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लोकसभा की सुरक्षा में चूक की इनसाइड स्टोरी, गुरुग्राम के सेक्टर-7 में लिखी गई पूरी पटकथा

लोकसभा की सुरक्षा में चूक की इनसाइड स्टोरी,  गुरुग्राम के सेक्टर-7 में लिखी गई पूरी पटकथा

DELHI-  नई संसद की लोकसभा दीर्घा से दो संदिग्ध लोगों के कूदने वाली घटना उस दिन सामने आयी, जिस दिन देश संसद पर 22 साल पहले हुए हमले के शहीदों को याद कर रहा था। सुबह विधिवत‍् श्रद्धांजलि सभा का आयोजन करके उन शहीदों का भावपूर्ण स्मरण किया गया, जिन्होंने हमारी संसद और  सांसदों की रक्षा के लिये अपना बलिदान दिया।  प्रधानमंत्री और अन्य मुख्य विपक्षी नेता इस कार्यक्रम में शामिल हुए। फिर दोपहर में जब शून्यकाल समाप्ति की ओर था, अचानक दो युवक लोकसभा की दर्शक दीर्घा से कूदे। वे कुछ नारे लगा रहे थे और उन्होंने जूते में छिपाकर लाए गए रंगीन गैस निकालने वाले बोतल को खोलकर सांसदों को सांसत में डाल दिया। 

बता दें किसी सांसद के ज़रिये ही दर्शक दीर्घा में जाने का पास बन सकता है। लोग अक़्सर अपने इलाक़े के सांसद से सिफ़ारिश की एक चिट्ठी लेते हैं जिसके आधार पर उनका दर्शक दीर्घा में जाने का पास बनता है। किसी एमपी का लिखा हुआ पत्र उनके पास होना ज़रूरी है। दर्शकों या अपने मेहमानों के लिए दर्शक दीर्घा का पास बनवाने के लिए सांसदों को सेंट्रलाइज्ड पास इश्यू सेल में आवेदन देना होता है।ये आवेदन फॉर्म जमा करवा कर या ऑनलाइन किया जा सकता है।जब पास जारी किया जाता है तो जिस व्यक्ति को पास दिया जा रहा है उसकी इंटेलिजेंस जांच होती है. पास बनाने के आवेदन पत्र में उस व्यक्ति की सारी जानकारी देनी होती है।""इस जानकारी में व्यक्ति के पिता या पति का नाम, पता, फ़ोन नंबर, ईमेल आईडी शामिल हैं. इसके बात आवेदक का इंटेलिजेंस चेक होता है. संसद में आने वाले दर्शकों का कई जगह फिज़िकल चेक होता है, शरीर की तलाशी ली जाती है, मेटल डिटेक्टर से गुज़रना होता है।"वैसे इस मामले में इन दोनों लोगों की बारे में ज़्यादा जानकारी हासिल करने के लिए इंटेलिजेंस ब्यूरो और स्थानीय पुलिस की टीमें आरोपियों के घर पहुँच गई हैं।

नियमों के तहत एक सांसद ऐसे व्यक्ति के लिए विज़िटर पास का आवेदन कर सकता है जिसे वो व्यक्तिगत रूप से जानता हो।चुनिंदा मामलों में एक सांसद ऐसे व्यक्ति के लिए भी पास का आवेदन कर सकता है जिसका उनसे परिचय किसी ऐसे व्यक्ति ने कराया है जिसे वो सांसद व्यक्तिगत रूप से जानते हों। इन चुनिंदा मामलों में नियमों में सांसदों से ये उम्मीद की गई है कि वो आवेदन करते वक़्त सावधानी बरतेंगे।

 सांसदों में अफरा-तफरी मचनी ही थी। आशंका थी कि उनके पास कोई घातक हथियार न हो। कालांतर आवेश में आकर सांसदों ने उनकी पिटाई भी की। इसी बीच संसद के बाहर भी एक युवती व उसके सहयोगी को गिरफ्तार किया गया, जो नारेबाजी कर रही थी और एक पीले रंग का धुआं फैला रही थी। निस्संदेह, यह घटना संसद व सांसदों की सुरक्षा में एक चूक थी।

साल 2001 के आतंकी हमले के बाद संसद के सुरक्षा तंत्र में आमूल-चूल परिवर्तन किये गए हैं, लेकिन लगता है संसद का आंतरिक सुरक्षा तंत्र इस तरह की घटना के लिये तैयार नहीं था। कूदने वाले युवकों के नाम सागर और मनोरंजन बताए गए। सागर मैसूर की एक यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग कर चुका बताया जाता है, जो वहां के सांसद से मिले अतिथि पास के जरिये लोकसभा की दीर्घा तक पहुंचा था। दूसरा व्यक्ति भी मैसूर का ही था। वहीं दिल्ली पुलिस ने बुधवार को संसद भवन परिसर में रंगीन धुआं उड़ाने वाली महिला नीलम और उसके साथी को गिरफ्तार किया। नीलम उच्च शिक्षित और हरियाणा की रहने वाली है और अपनी बेरोजगारी से खासी हताश बतायी जाती है।

