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शर्मनाक! अपने DSP और थानेदार की इज्जत भी नहीं बचा सकता दारोगा... IO ने आरोपी पार्षद की जमानत में की मदद

शर्मनाक! अपने DSP और थानेदार की इज्जत भी नहीं बचा सकता दारोगा... IO ने आरोपी पार्षद की जमानत में की मदद

PATNA : पुलिस पर भरोसा किया जाता है कि वह लोगों को इंसाफ दिलाएगी, लेकिन बात जब खुद के साथ हुई घटना को लेकर इंसाफ पाने की हुई तो इतने भी सबूत भी नहीं जुटा सकी कि आरोपी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा सके। नतीजा यह हुआ कि आरोपी को कोर्ट से आसानी से जमानत मिल गई। 

मामला 35 दिन पहले पीरबहोर थाना में हुई मारपीट से जुड़ा है। जब 8 सितंबर को वार्ड 40 के निवर्तमान पार्षद असफर अहमद ने  थाने में घुसकर टाउन डीएसपी, इंस्पेक्टर और अन्य पुलिसकर्मियों के साथ धक्कामुक्की की और धमकी दी थी। उस समय इस घटना को लेकर खूब हंगामा हुआ और आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई। लेकिन अब अपने लिए न्याय पाने को पुलिस साक्ष्य नहीं जुटा सकी। इस वजह से जेल भेजे गए आरोपी वार्ड 40 के निवर्तमान पार्षद असफर अहमद को कोर्ट ने जमानत दे दी है। अनुसंधानकर्ता एसआई प्रमोद कुमार ने केस डायरी में वार्ड पार्षद पर लगे आरोपों के बाबत कोई ठोस साक्ष्य नहीं दर्शाया।

एसआई ने  कर दिया बड़ा खेल

कोर्ट में आरोपी के वकील ने कहा कि पुलिस कोई ठोस और वैज्ञानिक साक्ष्य उपलब्ध नहीं करा सकी है। आरोप बेबुनियाद हैं। दोनों पक्षों की दलीलों और केस डायरी के अवलोकन के बाद कोर्ट ने असफर अहमद को जमानत दे दी। इधर मामले की जांच एसएसपी के स्तर से करवाई गई। जांच में पाया गया कि एसआई ने केस डायरी में वार्ड पार्षद को मदद पहुंचाई है।

इसके बाद एसएसपी ने एसआई प्रमोद कुमार को निलंबित कर दिया। यह स्थिति तब है जब पीरबहोर थाने में हाईक्वालिटी का सीसीटीवी कैमरा लगा है। कैमरे में पूरी घटना का वीडियो और ऑडियो रिकॉर्ड है। साक्ष्य के तौर पर केस डायरी में आईओ ने इसका भी जिक्र नहीं किया है। टाउन डीएसपी अशोक कुमार ने कहा कि जांच में लापरवाही बरती गई है। यह कर्तव्यहीनता का मामला है।

दो दिन तक तनावपूर्ण रहा था माहौल

8 सितंबर को पुलिस को सूचना मिली थी कि इमाम प्लाजा के पास कुछ संदिग्ध हैं। पीरबहोर पुलिस वहां गई और दो को हिरासत में लेकर लौट रही थी। इसी दौरान कुछ लोग पुलिसकर्मियों के साथ मारपीट और हथियार छीनने का प्रयास करने लगे। इससे सुभाष नाम का सिपाही घायल हो गया। इसी बीच पार्षद असफर अहमद थाने पहुंचकर हंगामा करने लगा।

इसके बाद असफर समेत 13 नामजद और 100 अज्ञात पर 8 सितंबर को केस दर्ज हुआ। 9 सितंबर को असफर अपने समर्थकों के साथ थाने पहुंच गया और गिरफ्तार सरफराज को छोड़ने का दबाव बनाने लगा। मामला बढ़ गया और स्थिति तनावपूर्ण हो गई। असफर को गिरफ्तार किया गया और उसके खिलाफ 9 सितंबर को भी एक केस दर्ज किया गया।


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