नई शिक्षक नियुक्ति नियमावली के विरोध में उतरी कांग्रेस, सीएम नीतीश को अखिलेश सिंह ने जमकर सुनाया

पटना. नई शिक्षक नियुक्ति नियमावली को लेकर बिहार के शिक्षकों का विरोध जारी है. अब सत्तारूढ़ महागठबंधन के घटक दलों ने भी इस पर आपत्ति जतानी शुरू कर दी है. कांग्रेस ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से अनुरोध किया है कि पिछले कई वर्षों से पढ़ा रहे शिक्षकों के प्रति सहानुभूति दिखाने की आवश्यकता है. कांग्रेस के बिहार प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह ने रविवार को कहा कि नई शिक्षक नियोजन प्रणाली पर बिहार के मुख्यमंत्री से हम भी अनुरोध करेंगे कि इस पर वे सहानुभूति पूर्वक निर्णय लें. जिन शिक्षकों ने लंबे अरसे तक पढ़ाया है उनके समायोजन पर भी विचार किया जाए.
उन्होंने कहा कि नई शिक्षक नियुक्ति नियमावली को हमलोग भी उचित नहीं मानते हैं. जिन शिक्षकों ने 15 वर्ष तक पढ़ाया अब उनकी योग्यता पर सवाल किया जा रहा है. इसे हम लोग उचित नहीं मानते हैं. उनके समायोजन का भी विचार किया जाए. इसके पहले वामपंथी दलों ने भी नीतीश सरकार के इस फैसले पर आपत्ति जताई थी. अब कांग्रेस भी इस मुद्दे पर नीतीश सरकार के खिलाफ हो गई है. वहीं शिक्षकों ने पहले ही इस मुद्दे पर आंदोलन की धमकी दे रखी है.
इस बीच, जातीय जनगणना के मुद्दे पर अखिलेश सिंह ने भाजपा को जमकर लताड़ा. उन्होंने कहा कि जातीय जनगणना के मुद्दे पर पटना हाई कोर्ट ने जो निर्णय दिया है उस पर अब बिहार सरकार फिर से कोर्ट गई है. उन्होंने कहा कि भाजपा का यह आरोप कि नीतीश सरकार की मंशा ही जातीय गणना कराने की नहीं है पूरी तरह से बेबुनियाद है. उन्होंने दावा किया कि भाजपा के लोग ही हाईकोर्ट गए थे और गणना पर रोक की मांग की. ऐसे में बिहार की जनता जानती है कि किसकी मनसा जाति गणना पर रोक लगाने की थी.
वहीं बिहार में बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने के मुद्दे पर अखिलेश ने कहा कि बजरंग दल की जो मनसा और कारगुजारियां रही हैं उसे भारतीय जनमानस के लोग नहीं स्वीकारते हैं. भारतीय संविधान सभी जाति और धर्म के लोगों को एक समान दृष्टि से देखता है. उसी के अनुसार चलता है. ऐसे में बजरंग दल को भारतीय जनमानस स्वीकार नहीं करता है .