ARA : एक तरफ बिहार के स्वास्थ्य मंत्री सरकारी अस्पतालों में स्थिति में सुधार करने के दावे करते हैं, वहीं दूसरी उनके ही प्रभार वाले जिले भोजपुर में एक मासूम बच्चे की मौत सिर्फ इसलिए हो गई क्योंकि बच्ची को समय पर ऑक्सीजन मुहैया नहीं कराया जा सका। यह मौत भी कोई छोटे सरकारी अस्पताल नहीं बल्कि जिले के सदर अस्पताल में हुई है। बच्चे की मौत के बाद अस्पताल में परिजनों ने जमकर हंगामा मचाया।
गुस्साए स्वजन इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगा रहे थे। बाद में सिविल सर्जन रामप्रीत सिंह के आश्चासन के बाद आक्रोशित शांत हुए। सिविल सर्जन ने ड्यूटी पर तैनात कर्मियो से कारण-पृच्छा करने एवं दोषी पाए जाने पर विभागीय कार्रवाई किए जाने की बात कही है। दूसरी ओर, जदयू नेता विश्चनाथ सिंह ने कहा कि अगर समय रहते कार्रवाई नहीं हुई तो आगे भी इस मुद्दे को आगे तक उठाया जाएगा। इसे लेकर चार-पांच घंटे तक अफरातफरी मची रही।
नौ माह का था मासूम, इमरजेंसी वार्ड में नहीं मिला ऑक्सीजन
बड़हरा के सिन्हा ओपी के गजियापुर गांव निवासी स्व. राजू तुरहा के नौ माह के पुत्र मोहित की मंगलवार की रात अचानक तबीयत अधिक खराब हो गई । सांस लेने में परेशानी के बाद स्वजन देर रात एक बजे सदर अस्पताल लाए। अस्पताल में निबंधन कराने के बाद पहले नवजात शिशु इकाई में ले गए। जहां पर डॉक्टर ने तत्काल आक्सीजन लगाने की सलाह दी और इमरजेंसी वार्ड में भेज दिया।
स्वजनों का आरोप है कि जब वे बच्चे को लेकर इमरजेंसी वार्ड में पहुंचे तो उन्हें यह कहकर जाने के लिए बोल दिया गया कि आक्सीजन नहीं है। वे इधर-उधर भटकते रहे। अंतत सुबह चार बजे बच्चे की मौत हो गई। हैरानी की बात है कि कोरोना के समय पीएम केयर फंड से आक्सीजन प्लांट लगाया गया था।
नहीं करते गंभीर मरीजों को भर्ती, चल रहा है खेल
बड़हरा के जदयू नेता विश्चनाथ सिंह लापरवाही का आरोप लगाते हुए सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड के बाहर ही धरने पर बैठ गए। साथ में स्वजन भी थे। दोषियों पर कार्रवाई के लिए सिविल सर्जन को बुलाने की मांग पर अड़ गए। बाद में टाउन व नवादा थाना की पुलिस भी पहुंच गई।
इसके बाद सिविल सर्जन रामप्रीत सिंह एवं सर्जन डा. विकास सिंह इमरजेंसी वार्ड पहुंचे। जदयू नेता का कहना था कि इमरजेंसी वार्ड दलालों का अड्डा बन गया है। मरीजों को प्राइवेट में भेजने के लिए टालमटोल किया जाता है।