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भूमि सर्वेक्षण के कार्य को जल्द से जल्द पूरा करने पर जोर, मुख्य सचिव ब्रजेश मेहरोत्रा ने की विभाग की समीक्षा बैठक

भूमि सर्वेक्षण के कार्य को जल्द से जल्द पूरा करने पर जोर, मुख्य सचिव ब्रजेश मेहरोत्रा ने की विभाग की समीक्षा बैठक

PATNA : राज्य में भूमि विवाद समाप्त करने के लिए भूमि सर्वेक्षण के कार्य को जल्द से जल्द पूरा किया जाना आवश्यक है। यह कार्य सरकार की शीर्ष प्राथमिकता में है। इसके लिए राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग को आवश्यक दिशा निदेेश दिए गए हैं। विभाग के अपर मुख्य सचिव एवं भू अभिलेख एवं परिमाप निदेेशक को भू सर्वे कार्य की प्रगति की साप्ताहिक समीक्षा करने को कहा गया है। प्राथमिकता के 18 जिलों के जिन 89 अंचलों में सर्वेक्षण का कार्य चल रहा है उनमें खानापुरी का कार्य इस माह के अंत तक पूरा कर लेने का लक्ष्य दिया गया है। 



मुख्य सचिव ब्रजेश मेहरोत्रा ने आज पुराना सचिवालय स्थित अपने कार्यालय कक्ष में भूमि सर्वेक्षण से जुड़े पदाधिकारियों की बैठक ली। पदाधिकारियों ने उन्हें भूमि सर्वेक्षण की अद्यतन प्रगति से अवगत कराया और भविष्य की कार्ययोजना की जानकारी दी। बैठक में विभाग के संयुक्त सचिव आजीव वत्सराज, सहायक निदेशक  विनोद पंकज, विशेष कार्य पदाधिकारी मो. नवाजिश अख्तर, अनुदेेशक राजेश कुमार सिंह एवं सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी वीरेन्द्र कुमार एवं शैलेेश कुमार श्रीवास्तव उपस्थित थे।   



मुख्य सचिव ब्रजेश मेहरोत्रा पहले के अपने 2 कार्यकाल में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के प्रधान सचिव एवं अपर मुख्य सचिव रह चुके हैं। उनके कार्यकाल के दौरान लिए गए कई अहम निर्णयों के कारण भूमि सर्वेक्षण निदेशालय का संगठनात्मक कार्य पूरा हुआ एवं सर्वेक्षण के कार्यों में गति आई-  



विशेष सर्वेक्षण एवं बन्दोबस्त कार्य को त्वरित गति से पूर्ण करने के लिए वर्ष 2019-20 में कुल 6875 एवं वर्ष-2022-23 में 7595 विशेष सर्वेक्षण संविदा कर्मियों के पदों का सृजन किया गया है। इन सृजित पदों के विरूद्ध 10101 रिक्तियों का विज्ञापन निकाला गया जिसमें से 9888 पदों पर फिलहाल नियोजन की कार्रवाई की जा रही है। 



वर्ष, 2019 में तकनीकी मार्गदर्शिका अधिसूचित की गई। तकनीकी मार्गदर्शिका में विशेष सर्वेक्षण अधिनियम एवं नियमावली अंतर्गत सर्वेक्षण एवं बंदोबस्त की विस्तृत प्रक्रिया का वर्णन किया गया है। तकनीकी मार्गदर्शिका के कारण सर्वेक्षण के कार्य में लगे निचले स्तर के कर्मियों को सुलभ मार्गदर्शन प्राप्त हो जा रहा है और सर्वेक्षण के कार्य में तीव्रता एवं एकरूपता सुनिश्चित हुई है। 



विशेष सर्वेक्षण एवं बन्दोबस्त प्रक्रिया में किये गये कार्यों को डिजिटल प्रारूप में संधारित करने एवं समस्त प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए भू-सर्वेक्षण सॉफ्टवेयर को विकसित और क्रियान्वित किया गया। इसके साथ ही R2R सॉफ्टवेयर भी विकसित  किया गया है जिसमें सभी विशेष सर्वेक्षण कर्मियों का डाटा (योगदान से लेकर सेवानिवृति) मौजूद है। सर्वे कार्य की प्रगति bihar survey tracker नाम के एक एप के जरिए देखी जा सकती है इससे जन-सहभागिता भी सुनिश्चित हुई है।



भूमि सर्वेक्षण एवं बंदोबस्त अधिनियम 2011 में वर्ष, 2013 एवं 2017 में तथा बिहार विशेष नियमावली, 2012 में वर्ष, 2019 में व्यापक संशोधन किया गया और उन प्रावधानों को जोड़ा गया जिनसे सर्वेक्षण के कार्य को गति मिली। 



मुख्य सचिव द्वारा उस समय बनाई गई कार्य-योजना के अनुसार विशेष सर्वेक्षण एवं बन्दोबस्त कार्य को सम्पूर्ण राज्य में शुरू करने के लिए प्रत्येक अंचल में एक विशेष सर्वेक्षण शिविर स्थापित कर प्रत्येक शिविर में एक विशेष सर्वेक्षण सहायक बन्दोबस्त पदाधिकारी, दो कानूनगो एवं अंचल के कुल राजस्व ग्रामों के विरूद्ध प्रत्येक 4 राजस्व ग्रामों के लिए एक विशेष सर्वेक्षण अमीन की पदस्थापना की व्यवस्था की गई है। 



साथ ही सबसे पहले 1000 से कम खेसरा वाले मौजों का सर्वेक्षण कराने का आदेश दिया गया ताकि नए कर्मियों को अपना कार्य समझने में सुविधा हो और कार्य निष्पादन में तेजी आएगी। उल्लेखनीय है कि सूबे के लगभग 70 फीसदी मौजे 1000 से कम खेसरा वाले हैं। 



 विशेष सर्वेक्षण एवं बन्दोबस्त कार्य को त्वरित गति से करने के लिए वर्ष 2019-20 में कुल 6875 पदों का सृजन किया गया, जिनकी सहायता से अब तक 20 जिलों के 4933 राजस्व ग्रामों में ग्राम सीमा सत्यापन एवं किस्तवार का कार्य पूर्ण करने के पश्चात् 4304 राजस्व ग्रामों में खानापुरी का कार्य पूर्ण कर 3561 राजस्व ग्रामों के रैयतों के मध्य खानापुरी पर्चा एवं लैंड पार्सल मैप का वितरण किया जा चुका है। राज्य के 3150 राजस्व ग्रामों में प्रारूप अधिकार अभिलेख एवं 893 राजस्व ग्रामों में अंतिम अधिकार अभिलेख का प्रकाशन कर मानचित्र बनाने का कार्य पूर्ण किया जा चुका है।



भूमि सर्वेक्षण के अलावा मुख्य सचिव महोदय द्वारा अपर मुख्य सचिव रहते हुए भू अभिलेखों के संरक्षण हेतु महत्वपूर्ण कदम उठाए गए। बिहार के सभी राजस्व कार्यालयों में पड़े राजस्व अभिलेखों जिनकी संख्या 15 करोड़ से अधिक है, की स्कैनिंग का कार्य शुरू किया गया जो अब अंतिम चरण में है। इसके लिए एक स्वतंत्र एजेंसी की मदद ली गई है। इससे राजस्व दस्तावेजों की सुरक्षा एवं संरक्षा सुनिश्चित हुई है साथ ही इन दस्तावेजों को मामूली शुल्क लेकर ऑनलाइन उपलब्ध कराने की व्यवस्था भी की गई है।


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