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फिलस्तीन पर यूएन में आए प्रस्ताव पर भड़का इसराइल, पूछा- शिशुओं की हत्या, महिलाओं से बलात्कार पर कैसी कार्रवाई होनी चाहिए, क्या रहा भारत का रुख़,जानिए

फिलस्तीन पर यूएन में आए प्रस्ताव पर भड़का इसराइल, पूछा- शिशुओं की हत्या, महिलाओं से बलात्कार पर कैसी कार्रवाई होनी चाहिए, क्या रहा भारत का रुख़,जानिए

 डेस्क-  संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत ने पूर्वी यरुशलम और फ़लस्तीनी क्षेत्र में इसराइल के कब्ज़े से जुड़े एक मसौदा प्रस्ताव से दूरी बना ली है.ये मसौदा प्रस्ताव था- 'इसराइली गतिविधियां जो पूर्वी यरुशलम सहित अधिकृत फ़लस्तीनी क्षेत्र में फ़लस्तीनी लोगों के मानवाधिकारों को प्रभावित करती हैं.'इस प्रस्ताव के पक्ष में 87, विरोध में 26 वोट पड़े. वहीं 53 देशों ने मतदान से दूरी बना ली.अमेरिका और इसराइल ने इस मसौदा प्रस्ताव के ख़िलाफ़ मतदान किया, जबकि भारत सहित ब्राज़ील, जापान, म्यांमार और फ्रांस मतदान से दूर रहे. वहीं हमास के खिलाफ युद्ध को लेकर संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की संयम बरतने की सलाह पर इस्राइल भड़क उठा है. उसने कहा कि गाजा में युद्ध न सिर्फ उसका, बल्कि ‘स्वतंत्र दुनिया का युद्ध है’ इस्राइल के विदेश मंत्री एली कोहेन ने यूएन एवं फलस्तीन आदि देशों की ‘संयम बरतने’ की अपील को खारिज करते हुए हमास पर हमले और तेज करने के संकेत दिए. कोहेन ने पूछा, ‘आप बताइए कि शिशुओं की हत्या, महिलाओं से बलात्कार, बच्चे का सिर काटने के जवाब में संयम भरी कार्रवाई कैसे की जाती है?’कोहेन ने हमास को ‘नया नाजी’ करार देते हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से कहा कि 7 अक्तूबर के हमले के खिलाफ संयम भरी कार्रवाई ‘हमास का पूरी तरह से खात्मा करना है’

इस्राइल के विदेश मंत्री एली कोहेन ने आगाह किया कि आज इस्राइल पर हमला हुआ है और कल हमास और उसके हमलावर पश्चिमी देशों से लेकर दुनिया के हर क्षेत्र को निशाना बनाएंगे. कोहेन ने कतर पर हमास को फंडिंग करने का आरोप लगाया और कहा कि बंधक बनाए गए इस्राइल के 200 से अधिक लोगों का भाग्य उसके (कतर के) अमीर के हाथों में था. वहीं, फलस्तीन के विदेश मंत्री रियाद अल-मलिकी ने इस्राइली हमलों को रोकने की मांग की. उन्होंने कहा, ‘20 लाख से अधिक फलस्तीनी हर दिन, हर रात जीवित रहने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.’ उधर, इस्राइल की गाजा पट्टी पर बमों की बारिश जारी है. इस बीच यूएन महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने दशकों पुराने इस्राइल-फलस्तीन संघर्ष पर बैठक के दौरान चेतावनी दी कि पश्चिम एशिया में हालात ‘दिन बदिन बदतर होते जा रहे हैं.’ गुतारेस ने जोर दिया कि नियमों का निश्चित रूप से पालन किया जाना चाहिए. यूएन प्रमुख ने कहा कि नागरिकों की रक्षा करना ‘किसी भी सशस्त्र संघर्ष में सर्वोपरि होता है.

उधर, संयुक्त राष्ट्र में रूस के राजदूत वासिली नेबेंजिया ने परिषद को बताया कि मॉस्को अमेरिकी प्रस्ताव को खारिज करता है और तत्काल संघर्ष-विराम की मांग करता है। नेबेंजिया ने कहा कि अमेरिकी प्रस्ताव में संघर्ष-विराम का जिक्र नहीं है, इसलिए रूस अपने नये प्रस्ताव का मसौदा आगे बढ़ा रहा है.लेबनान स्थित हिजबुल्ला समूह के नेता ने हमास और फलस्तीनी इस्लामिक जिहाद के वरिष्ठ नेताओं के साथ वार्ता की। इसे इस्राइल विरोधी तीन बड़े उग्रवादी समूहों की अहम बैठक माना जा रहा है. एक संक्षिप्त बयान में बताया गया कि हिजबुल्ला के नेता हसन नसरुल्ला ने इस बात को लेकर हमास के सालेह अल अरौरी और इस्लामिक जिहाद के नेता जियाद अल नखलेह से सहमति जताई कि तीनों संगठनों और ईरान समर्थित उग्रवादियों को नयी रणनीति बनानी चाहिए.

वहीं इस्राइल ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस की टिप्पणी को आतंकवाद को न्यायोचित ठहराना करार दिया. इस्राइल के विदेश मंत्री एली कोहेन ने गुतारेस के साथ पूर्व निर्धारित बैठक रद्द कर दी. यूएन में इस्राइल के दूत गिलाद एर्दान ने गुतारेस के इस्तीफे की मांग करते हुए कहा कि इस विश्व निकाय के साथ संबंधों पर पुनर्विचार करना चाहिए. एर्दान ने कहा, ‘अब उन्हें सबक सिखाने का समय आ गया है।’ उन्होंने कहा, ‘हम संयुक्त राष्ट्र के प्रतिनिधियों को वीज़ा देने से इनकार कर देंगे.

बता दें इसराइल यरुशलम को अपनी अविभाजित राजधानी मानता है, जबकि फ़लस्तीनी पूर्वी यरुशलम को उनके भावी राष्ट्र की राजधानी मानते हैं. पूर्वी यरुशलम पर 1967 के अरब-इसराइल युद्ध में इसराइल ने कब्ज़ा कर लिया था.शहर के केंद्र बिंदू में एक प्राचीन शहर है जिसो ओल्ड सिटी कहा जाता है. ये शहर भी इसराइल के नियंत्रण में आ गया था. बाद में इसराइल ने इस इलाक़े पर क़ब्ज़ा कर लिया लेकिन इसे अंतरराष्ट्रीय मान्यता नहीं मिली.इसराइलियों और फ़लस्तीनियों के पवित्र शहर यरुशलम को लेकर विवाद बहुत पुराना और गहरा है. ये शहर इस्लाम, यहूदी और ईसाई धर्मों में बेहद अहम स्थान रखता है.हिब्रू भाषा में येरूशलायीम और अरबी में अल-कुद्स के नाम से जाना जाने वाला ये शहर दुनिया के सबसे प्राचीन शहरों में से एक है.यरुशलम में अक्सर इसराइल के लोगों, पुलिस और फ़लस्तीनियों के बीच झड़पें होती रहती हैं. ये जगह दुनिया की सबसे विवादित जगहों में से एक मानी जाती है.यरुशलम पर इसराइल की पूर्ण संप्रभुता को कभी मान्यता नहीं मिली है और इसे लेकर इसराइल नेता अपना विरोध जाहिर करते रहे हैं.

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