकि अभी उनका परिवार विभिन मुकदमों में फंसा हुआ है। राजद में भी कई गुट बन गए हैं, जो चुनाव में हानि पहुंचा सकते हैं।  तेजस्वी ने चुनाव प्रचार के लिए अकेले ही मोर्चा संभाल रखा है। उन्होंने वर्चुअल रैली भी अभी तक शुरु नही किया है।

दूसरी तरफ कांग्रेस की भी स्थिति बिहार में अच्छी नहीं है। कांग्रेस का राजद के साथ गठबंधन कर चुनाव मैदान में उतरना मजबूरी हो गयी है। अब राजद जितना भी सीट दे, कांग्रेस को मजबूरी में लेना ही होगा। सूत्र बताते हैं कि बिहार कांग्रेस के कुछ नेताओं ने पार्टी आलाकमान सोनिया गांधी तक खबर पहुंचा दी है कि यहां कांग्रेस अपने बलबूते चुनाव लड़ने स्थिति में नही है। कुछ इसी तरह के संकेत बिहार कांग्रेस प्रभारी ने भी दिल्ली दरबार को दिया है।

वर्ष 2000 के विधान सभा के चुनाव पर गौर करें तो उस समय कांग्रेस ने अखंड बिहार से सभी सीटों पर चुनाव लड़ा था। लेकिन 29 सीटों पर ही जीत हासिल की थी। उस समय चुनाव में राजद सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी। लेकिन बहुमत नहीं होने की बात कहकर राजद को सत्ता से दूर रखने की रणनीति बनाकर समता पार्टी के नितीश कुमार बिहार के पहली बार मुख्यमंत्री बने। लेकिन वे भी सदन में बहुमत सिद्ध नही कर पाने के कारण त्यागपत्र देकर यह कहकर चलते बने कि  वे लालू के खिलाफ बिहार में खूंटा बांधकर आंदोलन करेंगे। वहीं, दूसरी ओर राजद के लालू प्रसाद ने कांग्रेस और अन्य दलों के विधायकों को मिलाकर तत्कालीन राज्यपाल के खिलाफ आंदोलन शुरू कर दिया। उस समय के तत्कालीन राज्यपाल सुंदर सिंह भंडारी पर पक्षपात करने का आरोप लगाया। कांग्रेस सहित कई पार्टी के विधायकों को मिलाकर सरकार बनाने में लालू सफल रहे। इस सरकार में पहली बार कांग्रेस के जीते सभी विधायकों को मंत्री बना दिया गया। झारखंड को अलग राज्य बनाने का प्रस्ताव भी विधानसभा में सर्वसम्मति से पारित करवा लिया। इससे सरकार और राजभवन में टकराव बढ़ा और राज्यपाल सुंदर सिंह भंडारी ने बिहार को अलविदा कह दिया। तब से कांग्रेस बिहार में लालू प्रसाद के रहमोपर है। स्थिति यह बन गयी है कि राजद के लिए कांग्रेस खिलौने के समान बन गयी है। अभी भी कांग्रेस की स्थिति राजद के पिछलग्गू की ही बनी हुई है। प्रदेश कांग्रेस के कई कद्दावर नेता पार्टी को गुड बाय कहकर अन्य दलों में चले गए हैं। प्रदेश कांग्रेस की स्थिति यह हो गई है कि  निष्ठावान और समर्पित नेताओं और कार्यकर्ताओं का पार्टी से मोहभंग होता जा रहा है। कांग्रेस के कुछ युवा कार्यकर्ताओं की मानें तो पार्टी में युवाओं को समुचित सम्मान व तरजीह नहीं मिलती है। जिसका खामियाजा चुनाव में भुगतना पड़ सकता है।

बिहार में कांग्रेस और राजद के बाद चुनाव में अन्य छोटे दल, जो महागठबंधन में शामिल हैं, उनका जनाधार ऐसा नहीं है कि चुनाव में कुछ करिश्मा कर सकें। इसलिए अस्तित्व का प्रश्न उन दलों पर भी है।

वहीं, बात जदयू की करें, तो विधानसभा चुनाव की तैयारी में जदयू पूरी तरह जुट गया है। वर्चुअल रैली के माध्यम से चुनावी किला फतह करने की दिशा में रणनीति बनाई जा रही है। जदयू के नेतागण नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली बिहार सरकार की उपलब्धियों का बखान कर रहे हैं। वर्चुअल रैली की कमान सांसद आरसीपी सिंह,ललन सिंह और राज्य सभा के उपसभापति हरिवंश संभाले हुए हैं। उधर, भाजपा ने वर्चुअल रैली का श्रीगणेश अमित शाह से करवा तो दिया, लेकिन पार्टी कार्यालय के कोरोना की चपेट में आ जाने के कारण अभी फिलहाल गतिविधियां स्थगित है।

 गौरतलब है कि कोरोना संक्रमण काल में बिहार में विधानसभा चुनाव कराने का विरोध जदयू और भाजपा को छोड़कर अन्य सभी पार्टियां कर रही है। लेकिन चुनाव आयोग चुनाव तैयारी जारी रखे हुए है। समय पर चुनाव होने की भी बात की जा रही है। 

 (लेखक बिहार के जाने-माने पत्रकार हैं)

Suggested News