DESK: प्लेन आसमान में आराम से चल रहा होता है, अचानक मौसम खराब हो जाता है. तेज हवा के साथ बारिश शुरु हो जाती है. प्लेन में बैठे सभी लोग डर जाते हैं सबके में अनहोनी की आशंका होने लगती है. प्लेन को चला रहा पायलट भी थोड़ी देर के लिए सहम जाता है. प्लेन को सेफली लैंड कराने की सोचता है. दो बार मन में लैंडींग की बात आती है लेकिन फिर उसे वो जगह शायद सेफ नहीं लगती, फिर वो लैंडींग नहीं करता है.
काफी सूझ-बूझ से काम लेते हुए पायलट और को पायलट केरल के कोझीकोड हवाईपट्टी पर लैंडीग की सोचता है. लेकिन दुर्भाग्यवश प्लेन खाई में गिर जाता है. लेकिन अपनी जान दे कर पायलट और कोपायलट सैंकड़ो यात्री जान बचा लेते हैं. इस जाबाज पायलट का नाम है कप्तान विंग कमांडर दीपक वसंत साठे और को-पायलट अखिलेश. इस हादसे के बाद से ही लोग इन दोनों को भावभिणी श्रद्धांजलि देने के साथ उनकी तारीफ कर रहे हैं.
कौन हैं कप्तान विंग कमांडर दीपक वसंत साठे?
कप्तान विंग कमांडर दीपक वसंत साठे को जानने वाले लोगों का कहना है कि वे भारतीय वायु सेना के बड़े फाइटर थे. जिन्होंने अपने 22 साल के करियर के दौरान सोवियत मूल के मिग -21 लड़ाकू विमानों को उड़ाना सीख लिया था. 59 साल के दीपक साठे जिनकी विमान दुर्घटना में मौत हो गई. उन्हें जून 1981 में हैदराबाद के पास डुंडीगल में वायु सेना अकादमी से ग्रेजुएट होने पर 'स्वॉर्ड ऑफ ऑनर' नाम का सम्मान मिला थ. वे भारतीय वायु सेना के फाइटर, प्रतिष्ठित राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, खडकवासला के पूर्व छात्र और निपुण पायलेट थे.
को-पायलट अखिलेश के बारे में ?
मथुरा शहर के पोतरा कुंड गोविंद नगर निवासी अखिलेश एयर इंडिया में 2017 में भर्ती हुए. अखिलेश तीन भाइयों में सबसे बड़े थे. छोटे भाई लोकेश ने बताया कि देर रात एयर इंडिया की ओर से हादसे की सूचना दी गई थी. दूसरे नंबर के भाई भुवनेश अपने बहनोई संजीव के साथ रात में ही घटनास्थल के लिए रवाना हो गए. स्वजनों ने बताया कि विमान में बैठने से पहले प्रतिदिन अखिलेश अपने घर वालों से फोन पर बात करते थे. कल भी केरल रवाना होने से पहले उन्होंने मां बालादेवी से फोन पर बातचीत की थी और अपना ख्याल रखने को कहा था.