पैसों की कमी के कारण मां का अंतिम संस्कार नहीं कर पाने से निराश युवक ने ले लिया बड़ा फैसला, बाबा की नगरी देवघर में हुई दिल झकझोरनेवाली घटना

DEOGHAR :  एक तरफ किसी की मौत पर अंत्येष्टी के लिए पैसे देने की योजना चलाता है. दूसरी तरफ ऐसी घटनाएं भी सामने आती हैं जहां अंतिम संस्कार के लिए किसी के पास पैसे ही नहीं होते। अंतिम संस्कार से जुड़ी ऐसी ही एक घटना बाबा की नगरी कहे जानेवाले देवघर जिले से सामने आई है। यहां एक घर में मां –बेटे की मौत हो गई। लेकिन इन दोनों की मौत को लेकर जो वजह सामने आई है, वह दिल को झकझोर देनेवाला है। 

मामला जिले के जसीडीह थाना क्षेत्र के चरकीपहाड़ी गांव से जुड़ा है। यहां एक बुजुर्ग महिला तीन साल से लकवाग्रस्त थी। शुक्रवार को अचानक तबीयत बिगड़ने के बाद उनकी मौत हो गई। परिवार के सभी सदस्य एक शादी समारोह में शामिल होने गांव से बाहर सारठ के सरपत्ता गांव गए हुए थे। घर पर सिर्फ महिला और उसका बेटा किशन चौधरी और उसका परिवार मौजूद था। अंधेरा होने के कारण परिवार के सदस्यों ने शनिवार सुबह दाह-संस्कार के लिए ले जाने का निर्णय लिया।

इस दौरान किशन ने देर रात अपने कमरे में जाकर दरवाजा अंदर से बंद कर लिया। शनिवार सुबह परिवार के सदस्यों ने उसे जगाने की कोशिश की मगर काफी देर तक दरवाजा नहीं खुला तो अनहोनी की आशंका हुई। जब कमरे में किसी प्रकार से देखा गया तो अंदर फंदे से किशन की लाश लटक रही थी। जिसके बाद घर में कोहराम मच गया। घटना की जानकारी परिजनों ने जसीडीह पुलिस को दी। सूचना पर एसआई गुलाम गोश हुस्सामी सदलबल मौके पर पहुंचे व स्थिति का जायजा लेते हुए मां और बेटे का शव अंत्यपरीक्षण के लिए सदर अस्पताल देवघर भेज दिया है।

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मां के अंतिम संस्कार के लिए पैसे नहीं होने से था निराश

बताया गया कि किशन दिहाड़ी मजदूरी का काम करता था।लॉकडाउनके कारण उसे प्रतिदिन मजदूरी का काम भी नहीं मिल पाने के कारण परिवार चलाने में भी कठिनाई हो रही थी। वह अपनी मां के वृद्धा पेंशन और सरकारी राशन पर निर्भर रह रहा था। मां की मृत्यु हो जाने के बाद उसके सामने दाह-संस्कार और श्राद्धकर्म के लिए लिए पैसे नहीं थे।जिससे वह निराश था, अंतत: किशन ने यह कदम उठा लिया। मृत युवक विवाहित था और उसके दो बेटे व एक बेटी भी है। वहीं मां और बेटे की हुई मौत से गांव में मातम छाया हुआ है।