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CAG नहीं होती तो कितनी गड़बड़ियों का पता ही नहीं चलता: विजय कुमार चौधरी

CAG नहीं होती तो कितनी गड़बड़ियों का पता  ही नहीं चलता: विजय कुमार चौधरी

PATNA : इंस्टीट्यूट आफ पब्लिक आडिटर्स आफ इंडिया की ओर से आयोजित अकाउंटबिलिटी इन द चेंजिंग एरा आफ गवर्नेंस विषय पर सेमिनार का आयोजन चाणक्या होटल में किया। जिसमें बिहार विधान सभा के अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी ,CAG के अध्यक्ष एव GST काउंसिल के डायरेक्टर सहित कई लोग शामिल हुए।  इंस्टीच्यूट आफ पब्लिक आडिटर्स ऑफ इंडिया की ओर से  आयोजित सेमिनार का उद्घाटन करते हुए बिहार विधान सभा के अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी ने कहा की संविधान बनाने वाले लोगो ने अपनी दूरदर्शिता को दर्शाते हुए CAG को स्वतंत्र संस्था के रूप में बनाया है। CAG ने इस देश में एतिहासिक काम किया है। CAG न्यायपालिका से भी महत्वपूर्ण संस्था है। आप का काम है गड़बड़ी को खोज कर निकालना। अगर यह संस्था नहीं होती तो कितने गड़बड़ियों का  पता नहीं चलता। कितने सनसनीखेज मामले यह संस्था ने उजागर किया है जिस से देश में भूचाल आ गया था। वित्तीय गड़बड़ियों को पकड़ने का जिम्मा इस संस्था का कार्य है जिसे CAG ने काफी जिम्मेवारी से करती है। बिहार विधान सभा के अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी ने एजी के रिपोर्ट की चर्चा करते हुए कहा की एजी जब पारा लिखती है वह बुखार के पारा से कम नहीं है। जैसे ही एजी पारा लिखती है उससे सरकार से लेकर लोक लेखा समिति का पारा चढ़ जाता है। आप पारा लिखे नहीं की वह ऊपर खिसकना शुरू हो जाता है।  एजी गड़बड़ियों का रिपोर्ट को महामहिम को देती है और वहां से वह सदन में रखा जाता है वहां से उस का जाँच लोक लेखा समिति को करना पड़ता है।


चर्चा के दौरान विधान सभा अध्यक्ष ने  कहा कि बिहार के शासन में ट्रांसपेरेंसी भी है और अकाउंटबिलिटी भी है। ट्रांसपेरेंसी के कारण ही आज छोटी-छोटी परिक्षाओं के भी रिजल्ट आनलाईन जारी किये जा रहे हैं ताकि कोई भी उम्मीदवार अपना स्थिति सार्वजनिक तौर पर देख सके। लेकिन कुछ असफल उम्मीदवारों के परिजन ऐसे भी होते हैं जो इस रिजल्ट से खुश नहीं होते और पैरवी के लिए हम लोगों के पास चले आते हैं। हमारे लाख समझाने के बाद भी नहीं समझ पाते हैं। जो एक जनप्रतिनिधि के लिए परेशानी का सबब बन जाता है।

वही विजय कुमार चौधरी ने केरल की बाढ़ को लेकर कहा की आमतौर पर बिहार को लेकर दक्षिण के राज्यों में एक आम धारणा बनी हुई है। दक्षिण के राज्य ये मानते हैं कि बाढ़ के नाम पर बिहार को रिलीफ खाने की आदत पड़ी हुई है। लेकिन आज केरल को समझ आ रहा होगा कि बाढ़ की विभीषिका क्या होती है। बिहार ऐसी बाढ से हर साल जूझता रहता है।  

पटना से गणेश सम्राट की रिपोर्ट


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