DESK : कहते हैं, किसी से सुख में न मिलो तो कोई बात नहीं लेकिन दुख में जरूर मिलो। संवेदना ही होती है जो लोगों को जोड कर रखती है। वैश्विक महामारी कोरोना ने शायद इस संवेदना को भी खत्म कर दिया है। लोग अपने रिश्तों को तो भूल ही गये हैं, शायद अब उनके अंदर भावनाएं भी नहीं हैं। राजस्थान के बाडमेर से एक ऐसी घटना सामने आयी है जिसे जानने के बाद कह सकते हैं कि लोगों के अंदर मानवीयता खत्म हो गयी है। पूरी रिपोर्ट
दरअसल रविवार को शाम करीब 6-7 बजे राय कॉलोनी निवासी कान सिंह (40) और अमर सिंह (42) गंभीर रूप से बीमार अपनी मां देवी (80) को लेकर जिला अस्पताल पहुंचे। जहां इमरजेंसी में उनका इलाज शुरू हुआ। बेटों ने व्योरा भरने वाले फॉर्म को तो भरा लेकिन उसमें अपना मोबाइल नंबर देने के बदले अपने बहनोई यानि बुजुर्ग महिला के दामाद का नंबर लिखवा दिया और दोनों इसके बाद वहां से चुपके से भाग लिये। बुजुर्ग देवी को सांस लेने में काफी तकलीफ हो रही थी। बेटों को आशंका हुई कि मां को कोरोना हो गया है। उधर, देवी का ऑक्सीजन लेवल बहुत कम था। उसे इमरजेंसी से कोविड ओल्ड इमरजेंसी वार्ड में भेजा गया। और फिर परिजनों को खोज जाने लगा। लेकिन वहां कोई नहीं मिला।
इसके बाद हॉस्पिटल के स्टाफ ने फार्म पर लिखाये गये नंबर पर कॉल किया, जिसे महिला के दामाद सुखवीर सिंह ने रिसीव किया। सुखवीर ने कहा कि तेजमालता गांव में है और आते आते देरी हो जायेगी। उसने हॉस्पिटल स्टाफ को महिला के बेटों का मोबाइल नंबर दे दिया। हद तो तब हो गयी जब स्टाफ ने बेटों का नंबर मिलाया तो उन कलयुगी बेटों ने मां को पहचानने से ही इंकार कर दिया। इधर सुखबीर रात में करीब 11 बजे अस्पताल पहुंचा। उसने देवी का हाल-चाल जाना। इधर अस्पताल के मेल नर्स ने बताया कि रविवार देर शाम महिला को इमरजेंसी वार्ड से कोविड ओल्ड इमरजेंसी वार्ड में शिफ्ट किया गया था। महिला के बेटों ने फोन भी नहीं उठाया। सोमवार को जब महिला की मौत हो गयी तब उसकी जानकारी बेटों को दी गयी। उसके बाद दो में से एक बेटा अस्पताल पहुंचा। महिला का अंतिम संस्कार दामाद और समाज के लोगों ने किया।