पटना हाई कोर्ट ने गया के एक न्यायिक दंडाधिकारी (प्रथम श्रेणी) द्वारा हाई कोर्ट के आदेश का एक वर्ष से ज्यादा की अवधि तक पालन नहीं किए जाने पर गंभीर रुख अपनाते हुए उन्हें नोटिस जारी कर ज़बाब तलब किया है। कोर्ट ने संबंधित न्यायिक दंडाधिकारी से यह पूछा है कि अदालती आदेश का पालन नहीं किए जाने पर क्यों नहीं उनके खिलाफ अदालत के आदेश की अवमानना का मामला प्रारंभ किया जाए।
कोर्ट में कहा कि नोटिस की प्रति संबंधित न्यायिक दंडाधिकारी को गया के जिला एवं सत्र न्यायाधीश के माध्यम से हस्तगत कराया जाए, ताकि वह अपना जवाब कोर्ट को दे सके। जस्टिस संदीप कुमार ने अशोक कुमार द्वारा इस मामले को लेकर दायर किए गए अपराधिक रिट याचिका की सुनवाई करने के बाद यह निर्देश दिया।
कोर्ट को वरीय अधिवक्ता शशि शेखर द्विवेदी ने बताया कि हाईकोर्ट ने 21 मार्च, 2023 को संबंधित न्यायिक दंडाधिकारी को यह निर्देश दिया था कि दोनों पक्ष द्वारा कर लिए गए समझौता के आधार पर लंबित मुकदमे का निपटारा दो माह के अंदर हर हाल में कर दिया जाए।
उन्होंने कोर्ट को बताया कि संबंधित न्यायिक।दंडाधिकारी को हाई कोर्ट के आदेश की प्रति उपलब्ध करा दी गई। हाईकोर्ट के आदेश के आलोक में मामले को निष्पादित करने का अनुरोध किया गया। कोर्ट को बताया गया कि संबंधित दंडाधिकारी के द्वारा यह कहा जाता रहा कि हाईकोर्ट ने ,जो आदेश पारित किया है, वह उसके समझ से बाहर है। जब तक सूचक द्वारा कोर्ट में उपस्थित होकर इस मामले को खत्म करने का निवेदन नहीं किया जाएगा, तब तक यह मामला समाप्त नहीं किया जाएगा।
अधिवक्ता द्विवेदी ने कोर्ट को बताया कि हाई कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट लिखा है कि अगर दो माह तक सूचक कोर्ट में उपस्थित नहीं होती है, तो निचली अदालत इस मामले का निष्पादन तुरंत कर देगा।
लेकिन संबंधित दंडाधिकारी द्वारा इस मामले को एक साल से ज्यादा की अवधि तक लटका करके रखा गया है।कोर्ट ने इसी मामले को गंभीरता से लेते हुए संबंधित न्यायिक दंडाधिकारी को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। ये मामला दहेज प्रताड़ना से संबंधित है। इसको लेकर गया के विष्णुपद थाना में एक प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी।