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तीन राज्यों में कांग्रेस की करारी हार क्या नीतीश के लिए बनेगा वरदान...या फिर सपनों में लग गया पलीता...फायदा या नुकसान... पढ़िए इनसाइड स्टोरी

तीन राज्यों में कांग्रेस की करारी हार क्या नीतीश के लिए बनेगा वरदान...या फिर सपनों में लग गया पलीता...फायदा या नुकसान... पढ़िए इनसाइड स्टोरी

PATNA: देश के चार राज्यों के विधानसभा चुनाव के परिणाम में बीजेपी 3.1 से आगे है। राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में बीजेपी अपनी सरकार बना रही है। तो वहीं तेलंगाना में। कांग्रेस की सरकार बन रही है। तीन राज्यों के चुनाव को लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल बताया जा रहा है। वहीं इस राज्यों के चुनाव का परिणाम कहीं ना कहीं बिहार की राजनीति पर भी गहरा असर डालती दिख रही है।  वहीं इन तीन राज्यों में कांग्रेस को मिली हार का फायदा कहीं ना कहीं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को मिल सकता है।

दरअसल, बीजेपी से अलग होने के बाद सीएम नीतीश ने राजद के साथ गठबंधन कर बिहार में महागठबंधन की सरकार बनाई। जिसके बाद नीतीश कुमार एक नई कवायद में जुट गए। नीतीश कुमार ने बिखरी हुई विपक्ष को एकजुट करने की ठानी। नीतीश कुमार इस दौरान विपक्ष के कई नेताओं से मिले और उनका विपक्ष को एकजुट करने का प्रयास सफल भी हुआ। नीतीश कुमार के अगुवाई में पटना में विपक्ष की पहली बैठक बुलाई गई। इसमें कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, राहुल गांधी सहित कई नेता शामिल हुए। लेकिन इस बैठक में नीतीश कुमार की एक बड़ी उम्मीद टूट गई। दरअसल, बीजेपी से अलग होने के बाद सीएम नीतीश ने राजद के साथ गठबंधन कर बिहार में महागठबंधन की सरकार बनाई। जिसके बाद नीतीश कुमार एक नई कवायद में जुट गए। दरअसल उन्हें इस गठबंधन के संयोजक बन प्रधानमंत्री का उम्मीदवार बनने का कयास लगाया जा रहा था। लेकिन उनके ही बड़े भाई और राजद सुप्रीमो लालू यादव ने इसपर पानी फेर दिया। इस बैठक में लालू यादव में राहुल गांधी को दूल्हा और बाकी नेताओं को बाराती करार दिया।

इस बैठक में नीतीश कुमार को संयोजक बनने का निर्णय नहीं लिया गया। वहीं इस बैठक के बाद इस गठबंधन की दो और बैठक की गई। दूसरी बैठक बेंगलुरु में और तीसरी बैठक मुंबई में आयोजित हुई। तीसरी बैठक में विपक्षी गठबंधन का नाम INDIA रखी गई, लेकिन इस बैठक में भी नीतीश कुमार को संयोजक नहीं बनाया गया। कहीं ना कहीं इस गठबंधन को कांग्रेस पार्टी ने हाईजैक कर लिया था, यहां तक की विपक्षी गठबंधन का नाम भी कांग्रेस के नेताओं के द्वारा ही रखा गया था। हालाँकि पिछले कुछ दिनों से इंडिया गठबंधन को लेकर किसी भी नेता की ओर से कोई बयान नहीं दिया जा रहा था। सीएम नीतीश ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा था कि, कांग्रेस को इंडिया गठनबंधन से कोई मतलब नहीं है। वह पांच पार्टियों के विधानसभा चुनाव में लगे हैं। जिसके तुरंत बाद खड़गे ने नीतीश कुमार को फोन कर अपना पक्ष भी रखा था।

लेकिन अगर बात कांग्रेस की हार और नीतीश कुमार के फायदे की करें तो जो इंडिया गठबंधन अब तक नीतीश कुमार को दरकिनार कर रही थी। उसे ही अब नीतीश कुमार को तरजीह देनी होगी। चुकी कांग्रेस के नेतृत्व में तीन विधानसभा में करारी हार मिली है तो कहीं ना कहीं मजबूरी में ही सही कांग्रेस को भी लोकसभा चुनाव लालू यादव और नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़नी होगी। वहीं बीते दिन लालू यादव ने भी कहा था कि, नीतीश कुमार का कोई मुकाबला नहीं है। इन सबके बीच अगर देखा जाए तो विपक्षी अगुवाई की सारी जिम्मेदारी नीतीश कुमार के कंधे पर आ सकती हैं और कांग्रेस की हार नीतीश कुमार के लिए बेहतर साबित हो सकती है।

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