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भगवान राम को नहीं मानने वाले जीतनराम मांझी को भी लेना पड़ा रामचरित मानस का सहारा, सब हैरान

भगवान राम को नहीं मानने वाले जीतनराम मांझी को भी लेना पड़ा रामचरित मानस का सहारा, सब हैरान

पटना. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी कई बार कह चुके हैं कि वे भगवन राम को नहीं मानते. इसे लेकर उनके साथ कई विवाद भी जुड़ा. कई बार उन्होंने इसी कारण अपनी बातों से किसी को ठेस लगा हो तो खेद भी प्रकट किया. हालांकि सार्वजनिक रूप से भले जीतनराम मांझी भगवान राम को लेकर विवादित बयान देते रहे हों लेकिन जब जरूरत पडती है तो वे राम नाम की महत्ता और रामचरित का गुणगान करने से नहीं चूकते हैं.

ऐसा ही वाकया शुक्रवार को बिहार विधानसभा में देखने को मिला जब जीतन राम मांझी ने रामचरित मानस के दोहे बोले. उनके मुख से रामचरित मानस का दोहा सुन सदन में मौजूद सदस्य भी हैरान दिखे. दरअसल, अवध बिहारी चौधरी के विधानसभा के नए अध्यक्ष बनने पर सदन के सदस्य धन्यवाद ज्ञापित कर रहे थे. इसी में मांझी ने भी अपने भाव व्यक्त किए. 

उन्होंने कहा कि अध्यक्ष पद पर सर्वस्मत्ति से चौधरी का चयन होना बेहतरीन परम्परा का निर्वहन है. उन्होंने आसन की गरिमा और कर्तव्य को रेखांकित करते हुए प्रेमचंद की पंक्ति को उद्धृत करते हुए कहा कि ‘पंच के मंच पर बैठा व्यक्ति न किसी का दोस्त होता है और ना किसी का दुश्मन होता. इसलिए आसन को वैसा ही करना चाहिए. उन्होंने कहा कि इसी तरह रामचरित मानस में एक पंक्ति है – ‘मुखिआ मुखु सो चाहिऐ खान पान कहुँ एक। पालइ पोषइ सकल अँग तुलसी सहित बिबेक’. 

मांझी जब रामचरित मानस के इस दोहे को बोल रहे थे तो सदन में कई लोग भी हतप्रभ से दिखे. हालांकि यह कोई पहला मौका नहीं है जब मांझी देवी देवताओं के प्रति आस्थावान दिखे हों. हाल में उनकी वैष्णो देवी जाने की तस्वीर आई थी. मई 2022 में जब माथे पर तिलक लगाए मांझी की वैष्णो देवी की तस्वीर आई तो कई लोगों ने इस पर ट्विट किया कि अब मांझी भी भक्त हो गए. वहीं अब विधानसभा में भी उन्होंने रामचरित मानस की पंक्ति का जिक्र किया. 


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