इस सुरक्षा चूक से सुरक्षा तंत्र में खलबली मचनी स्वाभाविक थी, क्योंकि मामला संसद और सांसदों की सुरक्षा से जुड़ा था। पुलिस और खुफिया एजेंसियां पकड़े गए लोगों से गहन पूछताछ कर रही हैं। गिरफ्तार लोगों के घरों से भी पूछताछ की गई है। हालांकि, गिरफ्तार लोगों के किसी संगठन आदि से जुड़े होने के कोई समाचार नहीं हैं। लेकिन लगता है कि वे कहीं न कहीं अपनी बेरोजगारी से हताश-निराश थे।

 उन्होंने जो कदम उठाया है वह किसी भी तरह उचित और कानून सम्मत नहीं था। यहां तक कि मैसूर में मनोरंजन के पिता ने बेटे की हरकत की निंदा की है। उन्होंने बताया कि उनके बेटे ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की, लेकिन नौकरी नहीं कर पाया। वह गांव में पुश्तैनी जमीन पर खेती करता था। हमें समझ में नहीं आया उसने ऐसा क्यों किया, हमने उसे अच्छी तालीम और संस्कार दिए हैं। निस्संदेह आप संसद के बाहर प्रदर्शन कर सकते हैं, लेकिन इस तरह के कृत्य को किसी तरह उचित नहीं ठहराया जा सकता। 

 संसद में कलर स्मॉग उड़ाने वाले आरोपी व उनके साथी सेक्टर-7 एक्सटेंशन के हाउसिंग बोर्ड के एक घर में ठहरे थे। यहीं पर ही संसद की सुरक्षा को भेद कर हड़कंप मचाने की पटकथा लिखी गई थी। पूरे मामले का खुलासा करने के लिए दिल्ली और कमिश्नरेट पुलिस की पुलिस के साथ नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी भी जुट गई है।संसद में हुई घटना के बाद गिरफ्तार आरोपियों ने बताया कि वह एक दिन गुरुग्राम के सेक्टर-7 एक्सटेंशन के हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी में विशाल उर्फ विक्की शर्मा के 67 नंबर मकान में ठहरे थे। एक रात इनके घर बिताने के बाद यह बुधवार सुबह ही दिल्ली गए थे। संसद में हुई इस घटना के बाद जब गुरुग्राम कनेक्शन मिला तो दिल्ली पुलिस की एक टीम विशाल शर्मा उर्फ विक्की शर्मा के घर पहुंच गई और विक्की व उसकी पत्नी वृंदा को हिरासत में लेकर पूछताछ करने लगी। इस दौरान उनकी बेटी भी मौजूद रही। सूत्रों की मानें तो दिल्ली पुलिस के एक इंस्पेक्टर और महिला पुलिस अधिकारी उनकी बेटी से भी पूछताछ कर रही हैं। घटना के बाद से ही कमिश्नरेट की पुलिस व खुफिया तंत्र इस पूरे क्षेत्र में सक्रिय हो गया और पूछताछ शुरू कर दी लेकिन दंपती को हिरासत में लिए जाने की स्पष्ट रूप से पुष्टि नहीं कर रहे। पुलिस अधिकारियों की मानें तो अभी स्पष्ट रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता है। दिल्ली पुलिस व कई सुरक्षा एजेंसियों द्वारा पूछताछ की जा रही है। उन्हें भी सूचना मिली है कि दिल्ली पुलिस ने दंपती को हिरासत में लिया है और दंपती की बेटी से भी पूछताछ की जा रही है। 

मामले में चूक की जांच के लिये विशेष दल गठित किया गया है। वहीं हरियाणा की रहने वाली नीलम के परिजन भी कहते हैं कि उसने ऊंची शिक्षा की डिग्री के अलावा यूजीसी का नेट भी क्वॉलीफाई किया था और वह अपनी बेरोजगारी को लेकर हताशा में थी। संसद की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर नये सिरे से समीक्षा की जरूरत है। निस्संदेह, संसद दीर्घा तक लोग सांसद द्वारा बनाये पास के जरिये ही पहुंचते हैं। वैसे संसद की आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी लोकसभा के अधीन काम करने वाली पार्लियामेंट सिक्योरिटी सर्विस की होती है। सत्र के दौरान बाहर केंद्रीय सुरक्षा बलों, आईटीबीपी, इंटेलिजेंस ब्यूरो, एसपीजी, एनएसजी आदि की उपस्थिति अलग से रहती है। संसद पर हमले के बाद सुरक्षा तंत्र को खासा उन्नत बनाया है। धवार के घटनाक्रम को सुरक्षा में एक बड़ी चूक इसलिए माना जा रहा है क्यूंकि संसद भवन में कई स्तरों का सुरक्षा इंतज़ाम है।ये जांच का विषय है कि कैसे कोई विज़िटर कनस्तर लेकर सुरक्षा व्यवस्था की आँखों में धूल झोंकते हुए सदन में प्रवेश कर सका।अलग-अलग सुरक्षा चेक प्वाइंट की सीसीटीवी फुटेज़ को भी खंगाला जा रहा जिससे ये पता लगाया जा सके की क्या हाथों से ली जाने वाली तलाशी में कोई कोताही बरती गई।

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