पटना- पूर्णिया के रुपौली उपचुनाव का रिजल्ट कई मायनों में अहम है. सीमांचल की राजनीति बदल रही है? पूर्णिया लोकसभा चुनाव में पप्पू यादव ने निर्दलीय जीत हासित की. तो निर्दलीय प्रत्याशी शंकर सिंह बाजी मारा . तमाम ताकत और संसाधन झोंकने के बाद भी अनडीएन और इंडिया गठबंधन की हार कहीं इस बात का संकेत तो नहीं कर रही है कि सीमांचल की राजनीति बदल रही है. राजनीतिक पंडितों के अनुसार यहां जाति का मकड़जाल टूटने लगा है. निर्दलीय शंकर सिंह एनडीए और इंडिया दोनों के वोटबैंक में सेंधमारी की है.
रुपौली विधानसभा क्षेत्र में सबसे अधिक वोट गंगोता समाज का है. जेडीयू प्रत्याशी कलाधर प्रसाद मंडल और आरजेडी प्रत्याशी बीमा भारती दोनों गंगोता समाज से ही थे. अब तक पूरा वोट नीतीस के खाते में जाता था लेकिन इस उपचुनाव में किला दरक गया. तो वहीं इंडिया गठबंधन का सबसे बड़ा वोट बैंक मुस्लिम है और रुपौली विधानसभा में दूसरे नंबर पर मुस्लिम हैं. इनका वोट लालू प्रसाद यादव को मिलता रहा है. इस चुनाव में मुस्लिम वोट में भी बिखरा हुआ है. लगभग चालीस फीसदी मुस्लिम वोट निर्दलीय प्रत्याशी शंकर सिंह को मिला तो शे, ने विकल्प के रूप में शंकर सिंह को चुन लिया.
राजद में आने के बावजूद भी बीमा भारती से वोटरों का गुस्सा था तो जदयू से भी यहां के दलित समाज से भी लगभग 25 फीसदी वोटर खफा थे और इसका लाभ शंकर सिंह को मिला.जदयू को भी नुकसान उठाना पड़ा है क्योंकि पहले बीमा भारती की कई शिकायत मिली थी, लेकिन पार्टी ने ऊपर संज्ञान नहीं लिया था. वैश्य समाज भी बीमा भारती से नाराज थे . निर्दलीय प्रत्याशी शंकर सिंह की छवि भले ही बाहुबली में रही है, लेकिन क्षेत्र के वैश्य समाज में इनकी पहचान अच्छी है. शंकर सिंह को आधे से ज्यादा वैश्यों कासमर्तन मिला. शंकर सिंह को अगड़ी जाति का वोट भी मिला. इसकारण जदयू को भारी नुकसान उठाना पड़ा है.
रुपौली में जदयू जीतते रही है. मंत्री लेशी सिंह ने पूरा जोर लगा दिया ता. लेकिन वे कलाधर मंडल को जीत दिलाने में सफल नहीं हुईं. सवर्णों के वोट में विखराव का खामियाजा कलाधर मंडल को झेलना पड़ा. तो वहीं पप्पू यादव की बीमा के पक्ष में भावुक अपील भी काम नहीं आई.
रुपौली में 10 से 12 हजार यादव का वोट है, लेकिन यादव वोट में भी बिखराव हुआ है. बीमा भारती के पति अवेधश मंडल से यादव समाज की पुरानी अदावत रही है. इसके कारण यादवों का आधा वोट राजद को तो आधा जदयू के प्रत्याशी को मिला.
कलाधर प्रसाद मंडल कुछ महीने पहले लोकसभा चुनाव के समय जदयू का दमन थामा था इसको लेकर जदयूकार्यकर्ताओं में रो, था. यहीं कारण है कि अति पिछड़ा का समाज का कुछ वोट शंकर सिंह को मिल गया.
राजनीतिक पंडितों के अनुसार रुपौली चुनाव के परिणाम से इतना तो तय हो गया है कि राजद और जदयू दोनों के परंपरागत वोट दरक गे हैं. निर्दलीय प्रत्याशी शंकर सिंह की जीत के मायने तलाशने में तमाम बड़े दल लगे हैं.