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शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के फरमान की नाफरमानी नाकाबिल-ए-बर्दाश्त , गाज गिरनी शुरू, कई शिक्षकों को चिट्ठी आनी शुरू ,मचा हड़कंप

शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के फरमान की नाफरमानी नाकाबिल-ए-बर्दाश्त , गाज गिरनी शुरू, कई शिक्षकों को चिट्ठी आनी शुरू ,मचा हड़कंप

पटना-  बिहार में प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा तक में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने हड़कंप मचा दिया है. समय पर स्कूल खुलने लगे हैं. शिक्षक समय से स्कूल आने-जाने लगे हैं. यह अकेले केके पाठक की सख्ती और सक्रियता का कमाल है और तो और, अब उच्च शिक्षा में भी सुधार की संभावना दिखने लगी है.इसके साथ ही उनके कुछ निर्णय का जमकर विरोध भी हो रहा है. बिहार के शिक्षकों पर शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने गाज गिरानी शुरू कर दी है. अब तक कई शिक्षकों को चिट्ठी आनी शुरू हो गई है. इन शिक्षकों से पूछा जा रहा है कि जब मना किया था तो फिर भी ऐसा काम क्यों किया? बिहार में शिक्षकों को कारण बताओ नोटिस पत्र मिला है.ऐसी चिट्ठी मोतिहारी, नालंदा के शिक्षकों को मिली है. केके पाठक का निर्देश है कि शिक्षक किसी संघ से वास्ता नहीं रखेंगे और न ही सोशल मीडिया पर शिक्षा विभाग की नीतियों के खिलाफ कुछ लिखेंगे.

 एक मोतिहारी के एक शिक्षक को जिला कार्यक्रम पदाधिकारी की ओर से पत्र मिला है. केशव कुमार जोउ. म. विद्यालय बडहरवा सिवन में  सहायक शिक्षक  हैं उनसे  चिट्ठी में इनसे पूछा गया है कि 'उपर्युक्त विषयक विभागीय अधिसूचना संख्या- 2693 दिनांक 27.11.2023 एवं दिनांक 27.11.2023 से निर्गत कैलेंडर वर्ष 2024 के सभी राजकीय/राजकीयकृत एवं अल्पसंख्यक सहायता प्राप्त विद्यालयों की अवकाश तालिका जारी की गई है. इसके विरुद्ध में आपके द्वारा सोशल मीडिया पर विरोध किया जा रहा है. साथ ही अन्य शिक्षकों को भी विभाग के खिलाफ भड़काने का प्रयास किया जा रहा है. यह कृत्य शिक्षक के आचरण एवं अनुशासन के प्रतिकूल है. अतः उक्त पर अपना स्पष्टीकरण 24 घंटे के अंदर अधोहस्ताक्षरी कार्यालय में समर्पित करना सुनिश्चित करें कि क्यों नहीं आपके विरुद्ध उक्त कार्य के लिए कठोर अनुशासनिक कार्रवाई की जाए.'

विनय कुमार जो उच्च माध्यमिक विद्यालय वेले बकौर, इस्लामपुर के शिक्षक हैं.भेजी गई चिट्ठी में लिखा है कि 'बिहार सरकार के शिक्षा विभाग के अधिसूचना संख्या 2707 दिनांक 28.11.2023 द्वारा सभी सरकारी विद्यालयों हेतु मॉडल टाइम टेबल निर्धारित किया गया है, जिसके विरुद्ध में आपलोगों के द्वारा आज दिनांक 29.11.2023 को यूट्यूब के माध्यम से विभाग द्वारा निर्गत टाइम टेबल के विरुद्ध भड़काऊ बयान देते हुए प्रदर्शित पाया गया है. साथ ही उक्त भड़काऊ बयान में आपलोगों के साथ-साथ अन्य दो महिला शिक्षिका भी शामिल थीं. अतः निर्देश दिया जाता है कि उपरोक्त संदर्भ में 24 घंटे के अंदर अपना स्पष्टीकरण अधोहस्ताक्षरी कार्यालय को उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें कि क्यों नहीं उपरोक्त आरोप के तहत आपके विरुद्ध अनुशासनिक कार्रवाई हेतु विभाग को प्रतिवेदित किया जाए.

कुछ शिक्षकों ने इसका विरोद करते हुे कहा है कि शिक्षा विभाग के पदाधिकारी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जैसे मौलिक अधिकार का हनन कर रहे हैं. ऐसा लग रहा है जैसे बिहार में आपातकाल घोषित हो चुका है.

बता दें शिक्षकों का आरोप है कि केके पाठक ने इस बार लोकतांत्रिक प्रणाली पर ही हमला बोला है। उन्होंने अपने नए फरमान में कहा है कि प्राथमिक ,माध्यमिक और उच्च माध्यमिक के शिक्षकों और शिक्षकेत्तर कर्मचारी सोशल मीडिया या अखबार में अपने विचार प्रकट कर रहे हैं. वो इस क्रम में सरकार की नीतियों की भी आलोचना कर रहे हैं. ऐसा किया जाना शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने में बाधा पहुंचा रहा है .अपने इसी वक्तव्यों के आधार पर केके पाठक ने तीन नए निर्देश जारी किए हैं.

  1. शिक्षा विभाग की ओर से किसी भी शिक्षक या शिक्षकेत्तर कर्मियों के किसी भी संघ को मान्यता नहीं दी गई है।
  2. शिक्षा विभाग की तरफ से किसी भी शिक्षक या शिक्षकेत्तर कर्मियों का किसी भी संघ के सदस्य बनने की मनाही है। यदि कोई शिक्षक या शिक्षकेत्तर कर्मी किसी संघ की स्थापना करता है या फिर उसकी सदस्यता ली जाती है तो उसे गंभीर कदाचार माना जाएगा। ऐसे में इनके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
  3. किसी भी शिक्षक या शिक्षकेत्तर कर्मियों द्वारा सोशल मीडिया, अखबार या टीवी के माध्यम से अनर्गल प्रचार प्रसार नहीं किया जायेगा। ऐसा किया गया तो इसे गंभीर कदाचार माना जाएगा। ऐसे में अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। इसका जमकर विरोध कर रहे हैं. 

 

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