PATNA: बिहार में विधानसभा चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो गई है।राजनीतिक दलों ने वोटरो की गोलबंदी को लेकर पासे फेकने शुरू कर दिए हैं। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने सबसे पहले एक जाति की वोट को पाले में करने के लिए बड़ी चाल चली।बिहार की सत्ताधारी दल जेडीयू राजद की उस चाल के काट भी बड़ा पासा फेंका है।खुद सीएम नीतीश कुमार लालू प्रसाद के उस चाल को विफल करने के लिए सार्वजनिक मंच से हीं बड़ी घोषणा कर डाली। सीएम नीतीश के उस बयान ने पक्ष और विपक्ष सबको चौंका दिया था।जो नीतीश कुमार पिछले 14 साल से जिस शख्स का नाम लेने से कतराते थे उसे वे अपना पुराना मित्र बताकर यथासंभव मदद की बात करने लगे।सीएम नीतीश के अचानक हुए इस हृदय परिवतर्न को राजनीतिक जानकार बिहार विधानसभा चुनाव से जोड़कर देख रहे हैं।
लालू ने जगदानंद को अध्यक्ष बना खेला था राजपूत कार्ड
दरअसल राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने अगड़ा कार्ड खेलते हुए राजपूत बिरादरी से आने वाले जगदानंद सिंह को राजद का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया।जगदानंद को राजद की कमान सौंपने के पीछे कहीं न कहीं लालू प्रसाद की नजर राजपूत बिरादरी के वोट बैंक पर है। लालू प्रसाद इस कोशिश में लगे हैं कि अगर राजपूत बिरादरी का वोट उनके पाले में आ जाता है तो इसका सीधा नुकसान बीजेपी-जेडीयू को होगा।हालांकि लालू प्रसाद की पार्टी राजद को इस विरादरी का वोट पहले से भी कुछ न कुछ मिलते रहा है।लालू प्रसाद ने जगदानंद सिंह को अध्यक्ष बनाकर बड़ा गेम खेला है।
लालू की चाल को विफल करने की कोशिश
लालू प्रसाद के इस गेम को सीएम नीतीश ने समय रहते भांप लिया।नीतीश कुमार ने लालू प्रसाद के राजपूत कार्ड को विफल करने करने के लिए उसी जाति का कार्ड खेला है।जो मुख्यमंत्री 14 सालों तक पूर्व सांसद आनंद मोहन के नाम से भी दूर भागता हो वही नीतीश कुमार ने आनंद मोहन को अपना पुराना मित्र करार दे दिया।
सीएम नीतीश ने आनंद मोहन को बताया था पुराना मित्र
20 जनवरी को पटना में आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि आजीवन कारावास की सजा काट रहे आनंद मोहन की रिहाई हो इसके लिए वे हर संभव प्रयास करेंगे।उन्होंने आनंद मोहन के समर्थकों की मांग पर विचार करने का भरोसा दिया और कहा कि हर काम वश में नहीं होता लेकिन वे हमारे पुराने साथी रहे हैं।लिहाजा उनसे जितना बनेगा उतना करेंगे।
सार्वजनिक मंच से मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद आनंद मोहन की रिहाई की चर्चा तेज हो गई है।आनंद मोहन को राजपूत बिरादरी का बड़ा चेहरा माना जाता है।उस समाज में आनंद मोहन से बड़ा चेहरा कोई नहीं है।राजनीतिक जानकारों का कहना है कि नीतीश कुमार ने यूं हीं आनंद मोहन को लेकर इस तरह के बयान नहीं दिए हैं।दरअसल लालू प्रसाद ने जगदानंद सिंह को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर जो कार्ड खेला था उसे विफल करने के लिए मुख्यमंत्री ने आनंद मोहन को पुराना साथी बताया है।
बता दें कि पूर्व सांसद आनंद मोहन गोपालगंज के पूर्व डीएम जी.कृष्णैया हत्य़ाकांड में आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं।उनकी रिहाई को लेकर उकी पत्नी लवली आनंद लगातार आंदोलन चला रही हैं।